- रोड बना बीमारी का कारण

- सा फुटा, नैनीताल रोड, बड़ा बाईपास सहित कई रोड है खतरनाक

- रोड पर उठ रहे धूल के गुब्बार बन रहे बीमारी के कारण

- सर्किट हाउस, कैंट, सिविल लाइन के मुकाबले इन एरिया में सबसे अधिक पॉल्यूशन

BAREILLY: रोड्स की वजह से सिटी का पॉल्यूशन लेवल घातक स्तर तक पहुंच गया है। टूटी सड़कों से उड़ती धूल ने लोगों के साथ-साथ शहर को भी बीमार कर रहा है। अगर समय रहते इस पर ब्रेक नहीं लगाया गया तो इसका खामियाजा बरेलियंस को भुगतना पड़ेगा। गहरे गड्ढे और धूल मिट्टी से सने रोड्स कई डिजीज का कारण बन सकते हैं। खासकर चौपुला, सौ फुटा रोड, नैनीताल रोड, बड़ा बाईपास सहित कई रोड्स ऐसे हैं, जहां एनवायरमेंट में पॉल्यूशन पार्टिकल्स व हार्मफुल गैसेज सबसे अधिक है। यह हम नहीं बल्कि पॉल्यूशन कंट्रोल के आंकड़े बता रहे हैं। सांस के जरिए हृयूमन बॉडी के अंदर पहुंच रहे हानिकारक तत्व के चलते व्यक्ति को आई, स्कीन, हार्ट जैसी प्रॉब्लम्स हो सकती हैं। इस बात की पुष्टि डॉक्टर्स भी कर रहे हैं।

मानक से अधिक है पॉल्यूशन

पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के रजिस्टर्ड में दर्ज आंकड़ों की बात करें तो एनवॉयरमेंट में एयर पॉल्यूशन स्टैंडर्ड मानक से कहीं अधिक है। ऑफिसर्स का कहना है कि बोर्ड के अकॉर्डिग रिस्पायरेबल सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर (आरएसपीएम) का स्टैंडर्ड मानक क्00 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब होना चाहिए है, लेकिन प्रजेंट टाइम में आरएसपीएम की मात्रा चौपुला, सौ फुटा रोड, नैनीताल रोड, मिनी बाइपास रोड जैसे एरिया में फ्00-ब्00 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब है। जबकि पिछले साल आरएसपीएम का परसेंट क्क्ख् माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब ही था। इस हिसाब से आरएसपीएम की मात्रा में काफी बढ़ोतरी हुई है।

रोड कर रहा बीमार

सिटी की टूटी सड़कें भी शहरवासियों को बीमारी की चपेट में ले रहा है। रोड की स्थिति ऐसी हो गई है कि बाइक सवार बिना मुंह ढके आसानी से रोड क्रास नहीं कर सकते हैं। पैदल चलने वालों के लिए भी सामत है। डॉक्टर्स की मानें तो धुंध में निकेल, कोबाल्ट सल्फर, रेडियोधर्मी पदार्थ, कार्बन मोनोआक्साइड, जिंक और लेड जैसे तत्व मिले होते हैं। जब हम सांस लेते हैं तो ये हानिकारक पदार्थ सांस की नलियों में पहुंच जाते हैं। आगे चलकर व्यक्ति को सांस फुलने जैसी बीमारी की चपेट में आ जाते हैं। फेफड़े में पहुंचने पर व्यक्ति को ब्रॉन्काइटिस होने की संभावना बढ़ जाती है। कॉर्डियोलॉजिस्ट की मानें तो एनवॉयरमेंट में मौजूद धूल के छोटे-छोट कण नलियों में चिपक जाती हैं। इससे हार्ट पेशेंट की डेथ भी हो सकती है।

डायबिटीज पेशेंट व बच्चों पर असर

आसमान में घुल रहे एयर पॉल्यूशन का असर डायबिटीज और छोटे बच्चों पर भी पड़ता है। डॉक्टर्स के अकॉर्डिग डायबिटीज पेशेंट की वर्किंग रूक जाती है और वह अक्सर देर से उठते हैं, जिसकी वजह से उनका शुगर लेबल बढ़ जाता है। पॉल्यूशन का परसेंटेज बढ़ने से छोटे बच्चों में निमोनिया होने का डर बना रहता है। छोटे बच्चों को दो तीन बार भांप देखकर निमोनिया से बचाया जा सकता है। आंखें लाल होना और आंखों से पानी आना जैसी समस्या व्यक्ति को हो सकती है।

वाहन भी जिम्मेदार

एयर पॉल्यूशन के बढ़ने का मेन रीजन इंडस्ट्रीज व वाहनों की बढ़ती संख्या है। आरटीओ ऑफिस में रजिस्टर्ड्र व्हीकल्स की बात करें तो बाइक, जीप, ऑटो, टैक्टर, ट्रक और बस सहित अन्य वाहनों की संख्या भ् लाख से भी अधिक है। मैक्सिमम वाहन धड़ल्ले से धुआं उगलते देखे जा सकते हैं। दिनोंदिन इनकी संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। पॉल्यूशन की जांच के लिए कोई प्रॉपर व्यवस्था नहीं है। वाहन ओनर्स भी गाडि़यों से निकलने वाले धुएं पर प्रॉपर ध्यान नहीं देते हैं, जिसका खामियाजा पूरे शहरवासियों को भुगतना पड़ रहा है।

लापरवाही की सीमा नहीं

रोड की बिगड़ती हालत पर रेजिडेंट्स कई बार विरोध प्रदर्शन भी कर चुके हैं। फिर भी रोड की मरम्मत सालों से नहीं हो रही है। ऑफिसर्स अपने जिम्मेदारियों से पीछे हट रहे हैं। रोड पर गडढे और धूल मिट्टी होने से रोड एक्सीडेंट होने के चांसेज भी काफी बढ़ जाते हैं। सौ फुटा रोड, नैनीताल रोड, बड़ा बाईपास पर एक्सीडेंट की कई घटनाएं सामने भी आ चुकी हैं। धूल के उड़ते गुब्बार से रोड पर गाड़ी चलाना दुभर हो गया है।

पॉल्यूशन मानक - व्यक्ति पर प्रभाव

0-भ्0 - बीमारी से ग्रसित व्यक्तियों पर भी उतना निगेटिव इफेक्ट नहीं डालता है।

भ्क्-क्00 - बीमार व्यक्ति पर थोड़ा बहुत असर कर सकता है।

क्0क्-क्भ्0 - बीमारी की चपेट में आए व्यक्ति के लिए काफी हार्मफुल।

क्भ्क्-ख्भ्0 - बच्चों, बुजूर्ग और कमजोर व्यक्ति पर सबसे अधिक इफेक्ट।

ख्भ्क्-फ्भ्0 - अस्वस्थ व्यक्ति के लिए जोखिम हो सकता है।

फ्भ्क्-भ्00 - अच्छे भले व्यक्ति के लिए कई डिजिट का कारण बन सकता है।

नोट- माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब होने पर व्यक्ति को यह समस्या हो सकती है।

एयर पॉल्यूशन से प्रॉब्लम्स

- नजला।

- खांसी-जुखाम।

- दमा।

- गले में खरास होना।

- आई रिलेटेड प्रॉब्लम्स

बचाव

- हैंकी या मास का यूज करना।

- गंदा पानी बहाव के लिए बंद नाली का प्रयोग करे।

- अपने आस-पास साफ सफाई रखे।

जिन एरिया के रोड खराब है। उन एरिया में एयर पॉल्यूशन स्टैंडर्ड मानक से बहुत अधिक है। जबकि बाकी एरिया में नार्मल है।

- जितेंद्र लाल, असिस्टेंट इंवॉयरमेंटल इजीनियर, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड

धूल के कण हार्ट पेशेंट के लिए अच्छे नहीं है। इससे व्यक्ति को कई तरह की प्रॉब्लम्स हो सकती है।

- डॉ। वीपी भरद्वाज, कॉर्डियोलॉजिस्ट

मानक से अधिक पॉल्यूशन होने पर व्यक्ति को आई और स्कीन की प्रॉब्लम हो सकती है। घर से बाहर निकलते वक्त पूरी सावधानी बरतनी चाहिए।

- डॉ। अजय मोहन अग्रवाल, फिजिशियन

Posted By: Inextlive