- पॉलीथिन से कैंसर और हार्मोनल चेंजेज जैसी प्रॉब्लम

- डॉक्टर और वैज्ञानिक कम प्रयोग की देते हैं सलाह

Meerut: घरों और दुकानों पर धड़ल्ले से पॉलीथिन का प्रयोग हो रहा है। आज पॉलीथिन लोगों के जीवन का हिस्सा बन चुकी है। लेकिन इसके प्रयोग से होने वाले खतरे से लोग अभी अनभिज्ञ हैं। जो जाने-अनजाने पॉलीथिन के प्रयोग से बीमारी को दावत दे रहे हैं। लोगों की सेहत को बिगाड़ने में पॉलीथिन का बड़ा रोल है। फिर भी लोग इससे पीछा नहीं छुड़वा पा रहे हैं। डॉक्टर और वैज्ञानिकों की मानें तो पॉलीथिन धरती को बंजर बनाने के साथ ही लोगों के पुरुषत्व पर भी असर डाल रही है। इसके साथ ही कैंसर और हार्मोनल चेंजेज भी लोगों में हो रहे हैं।

स्वास्थ्य के लिए घातक पॉलीथिन

पॉलीथिन कचरे से देश में प्रतिवर्ष लाखों पशु-पक्षी मरते हैं। इससे लोगों में तरह-तरह की बीमारियां फैल रही हैं। जमीन की उर्वरा शक्ति नष्ट हो रही है और भूगर्भीय जलस्त्रोत दूषित हो रहे हैं। प्लास्टिक के ज्यादा संपर्क में रहने से लोगों के खून में थेलेट्स की मात्रा बढ़ जाती है। इससे गर्भवती महिलाओं के गर्भ में पल रहे शिशु का विकास रुक जाता है। प्लास्टिक उत्पादों में प्रयोग होने वाला बिस्फेनॉल रसायन शरीर में डायबिटीज व लीवर एंजाइम को असामान्य कर देता है। पॉलीथिन कचरा जलाने से कार्बन डाईऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और डाईऑक्सीन्स जैसी विषैली गैसें निकलती हैं। जिससे सांस, त्वचा की बीमारियां होने की आशंका बढ़ जाती है।

पर्यावरण चक्र में अवरोध

वैज्ञानिक की मानें तो प्लास्टिक पर्यावरण चक्र को रोक देता है। प्लास्टिक कचरे के जमीन में दबने की वजह से वर्षा का जल भूमि में संचरण नहीं हो पाता। परिणाम स्वरूप भूजल स्तर गिरने लगता है। प्लास्टिक कचरा प्राकृतिक चक्र में नहीं जा पाता, जिससे पूरा पर्यावरण चक्र अवरुद्ध हो जाता है। पॉलीथिन एक पेट्रो-केमिकल उत्पाद है, जिसमें हानिकारक रसायन का इस्तेमाल होता है। पॉलीथिन में यूज होने वाले सभी केमिकल काफी घातक होते हैं। जो काफी खतरनाक सिद्ध हो रहे हैं। जिससे बॉडी पर काफी घातक असर हो रहे हैं।

बढ़ सकता है हृदय का आकार

वैज्ञानिकों का कहना है कि कैडमियम और जस्ता जैसी विषैली धातुओं का इस्तेमाल जब प्लास्टिक थैलों के निर्माण में किया जाता है, जो निथार कर खाद्य पदार्थो को विषाक्त बना देती हैं। थोड़ी-थोड़ी मात्रा में कैडमियम के इस्तेमाल से उल्टियां हो सकती हैं और हृदय का आकार बढ़ सकता है। लम्बे समय तक जस्ता के इस्तेमाल से मस्तिष्क के ऊतकों का क्षरण होकर नुकसान पहुंचता है। इसके साथ ही कई और कारणों से पॉलीथिन शरीर को नुकसान पहुंचा रही है। जो खाने से लेकर लोगों के यूज में आने वाले अन्य खाद्य पदार्थो में भी मिल रही है।

बोतल में दूध पिलाने से कैंसर

अगर आप अपने नन्हें मुन्नों को प्लास्टिक की बोतल से दूध पिलाते हैं तो सावधान हो जाएं। प्लास्टिक की बोतल में रासायनिक द्रव्य की कोटिंग होती है। बोतल में गर्म दूध डालने पर यह रसायन दूध में मिलकर बच्चे के शरीर में पहुंचकर नुकसान पहुंचाता है। दूध की बोतल के अलावा शराब, कोल्ड ड्रिंक्स, और पैक्ड फूड को नमी से बचाने के लिए कई कंपनियां प्लास्टिक में इसी की खतरनाक रासायनिक कोटिंग करती हैं। रासायन शरीर में पहुंचने पर हार्ट, गुर्दे, लीवर और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है। मेडिकल कॉलेज के पीडिया डिपार्टमेंट के डॉक्टर ने इसकी जानकारी दी है।

पुरुषत्व के लिए खतरा

प्लास्टिक के बर्तन में गर्म खाना रखने से पीएफओएच ज्यादा खतरनाक असर छोड़ता है। इससे खाद्य पदार्थो में लेड नामक रसायन का जहर फैल सकता है। फॉर्मेलडिहाइड रसायन का शरीर के भीतर जाने से ये किडनी में स्टोन, उल्टी और कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकते हैं। डॉक्टर्स के अनुसार प्लास्टिक के गिलास में चाय या कॉफी का स्वाद लेना पुरुषत्व के लिए खतरनाक है, क्योंकि इस संबंध में किए गए रिसर्च बताते हैं कि इनसे फर्टिलिटी यानी मेल्स की जनन की क्षमता कम हो जाती है। इसके चलते यह देखने को भी मिलता है कि लोग पुरुषत्व को लेकर डॉक्टर्स के पास अधिक जा रहे हैं।

खतरनाक रोग

एक्सप‌र्ट्स का कहना है कि प्लास्टिक के कप और बोतल में बिस्फिनॉल-ए और डाईइथाइल हेक्सिल फैलेट जैसे केमिकल्स पाए जाते हैं जो कैंसर, अल्सर और स्किन रोगों का कारण बन रहे हैं। हाल में यह भी खुलासा हुआ है कि प्लास्टिक की बोतल में दवा भी सेफ नहीं है। प्लास्टिक में गर्म खाने या कॉफी के जरिए केमिकल बॉडी में आकर बीमारियां फैलाते हैं। बताया गया कि इसके केमिकल बिस्फिनॉल-एडाउन सिंड्रोम और मानसिक विकलांगता को जन्म देता है। एक हफ्ते प्लास्टिक की बोतल का यूज से उसमें सेटॉक्सिक एलिमेंट आने लगता है, वहीं धूप में गर्म होने से भी ऐसा तुरंत होने लगता है। बेहतर तो यह होगा कि प्लास्टिक की बोतल का यूज ही न करें।

प्लास्टिक के खिलौनों में जहर

बच्चों को प्लास्टिक के खिलौने देने वाले मां-बाप भी हो जाएं सावधान रिसर्च में जो तथ्य निकल कर सामने आएं हैं वह बेहद चौकाने वाले हैं। खिलौनों में जिन रंगों का इस्तेमाल किया जाता है वे बच्चों के लिए बेहद हानिकारक हैं। खिलौनों में आर्सेनिक और सीसे का भी इस्तेमाल होता है। जिसमें जहरीले तत्व मिले होते हैं। इन्हें मुंह में डालने पर बच्चों को गंभीर बीमारियां हो रही हैं। साथ हीं खुशबू के लिए डाले जाने वाले पदार्थो और जस्ते से एलर्जी भी हो रही है। रंगों में कई ऐसे रासायन मौजूद होते हैं जिनसे कैंसर का खतरा हो सकता है।

शराब को जहरीला बनाती है प्लास्टिक

गोवा में बनने वाली विशिष्ट किस्म की शराब फेनी को यदि प्लास्टिक के जार में भंडार कर रखा जाता है, तो इससे यह स्प्रिट धीरे-धीरे 'कैंसरजनक' हो जाती है, जिससे कैंसर हो सकता है। विशेषज्ञों ने इसके लिए चेतावनी भी दी है। काजू व नारियल के स्वाद में उत्पादित फेनी गोवा में काफी लोकप्रिय है। फेनी के भंडारण के लिए प्लास्टिक के कंटेनर्स का इस्तेमाल किया जाता है और यह शराब प्लास्टिक की बोतल या जार में बेची जाती है। इस मामले में ऑनकोलोजिस्ट डॉ। सुरेश शेयते ने बताया भी था कि पीवीसी जार में रखी फेनी को पीने से मुख या ब्लड कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।

पॉलीथिन का पर्यावरण पर असर तो पड़ता ही है। क्योंकि पॉलीथिन की डि-कंपोजिशन क्षमता कम होती है। सालों तक यह गलती नहीं है। जिससे पर्यावरण में अवरोध पैदा होती है। लेकिन आजकल लोग अपनी सुविधा को देखते हुए पॉलीथिन का अधिक यूज कर रहे हैं। जो काफी खतरनाक है। कुछ लोग धार्मिक स्थलों पर घूमने जाते हैं और पॉलीथिन वहां फेंक आते हैं। जिसके कई घातक परिणाम होते हैं। इसलिए पॉलीथिन का प्रयोग ना ही करें तो अच्छा है।

- डॉ। अशोक कुमार, पर्यावरणविद्, एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी

पॉलीथिन नान डिग्रेडेबल है। सीवर को ब्लॉक कर देती है और उसमें बैक्टीरिया हो जाते हैं। जो हमारे खाने में पहुंच जाते हैं। जिनसे टायफाइड, उल्टी, दस्त, पीलिया जैसी भयंकर बीमारियां होती हैं। पॉलीथिन को कुछ लोग जला देते हैं, जिससे निकले वाले विषैली गैस सांस की बीमारियां करती हैं। इससे लंग कैंसर जैसी बीमारियां भी पैदा होती है। पॉलीथिन में गरम खाना अधिक देर तक रहेगा तो इसके कैमिकल उसमें मिल जाते हैं, जिससे इनफर्टिलिटी और हार्मोनल चेंजेज के साथ कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी को हो जाती है। पॉलीथिन का प्रयोग पूर्ण बंद होना चाहिए।

डॉ। अजय गोयल, सीजीएचएस कंकरखेड़ा

Posted By: Inextlive