श्रावण मास में जितने भी मंगलवार आते हैं उस दिन मंगला गौरी व्रत किया जाता है। जीवन में आनंद-मंगल के लिए माता पार्वती की प्रसन्नता के लिए मंगला गौरी व्रत रखते हैं।

श्रावण मास में जितने भी मंगलवार आते हैं, उस दिन मंगला गौरी व्रत किया जाता है। जीवन में आनंद-मंगल के लिए माता पार्वती की प्रसन्नता के लिए मंगला गौरी व्रत रखते हैं।

आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्य पंडित श्रीपति त्रिपाठी से कि यह व्रत कैसे करें-


1. पवित्र स्नान कर, पूजा की तैयारी करें। एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाते हैं। सफेद वस्त्र पर चावल से नौ ग्रह बनाते हैं तो लाल वस्त्र पर गेहूँ से षोडश माता बनाते हैं।

2. चौकी पर एक ओर चावल-फूल आदि रखकर श्रीगणेश को प्रतिष्ठित करते हैं तो दूसरी ओर पवित्र जल भरकर, गेहूँ रखकर श्रीकलश स्थापित करते हैं।

3. दीपक प्रज्ज्वलित करके सर्वप्रथम श्रीगणेश पूजन करते हैं।

4. पूजन करके जल, चन्दन, रोली, मौली, सिन्दूर, सुपारी, लौंग, पान, चावल, फूल, इलायची, बेलपत्र, फल, मेवा, दक्षिणा आदि अर्पित करते हैं।

5. इसके बाद नौ ग्रह और षोडश माता की पूजा करते हैं। 

6. मिट्टी की मंगला गौरी बनाकर उन्हें जल, दूध, दही आदि से स्नान करवा कर वस्त्र पहनाकर रोली, चन्दन, सिंदूर, मेहंदी, काजल आदि लगाते हैं।

7. माता को फूल की माला, मेवा, सुपारी, लौंग, मेहंदी, दर्पण, कंघी, चुडियाँ आदि चढ़ाते हैं।

8. व्रत-कथा सुनकर सासू माता के चरणस्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। 

9. अगले दिन मंगल गौरी का विसर्जन करने के बाद भोजन ग्रहण करते हैं।

ऐसे करें उद्यापन-


1. श्रावण मास में मंगल गौरी व्रत करने के बाद उसका उद्यापन करते हैं। उद्यापन में भोजन नहीं करते हैं।

2. शुभ मेहंदी लगाकर पूजा करते हैं। उद्यापन पूजा की अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग विधियां है इसलिए स्थानीय धर्मगुरु ब्राह्मण के निर्देशानुसार पूजा करें।

3. उद्यापन पूजा का मूल भावार्थ है माता पार्वती का आभार प्रदर्शित करना और यथाशक्ति सुहागनों और पात्र ब्राह्मणों को उपहार प्रदान करना।

4. यदि संभव हो तो हवन करें, कथा सुनकर आरती करें।

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Posted By: Kartikeya Tiwari