पोप ने सब धर्मों के शरणार्थियों के पांव धोकर सांप्रदायिक सद्भाव का दिया संदेश
शरणार्थी शिविर में पहुंचे पोप
कैथोलिक धर्मगुरु पोप फ्रांसिस गुरुवार को इटली के एक शरणार्थी शिविर में पहुंचे और वहां पर उन्होंने भाईचारे का संदेश देने के लिए ईसा मसीह का अनुसरण करते हुए एक मिसाल कायम की। पोप ने अलग-अलग धर्मो के शरणार्थियों के पैर धोए और उन्हें चूमा। इस बारे में अपने संदेश में पोप ने कहा किब्रसेल्स हमलों के बाद से इन दिनों यूरोपियन और वेस्टर्न कंट्रीज में मुसलमानों और इमिग्रेंट्स के खिलाफ माहौल है इसलिए वो जीसस का अनुसरण करते हुए लोगों को समसनता के स्तर पर व्यवहार करने का संदेश देना चाहते हैं।
अभिभूत हुए लोग
ईस्टर वीक के मौके पर रोम के बाहरी हिस्से केस्टलनुओवो दी पोर्तो में कैम्प में पोप ने माइग्रेंट्स से मुलाकात की। यहां जब उन्होंने मुस्लिम, ऑर्थोडॉक्स, हिंदू और कैथोलिक शरणार्थियों के पैर धोए तो कई भवुक हो कर रोने लगे। कैम्प में पोप के आने पर अलग-अलग लैंग्वेज में 'वेलकम' लिखा बैनर लहराया गया था। पोप ने एक-एक के पास जाकर उन्हें विश किया। कई लोगों ने उनके साथ सेल्फी भी ली।
महिलायें भी की गयी शामिल
वेटिकन के मुताबिक, पोप ने चार महिलाओं और आठ पुरुषों के पैर धोए। हांलाकि महिलाओं के पैर धोना वेटिकन के नियमों के खिलाफ है पर फ्रांसिस ने जनवरी में इस रेग्युलेशन बदलकर इस रिचुअल में महिलाओं और लड़कियों को भी शामिल होने की इजाजत दे दी। गुरूवार के इस कार्यक्रम में एक इटालियन कैथोलिक और तीन इरिट्रियन कॉप्टिक क्रिश्चियन माइग्रेंट महिलाएं थीं।
ये एक प्रथा है
पोप ने जिनके पैर धोए उसमें आठ पुरुषों में चार नाइजीरिया के कैथोलिक, माली, सीरिया, पाकिस्तान से तीन मुस्लिम और भारत का एक हिंदू शख्स भी था। गौर तलब है कि पोप ने जो किया, वह एक तरह की परंपरा है। बताते हैं कि बाइबिल के मुताबिक, जीसस ने सूली पर चढ़ने से पहले इसी तरह 12 कैथोलिक पुरुषों के पैर धोए थे। इसे एक तरह की सर्विस कहा जाता है। वेटिकन नियमों के तहत इसमें सिर्फ पुरुष ही भाग ले सकते थे और इसमें सिर्फ 12 कैथोलिक पुरुषों के पैर धुलाने का नियम है।
पोप का संदेश
पोप ने ब्रसेल्स हमले की निंदा करते हुए कहा कि कुछ लोग इस तरह का काम करके हमारे भाईचारे को खत्म करना चाहते हैं। पर ये गलत है, भले ही हम लोग अलग धर्मों और संस्कृतियों से जुड़े हुए लेकिन हम सब भाई हैं और शांति से रहना चाहते हैं। वैसे यह कोई पहला मौका नहीं है, जब पोप फ्रांसिस ने अलग-अलग धर्मों के लोगों के पैर धोए हों। 2013 में पोप बनने के कुछ हफ्ते बाद फ्रांसिस ने जुवेनाइल डिटेंशन सेंटर में महिलाओं और मुस्लिमों के पैर धोए थे।