विश्वभर में हर साल 20 जून का दिन शरणार्थी दिवस के रुप में मनाया जाता है. ये दिन समर्पित है उन लोगों की कठिनाईयों को जो अपना घर-बार छोड़ कर अस्थाई ठिकानों पर शरण लेने को मजबूर हैं.


शरणार्थियों के आधिकारों के लिए काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र की संस्था ने शरणार्थियों से संबंधित अपनी ताज़ा रिपोर्ट में कहा है कि दुनियाभर के 80 फीसदी से ज़्यादा विस्थापित लोग ग़रीब देशों में रहते हैं.अमीर देश आमतौर पर शरणार्थियों को एक समस्या के रुप में देखते हैं और विस्थापन से होने वाली परेशानियों को बढ़चढ़ कर आंकते हैं. शरण देने को लेकर पैदा किए गए इस डर की वजह से दुनियाभर में अमीर देश नहीं बल्कि ग़रीब देश शरणार्थियों का सबसे ज़्यादा बोझ उठा रहे हैं.लगभग एक करोड़ 54 लाख की संख्या में इन लोगों को दूसरे देशों में नागरिकता मिलने की उम्मीद बेहद कम है.पाकिस्तान सबसे आगे
ग़ौरतलब है कि मानवाधिकार संगठन 'यूएनएचआरसी' की ओर से जारी इस रिपोर्ट में साल 2010 के आंकड़ों को रखा गया है. इसमें उन लोगों के आंकड़े शामिल नहीं है जिन्होंने 2011 में अरब देशों में हुए आंदोलनों और हिंसा के बाद अफ्रीका और दूसरे अरब देशों में शरण ली है.बीबीसी संवाददाता टॉम एस्सेलमॉंट के मुताबिक इन शरणार्थियों में आधे से ज़्यादा अफ़ग़ानिस्तान और इराक़ के लोग हैं. यही वजह है कि सबसे बड़ी संख्या में लोगों शरण देने वाले देशों में पाकिस्तान का नाम सबसे ऊपर है.


रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अमीर देश आमतौर पर शरणार्थियों को एक समस्या के रुप में देखते हैं और विस्थापन से होने वाली परेशानियों को बढ़चढ़ कर आंकते हैं.अमीर देशों में विस्थापितों को शरण देने को लेकर पैदा किए गए इस डर की वजह से दुनियाभर में अमीर देश नहीं बल्कि ग़रीब देश शरणार्थियों का सबसे ज़्यादा बोझ उठा रहे हैं.

Posted By: Divyanshu Bhard