बिजली की कीमत बढऩा अब तय हो गया है. सेंट्रल गवर्नमेंट ने पावर डेवलेपर्स को इंपोर्टेड कोयले की कीमत कस्‍टमर्स से वसूलने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. अब महंगे कोयले से बनी बिजली की बढ़ी हुई लागत का बोझ कस्‍टमर्स को भी उठाना होगा.


पेट्रोलियम मिनिस्टर वीरप्पा मोइली के मौजूद न रहने से आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने नेचुरल गैस की कीमतों में 60 परसेंट तक की बढ़ोतरी करने का डिसीजन फिलहाल टाल दिया है. फाइनेंस मिनिस्टर पी चिदंबरम ने कहा कि बिजली के रेट में बढ़ोतरी कोयले के रेट पर निर्भर करेगी, लेकिन कम से कम 15 से 17 पैसे पर यूनिट बिजली महंगी होना तय है. सीसीईए ने कोयला मिनिस्ट्री के इस प्रस्ताव को फ्राइडे को मंजूरी दे दी. बैठक के बाद कोयला मिनिस्टर श्रीप्रकाश जायसवाल ने बिजली दरें बढऩे की आशंका की पुष्टि करते हुए कहा कि बिजली महंगी तो होगी, लेकिन मिलेगी तो.
गवर्नमेंट के इस डिसीजन के बाद अब बिजली कंपनियां खुद अपनी जरूरत के मुताबिक कोयला आयात कर सकेंगी. लेकिन अगर वे चाहेंगी तो कोल इंडिया भी उनके लिए कोयला आयात कर सकती है. ऐसी स्थिति में बिजली कंपनियों को बढ़ी हुई लागत अपने कस्टमर्स के साथ बांटनी होगी. कोयले और गैस की कमी की वजह से देश में बिजली पैदा करने की क्षमता बुरी तरह प्रभावित हो रही है. आयातित कोयले की कीमत को कस्टमर्स के साथ बांटने का प्रस्ताव 2009 के बाद लगे 78,000 मेगावाट की क्षमता के प्लांटों पर लागू होगा.

Posted By: Garima Shukla