RANCHI : इंसान को अगर थोड़ी सी भी चोट लग जाए तो दर्द होता है। आंखों से आंसू बहने लगते हैं। लेकिन, जब हम पेड़ों पर 'हमला' करते हैं तो बेदर्द बन जाते हैं। फर्क यही है कि हम तो अपनी तकलीफों को मुंह से बयां कर देते हैं लेकिन जुबां नहीं होने की वजह से पेड़ इससे महरुम रह जाते हैं। आज सिटी के पेड़ों को नुकसान पहुंचाने काम धड़ल्ले से चल रहा है। पेड़ों में कील ठोंककर लोग अपने प्रचार-प्रसार व फायदे के लिए दनादन होर्डिग्स व बोर्ड लगा रहे हैं। इसके बावजूद रांची नगर निगम बेदर्द बना हुआ है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि अधिकारियों को पेड़ों को नुकसान पहुंचाने वाले दिखाई क्यों नहीं देते हैं?

'दम' घुट रहा पेड़ों का

राजधानी में रोड के बीच और किनारों पर कई बड़े-बड़े पेड़ सालों से अपनी वजूद होने का अहसास करा रहे हैं। इन पेड़ों का रहना न सिर्फ राहगीरों को राहत देता है बल्कि पर्यावरण संरक्षण के लिए भी जरूरी है। लेकिन, ऐसे कई संस्थान हैं तो इन पेड़ों को अपने प्रचार-प्रसार का माध्यम बना बैठे हैं.पेड़ों पर अपने होर्डिग्स और पोस्टर को लटका देते है। इसके लिए लोहे की कील और छड़ों का इस्तेमाल किया जाता है। वहीं कई जगहों पर पोस्टर भी चिपका कर छोड़ दिए गए है। जिससे इन पेड़ों का 'दम' घुट रहा है।

कंक्रीट कर रहे पेड़ों को बर्बाद

पेड़ों को नुकसान पहुंचाने का सिलसिला होर्डिग्स और पोस्टर पर ही नहीं थमता। कुछ लोगों ने तो पेड़ों के नीचे ही कंक्रीट का भी जाल बिछा दिया है। इस वजह से पेड़ों के वजूद पर खतरा मंडरा रहा है। न तो पेड़ों को प्रॉपर पानी मिल पा रहा है और न ही जड़ फैलने की जगह। अगर यहीं स्थिति रही तो सैकड़ों पेड़ सूखकर बर्बाद हो जाएंगे।

पेड़ों के इस्तेमाल करने वालों पर जुर्माना

नगर निगम ने पेड़ों के बचाव को लेकर कानून बनाया है। इसके तहत पेड़ों में कील ठोकने, पोस्टर व होर्डिग्स लगाने वालों के खिलाफ जुर्माना वसूले जाने का प्रावधान है। इसे लेकर नगर निगम के मार्केट सेक्शन की ओर से कुछ दिनों तक अभियान भी चलाया गया था। होर्डिग्स व पोस्टर लगाने वालों से जुर्माना भी वसूला गया था। लेकिन, यह अभियान अब ठंडे बस्ते में चला गया है। अब लोग अपने फायदे के लिए पेड़ों में कील ठोक होर्डिग्स व पोस्टर लगा रहे हैं और इनके खिलाफ किसी तरह का कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा है।

Posted By: Inextlive