Allahabad: रट्टा मारकर थ्योरी एग्जाम में बेहतरीन माक्र्स लाने वाले मोती लाल नेहरू नेशनल इंस्टीट्यूट के स्टूडेंट्स को अब अब प्रैक्टिकल में भी यही काबिलियत दिखानी होगी. क्योंकि उन्हें अब थ्योरी के साथ ही प्रैक्टिकल पेपर में भी पासिंग माक्र्स लाना जरूरी होगा. थ्योरी या फिर प्रैक्टिकल किसी भी एक में फेल होने की स्थिति में स्टूडेंट को एग्जाम में फेल माना जाएगा. इंस्टीट्यूट एडमिनिस्ट्रेशन ने कुछ ऐसा ही रूल्स बनाया है. इतना ही नहीं स्टूडेंट्स को थ्योरी में भी प्रैक्टिकल नॉलेज पर बेस्ड ऐसे टॉपिक पढऩे होंगे जो इंडस्ट्रीज सहित अन्य फील्ड के लेटेस्ट डेवलपमेंट से संबंधित होंगे.

Job के लिए होंगे बिल्कुल fit
पढ़ाई पूरी करने के साथ ही स्टूडेंट हर तरह से जॉब के लिए बिल्कुल फिट हों, इसके लिए एमएनएनआईटी ने यूजी और पीजी के सभी को कोर्स को रिवाइज किया है। सालों पुराने उन चेप्टर्स को कोर्स से बाहर कर दिया है, जिसका स्टूडेंट्स को कोई खास बेनीफिट नहीं मिल रहा था। इसके साथ ही कोर्स में इंडस्ट्री व फील्ड से जुड़े उन लैटेस्ट डेवलपमेंट को कोर्स का हिस्सा बनाया है, जो डिफरेंट कोर्स से संबंधित स्टूडेंट्स के लिए जरूरी हैं। इंस्टीट्यूट की ओर से तैयार किया गया नया सिलेबस इस तरह का है कि स्टूडेंट पढ़ाई पूरी करने के साथ ही जॉब के लिए प्रैक्टिकली तैयार होगा. 

Practical पर दिया जोर
इंस्टीट्यूट एडमिनिस्ट्रेशन ने सिलेबस रिवाइज करने के दौरान प्रैक्टिकल नॉलेज पर अधिक जोर दिया है। थ्योरी में प्रैक्टिकल बेस्ड चेप्टर को शामिल तो किया ही है साथ ही सभी पेपर के प्रैक्टिकल को एक अलग पेपर के रूप में निर्धारित किया गया है। यानी अब प्रैक्टिकल थ्योरी पेपर का पार्ट न होकर एक अलग से पेपर होगा। जिसे थ्योरी पेपर की तरह ही अलग से पास भी करना होगा। ऑफिसर्स के मुताबिक ऐसा इसलिए किया गया है ताकि स्टूडेंट्स बुक्स का रट्टा लगाने के बजाए एग्जाम पास करने के लिए रेगुलर पढ़ाई करें और उन्हें अधिक से अधिक वह प्रैक्टिकल नॉलेज हो, जो जॉब के दौरान उनके काम आ सके।

Teacher को भी करनी होगी मेहनत
इंस्टीट्यूट एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से किए गए बदलाव स्टूडेंट्स के लिए ही नहीं बल्कि टीचर्स के लिए भी मेहनत भरा होगा। एग्जाम पास करने के लिए स्टूडेंट्स को जहां कड़ी मेहनत करनी होगी। वहीं कोर्स कंप्लीट करने के लिए टीचर्स को भी पसीना बहाना होगा। प्रैक्टिकल नॉलेज बेस्ड थ्योरी पढ़ाने के लिए अब टीचर्स को हर हाल में लेक्चर क्लास लेना पड़ेगा। स्टूडेंट्स को नोट्स प्रोवाइड कराने का उनका सालों पुराना फंडा अब काम में नहीं आएगा। इतना ही नहीं नए रूल्स के मुताबिक टीचर्स को दो घंटे के बजाए तीन घंटे की क्लास लेना पड़ेगा। क्योंकि नए रूल्स में प्रैक्टिकल क्लास के टाइम ड्यूरेशन को एक घंटा बढ़ाकर तीन घंटा कर दिया गया है।  

MNNIT Ald। का इनीशिएटिव
सिलेबस रिवाइज करने के साथ इंस्टीट्यूट की ओर से तैयार किए गए नए रूल्स एनआईटीज में पहल मानी जा रही है। सोर्सेज का कहना है कि अभी किसी भी एनआईटी ने इस तरह का सिलेबस और रूल्स नहीं बनाया है। इस तरह का प्रैक्टिकल नॉलेज बेस्ड सिलेबस इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर प्रो। पी चक्रबर्ती के क्रिएटिव माइंड का नतीजा माना जा रहा है। हालांकि इंस्टीट्यूट एडमिनिस्ट्रेशन ने सिलेबस और रूल्स को इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स व डिफरेंट वर्कशॉप के थ्रू मिले सब्जेक्ट एक्सपर्ट्स के सजेशन से बनाया गया है। अमेरिका जैसे अन्य कई देशों के टेक्निकल कॉलेजेज की पढ़ाई सन् 2000 के बाद से ऐसे ही सिलेबस पर बेस्ड है।  

First year में introductory course
इंस्टीट्यूट की ओर से तैयार किए गए नए सिलेबस के मुताबिक फस्र्ट इयर में इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स की पढ़ाई इंट्रोडक्टरी होगी। यानी वे प्रैक्टिकल बेस्ड उन चेप्टर्स की पढ़ाई करेंगे, जो इंजीनियरिंग के सभी ब्रांच के इंट्रोडक्शन पर बेस्ड होगा। ऑफिसर्स के मुताबिक फस्र्ट इयर के सिलेबस को इस प्रकार से तैयार किया गया है, जिससे की स्टूडेंट को सभी ब्रांच से संबंधित वह नॉलेज मिल सके जो उसके लिए फ्यूचर में जरूरी है। अभी तक फस्र्ट इयर की पढ़ाई डिफरेंट ब्रांच के थ्योरी बेस्ड नॉलेज से संबंधित होती थी, जिसे आगे चलकर डिफरेंट ब्रांच में स्टूडेंट डिटेल में पढ़ा करते हैं. 

Final year में open elective
इसके अलावा इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स को फाइनल इयर में एक पेपर 'ओपेन इलेक्टिवÓ के रूप में पढऩा होगा। इस पेपर में स्टूडेंट्स को अपनी इच्छा के मुताबिक इंजीनियरिंग का एक ऐसा ब्रांच चुनना होगा, जिसका वह स्टूडेंट नहीं है। यानी मैकेनिकल इंजीनियरिंग ब्रांच का स्टूडेंट इंजीनियरिंग की अन्य दूसरी ब्रांच में से किसी एक को ओपेन इलेक्टिव पेपर के रूप में ले सकेगा। इंस्टीट्यूट ने ये ऑप्शन इसलिए शुरू किया है जिससे की स्टूडेंट अपने ब्रांच के अलावा कम से कम एक ऐसी ब्रांच की भी पढ़ाई कर सके, जिसमें वह विशेष इंटरेस्ट रखता है।

इंस्टीट्यूट एडमिनिस्ट्रेशन ने इस तरह का सिलेबस इंडस्ट्रीज की डिमांड को देखते हुए तैयार किया है। गवर्नमेंट हो या प्राइवेट सेक्टर, यहां से पढ़ाई पूरी करने के बाद स्टूडेंट जॉब के लिए रेडी होंगे। सिलेबस रिवाइज करने के दौरान कई अन्य बातों को भी ध्यान में रखा गया है।

प्रो। एसके दुग्गल, डीन एकेडमिक एमएनएनआईटी

 

Posted By: Inextlive