निगम के पानी पर डिपेंड हुए एलीट क्लास
- भीषण गर्मी के बीच सिटी की पॉश कॉलोनीज में भी गिरता वॉटर लेवल बना परेशानी का सबब
- फेल हो रहे घरों में लगे मोटर, प्लंबरों ने खड़े किए हाथ, जलकल की सप्लाई से काम चलाना मजबूरीGORAKHPUR: भीषण गर्मी के चलते गिरता सिटी का वॉटर लेवल एलीट क्लास के लिए भी परेशानी का सबब बन गया है. हाल ये कि पॉश कॉलोनीज के लोग भी जलकल की सप्लाई वाले पानी पर डिपेंड हो चुके हैं. उधर पानी खींचने में फेल हो रहे मोटर्स के चलते प्लंबर्स की भी डिमांड बढ़ गई है लेकिन वह भी हाथ खड़े कर दे रहे हैं. स्पेश्यलिस्ट सिटी का वॉटर लेवल नीचे जाने की वजह पानी के नेचुरल रिसोर्स खत्म होने और उसके गलत तरीके से यूज को बता रहे हैं. भूगर्भ जल विभाग ने वॉटर लेवल मापने के लिए नगर निगम एरिया में 11 पीजी मीटर लगा रखे हैं जिससे वॉटर लेवल मापा जाता है. इन पीजी मीटर्स की रीडिंग खतरे के निशान के करीब है.
गिरता जा रहा सिटी का वॉटर लेवललगातार सिटी का वॉटर लेबल गिरना चिंता का कारण बन गया है. शहर में ज्यादातर लोग निगम के पानी पर ही निर्भर हैं लेकिन यह लोग अपनी प्यास नहीं बुझा पा रहे. वहीं, पॉश कॉलोनीज की बात करें तो भीषण गर्मी में नीचे गए वॉटर लेवल के चलते मल्टीस्टोरी बिल्डिंग्स में लगाए गए समर सेबल पंप और टूल्लू पंप भी पानी नहीं दे पा रहे हैं. जिसके चलते यहां की एलीट क्लास फैमिलीज को भी अब निगम के पानी के भरोसे काम चलाना पड़ रहा है. वॉटर लेवल गिरने से एक तरफ लोग पानी के लिए परेशान हैं तो दूसरी तरफ प्लंबर को बुलाकर पंप को ठीक कराया जा रहा लेकिन वह भी हाथ खड़े कर दे रहे हैं. मैकेनिक का कहना है कि यह समस्या सिटी में सबसे ज्यादा है. वॉटर लेवल हर दिन गिरता जा रहा है, लोगों के समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करें.
लगातार खतरे के निशान पर वॉटर लेवल गोरखपुर का वॉटर लेवल लगातार खतरे के निशान के पास पहुंच रहा है. उधर भूगर्भ जल विभाग जमीन से आठ मीटर वॉटर लेवल को बेहतर करने के उपाय ढूंढ रहे हैं. इस तरह की परेशानी पॉश कॉलोनियों के अलावा शहर के कई इलाकों में है. 100 फीट पर भी नहीं मिल पा रहा पानीजहां पहले 11 मीटर पर अच्छा पानी मिल जाता था, अब 120 से 250 फीट की गहराई तक पाइप होने के बाद भी पानी नहीं निकल पा रहा है. आम तौर पर 10 मीटर से नीचे वॉटर लेवल होने के बाद मोटर पानी खींच पाने में फेल हो रहे हैं जिसके कारण पानी की निकासी रुक गई है.
हर व्यक्ति डेली वेस्ट कर देता इतना पानी पांच लीटर ब्रश करते समय तीन लीटर शेविंग करते समय 20 लीटर टॉयलेट के यूज में 30 लीटर कपड़े धोने में 80 लीटर कूलर यूज करने में 100 लीटर बाइक धोने में 250 लीटर कार धोने में पानी की ऐसे कर सकते हैं बचत पानी को खर्च करने के लिए हमें कुछ टेक्नीक यूज करने की जरूरत है. भूगर्भ जल विभाग के सुझावों को अमल कर एक फैमिली मेंबर्स सैकड़ों लीटर पानी बचत कर सकता है. इसके लिए उन्हें सिर्फ पानी यूज करने के तरीकों में बदलाव लाने की जरूरत है. तरीका बचतब्रश करते समय केवल गिलास व मग का यूज करें - 9.4 लीटर
शेविंग में मग का यूज करे - 2 लीटर स्नान करते समय बेवजह टोटी न खोलें - 30 लीटर कपड़ा धोते समय बटन वाले फ्लश का यूज करें -22.5 लीटर टॉयलेट यूज करने में बाल्टी का इस्तेमाल करें - 50 लीटर जरूरत पर ही कूलर का यूज करें - 60 लीटर बाइक धोने में बाल्टी या मग का यूज करें -70 लीटर कार धोते समय बाल्टी या मग का यूजकरें - 190 लीटर कोट पहले जहां मोटर चलने पर आधे से एक घंटे में टंकी भर जाती थी लेकिन वॉटर लेवल गिरने से अब तीन से चार घंटे में टंकी भर पाती है. कभी-कभी दो मंजिले भवन पर भी पानी नहीं चढ़ पाता है. प्लंबर को बुलाने पर भी वह काम करने से मना कर दे रहे हैं. - प्रमोद सिंह, टीचर पहले कॉलोनी में जहां दस से बारह घरों में मोटर पंप लगे थे लेकिन अब तो सभी के घरों में मोटर लग चुके हैं. लेकिन वॉटर लेवल गिरने से उनकी क्षमता भी कम होती जा रही है. सावित्री सिंह, हाउस वाइफइन दिनों मोटर काम करना बंद कर दिया है. आवास के सेकेंड फ्लोर और तीसरी मंजिल पर पानी नहीं चढ़ पा रहा है. प्लंबर भी हाथ खड़े कर दे रहे हैं. जिसकी वजह से दिक्कत हो रही है.
डॉ. नीति मिश्रा घरों में टूल्लू और समर सेबल पंप लगे हैं लेकिन इसमें से ज्यादातर जगहों पर काम नहीं कर रहे हैं. यही हाल रहा तो पानी के लिए आने वाले दिनों में भी सभी को परेशान होना होगा. सभी को निगम पर ही निर्भर होना पड़ेगा. राजेश निभानी, व्यापारी वर्जन शहर में वॉटर लेवल गिरने की शिकायत आ रही है. निगम कॉलोनियों में पेयजल की बेहतर व्यवस्था करने की कोशिश कर रहा है. ज्यादातर लोगों को नये कनेक्शन भी दिए गए हैं. आने वाले दिनों में पेयजल की व्यवस्था पूरी तरह से दुरुस्त कर दी जाएगी. पीके गुप्ता, महाप्रबंधक जलकल