क्त्रन्हृष्ट॥ढ्ढ: अब बिजली नहीं सह पा रही है गर्मी. जी हां, 30 साल पुराना ट्रांसमिशन नेटवर्क फेल हो चुका है. एक तो प्रचंड गर्मी और ऊपर से बिजली की ट्रिपिंग ने आम लोगों की परेशानी बढ़ा दी है. हालत यह है कि पीक आवर में बिजली धोखा दे जाती है. इधर, बिजली विभाग के अधिकारियों का कहना है कि रांची में जो पुराना ट्रांसमिशन नेटवर्क है, वह 30 साल पुराना हो गया है. जैसे ही गर्मी में लोग एक साथ एसी, कूलर चलाते हैं. पुराना नेटवर्क लोड सह नहीं पा रहा है. हर घंटे लाइन ट्रिप कर रही है. नतीजन, बिजली कटौती कंटीन्यू है.

कभी नहीं मिली 24 घंटे बिजली

रांची में 400 करोड़ की लागत से विद्युत सुदृढ़ीकरण की योजना आरएपीडीआरपी शुरू की गई थी. यह योजना भी वर्ष 2016 में आरंभ की गई थी. तब दावा किया गया था कि योजना पूरी होते ही रांची में अबाधित बिजली मिलेगी. आज योजना का काम लगभग पूरा हो गया है. इसके बावजूद बिजली कट रही है. स्थिति यह है कि सबसे ज्यादा पावर कट से रांची के लोग परेशान हैं. पिछले चार साल में बिजली की उपलब्धता की स्थिति पर गौर करें तो किसी भी जिले में 24 घंटे बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित नहीं हो पाई है.

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कहां से कितनी मिल रही बिजली

टीवीएनल: 370 मेगावाट तक

इनलैंड पावर: 52 मेगावाट तक

सीपीपी: 12 मेगावाट तक

सेंट्रल सेक्टर: 550 से 650 मेगावाट तक

आधुनिक: 186 मेगावाट

एसइआर: 38 मेगावाट

आइइएक्स: 80 से 100 मेगावाट

कुल डिमांड: 1300 मेगावाट

आपूर्ति: 1100 से 1150 मेगावाट तक

कमी: 150 से 200 मेगावाट तक

ट्रांसमिशन लाइन दे रही धोखा

बिजली विभाग का दावा है कि शहर के अंदर बिजली सुधार के सभी काम पूरे कर लिए गए हैं. रांची में हर दिन फु ल लोड करीब 260 से 280 मेगावाट बिजली मिलती है. इतनी बिजली शहर में 24 घंटे के लिए पर्याप्त है. लेकिन शहर में बिजली की सप्लाई घर तक पहुंचाने के लिए पुरानी ट्रांसमिशन लाइन फेल हो गई है. अक्सर कुछ ना कुछ फॉल्ट के कारण पावर कट जारी है.

हर ग्रिड कर रहा ट्रिप

रांची में ओवर लोड के कारण आए दिन ग्रिड ट्रिप हो रहा है. गर्मी जब अधिक बढ़ जाती है तो ग्रिड बार-बार ट्रिप होने लगते हैं. रांची में हटिया, कांके और नामकुम ग्रिड से बिजली की सप्लाई की जाती है. गर्मी में ट्रिप होने की समस्या बढ़ जाती है.

200 मेगावाट की बढ़ी डिमांड

गर्मी में राज्यभर में लगभग 200 मेगावाट बिजली की मांग बढ़ गई है. ऐसे में वितरण निगम के लिए मांग पूरी करना चुनौती बन गई है. इसके पीछे तर्क दिया गया है एनएचपीसी पन बिजली परियोजना से लगभग 300 मेगावाट बिजली मिलती है. राज्य की बिजली व्यवस्था सेंट्रल पूल और निजी कंपनियों पर पूरी तरह से टिकी हुई है.

Posted By: Prabhat Gopal Jha