- रेस्ट रूम में सुविधाओं की ओर विभाग का नहीं है ध्यान

- छह डिपो में से केवल दो डिपो पर है रेस्ट रूम की व्यवस्था वो भी बदहला

आगरा। सफर तो खतरनाक होगा ही जब बस ड्राइवरों को रेस्ट नहीं मिलेगा। आठ घंटे के स्थान पर 12 से 13 घंटे बस चलाते हैं। डिपो पर भी इनके रेस्ट करने के लिए उचित व्यवस्था नहीं होती है। आगरा रीजन में भी छह डिपो हैं, लेकिन सिर्फ तीन पर ही रेस्ट रूम बने हैं। इन तीन पर भी रेस्ट रूम उपयोगी नहीं हैं। कहीं पर ताला लटका है तो कहीं पर रेस्ट की कोई उचित व्यवस्था ही नहीं हैं। इसका खामियाजा कहीं न कहीं सवारी और स्वयं ड्राइवर को भुगतना पड़ता है। इस और जिम्मेदार अधिकारी कोई ध्यान नहीं देते हैं। कोई बड़ा हादसा हो जाने के बाद ही अधिकारी अल्पकाल के लिए हरकत में आते हैं। इसके बाद फिर से पुराने डर्रे पर आ जाते हैं।

तीन डिपो पर है रेस्ट रूम की व्यवस्था

आगरा रीजन में आईएसबीटी, फाउंड्री नगर, ईदगाह, बाह, ताज, फोर्ट डिपो हैं। आगरा रीजन में ही मथुरा आता है। आरएम मनोज त्रिवेदी ने बताया कि आगरा जनपद में छह डिपो हैं, जिनमें से तीन डिपो पर रेस्ट रूम हैं। यहां पर ड्राइवर आराम कर सकते हैं। लेकिन, हकीकत ये हैं कि ईदगाह डिपो पर रेस्ट रूम बंद पड़ा है। आईएसबीटी पर बने रेस्ट रूम में केवल तखत पड़े हैं। वहां पर न तो गद्दा है और न ही लाइट की प्रॉपर व्यवस्था। बिजलीघर डिपो पर रेस्ट रूम कहां हैं, इसका चालकों को पता ही नहीं, जबकि अधिकारी यहां पर रेस्ट रूम होने की बात कह रहे हैं।

ये है डिपो की स्थिति

आईएसबीटी

दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट की टीम ने मंगलवार को शहर के डिपो पर बने रेस्ट रूम की पड़ताल की। टीम सबसे पहले आईएसबीटी पर पहुंची। वहां पर रेस्ट रूम खुला था। तखत पड़े थे। उन पर धूल जमीं थी। मानों महीनों से सफाई ही नहीं हुई है। गंदगी का साम्राज्य था। मौके के मुताबिक वहां पर कोई भी ड्राइवर आराम करने नहीं पहुंचता होगा।

ईदगाह डिपो

आईएसबीटी से टीम ईदगाह डिपो पहुंची। टीम रेस्ट रूम के पास पहुंची तो देखकर लगा कि महीनों से वहां पर कोई इंसान गया ही नहीं होगा। रेस्ट रूम में कुंडी लगी हुई थी। अंदर कुछ तखत पडे़ थे। हालत देखकर लग रहा था कि वहां पर कोई भी ड्राइवर आराम करने के लिए नहीं पहुंचता होगा। रेस्ट रूम के आसपास का माहौल जंगल जैसा है। साफ सफाई के नाम पर मौके पर कुछ भी संभव नहीं है, जबकि सफाई कर्मचारी भी हैं।

बिजली घर डिपो

दो डिपो की हालत को देखकर टीम बिजली घर डिपो पर पहुंची। यहां पर टीम को कहीं भी रेस्ट रूम नजर नहीं आया। टीम ने तीन ड्राइवरों से बात की। उन्होंने बताया कि यहां पर कोई रेस्ट रूम नहीं है। लेकिन, आरएम का कहना है कि बिजली घर डिपो पर रेस्ट रूम है।

सुविधाएं भी नहीं हैं।

आईएसबीटी और ईदगाह डिपो पर बने रेस्ट रूम में ड्राइवरों के लिए कोई सुविधा नहीं हैं। इसके अभाव में कोई ड्राइवर रेस्ट रूम में आराम करने के लिए नहीं जाता हैं।

सुविधा

ये होनी चाहिए नहीं हैं

तखत पर गद्दे होने चाहिए नहीं हैं

पंखे हैं चलते नहीं हैं

पानी की व्यवस्था उचित व्यवस्था नहीं है

ड्राइवर के हाथ में करीब 50 लोगों की जिंदगी होती है। ड्यूटी लगाए जाने से पहले ड्राइवर की स्थिति के बारे में जानकारी करनी चाहिए। रूट की जानकारी है या नहीं, कितने घंटे गाड़ी चलाई है और आराम किया है या नहीं, की जानकारी करने के बाद ही ड्यूटी लगाई जानी चाहिए।

कुंवर शैलराज सिंह

रेलवे और पायलट की तरह बस ड्राइवर का भी चैकअप होना चाहिए। टेंशन और आराम के बारे में ड्राइवर से जानकारी करनी चाहिए। इसके बाद ही ड्यूटी लगाई जानी चाहिए

रवि चौबे

एडवोकेट

बिजली घर डिपो पर कोई रेस्ट रूम नहीं है। कहां आराम करें। रूट पूरा करना होता है। आराम न करने के चक्कर में कई बार बाल-बाल बचते हैं।

रमेश, ड्राइवर

रेस्ट रूम के नाम पर महज औपचारिकताएं निभाई गई हैं। सुविधाओं के अभाव में रेस्ट रूम में कुछ भी नहीं होता है। गर्मी के मौसम में बगैर पंखा और गद्दे के आराम मुश्किल है।

तारा

ड्राइवर

आगरा के तीन प्रमुख डिपो पर रेस्ट रूम की व्यवस्था है, ताकि जिस ड्राइवर को आराम की जरूरत हो वो कर सकता है।

मनोज त्रिवेदी

आरएम, आगरा

दोगुनी है संख्या

संविदा ड्राइवरों की रेगुलर ड्राइवरों से दोगुनी संख्या है। रोडवेज बस सेवा संविदा ड्राइवरों के ही हवाले है, जिन्हें मानदेय किलोमीटर के हिसाब से मिलता है।

यहां पर हैं रेस्ट रूम

आईएसबीटी

ईदगाह

यहां पर नहीं हैं रेस्ट रूम

ताज

फाउंड्रीनगर

फोर्ट

बाह

Posted By: Inextlive