लखनऊ से भागने की तैयारी में थे शुक्ला अमौसी एयरपोर्ट से पकड़ा सीबीआई ने पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर गाजियाबाद ले गई सीबीआई


Lucknow: दो सीएमओ की हत्या, डिप्टी सीएमओ की जेल में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत और इसी से जुड़े एनआरएचएम घोटाले की जांच कर रही सीबीआई ने गुरुवार को सीनियर आईएएस आफिसर प्रदीप शुक्ला को अरेस्ट किया है। शुक्ला पर एनआरएचएम में माड्यूलर आपरेशन थिएटर बनाने में गड़बड़ी का आरोप है.
प्रदीप शुक्ला का नाम सीबीआई आफिस में दर्ज चार एफआईआर में नाम दर्ज है। वहीं दो दिन पहले अरेस्ट किये गये पूर्व सीएमओ डॉ। एके शुक्ला ने भी पूछताछ के दौरान कई बार सीबीआई के सामने प्रदीप शुक्ला का नाम लिया था।
एयरपोर्ट से हुई गिरफ्तारी
प्रदीप शुक्ला को सीबीआई ने गुरुवार की सुबह लखनऊ से नई दिल्ली की लिए अमौसी एयरपोर्ट से उड़ान भरने से ठीक पहले अरेस्ट किया। प्रदीप शुक्ला को पहले ही अंदाजा हो गया था कि सीबीआई उन्हें अरेस्ट कर सकती है। सीबीआई ने डॉ। एके शुक्ला की गिरफ्तारी के बाद से ही प्रदीप शुक्ला पर भी शिकंजा कसना शुरु कर दिया था। इस दौरान सीबीआई ने पांच दर्जन से अधिक सीएमओ आफिस और डायरेक्ट्रेट के लोगों से पिछले तीन दिनों में पूछताछ की थी।
भागने की फिराक में थे शुक्ला
सीबीआई की लिस्ट में प्रदीप शुक्ला का नाम सबसे ऊपर था। लेकिन अपने रसूख के चलते प्रदीप शुक्ला बचते रहे थे। शुक्ला के खिलाफ एनआरएचएम के चार मामलों में नामजद हैं। प्रदीप शुक्ला की गिरफ्तारी के कयास डॉ। एके शुक्ला की गिरफ्तारी के बाद से ही लगाये जा रहे थे.
इसकी भनक प्रदीप शुक्ला को भी हो गयी थी जिसके बाद वह शहर छोडऩे का मन बना चुके थे। लेकिन सीबीआई के अधिकारियों को इसकी जानकारी हुई तो लखनऊ छोडऩे से पहले प्रदीप शुक्ला को एयरपोर्ट से सुबह लगभग छह बजे हिरासत में ले लिया। उन्हें सहकारिता भवन स्थित सीबीआई कार्यालय लाकर पूछताछ की गयी जिसके कुछ घंटों बाद लगभग साढ़े बारह बजे गिरफ्तारी की आधिकारिक घोषणा कर दी। इसके बाद प्रदीप शुक्ला को सीधे दिल्ली और फिर वहां से गाजियाबाद ले जाया गया।
दूसरे का बताया दोषी
सीबीआई एनआरएचएम घोटाले में पूर्व प्रमुख सचिव प्रदीप शुक्ला और पूर्व सीएमओ डॉ। एके शुक्ला से कई बार पूछताछ की जा चुकी है। दोनों ने ही खुद को पाक साफ और एक-दूसरे को दोषी बताया था। सीबीआई ने जब काल डिटेल खंगाली और डॉ। एके शुक्ला से पूछताछ की तो प्रदीप शुक्ला पर शक की सूई घूमने लगी।
तो आमने सामने बैठा कर होगी पूछताछ
सीबीआई सूत्रों की मानें तो प्रदीप शुक्ला को भी कोर्ट में पेश करने के बाद रिमाण्ड हासिल करने की कोशिश की जाएगी जिसके बाद डॉ। एके शुक्ला और प्रदीप शुक्ला को आमने सामने बैठा कर पूछताछ की जा सके । इसके बाद दोनों के आरोप और प्रत्यारोप की सही तस्वीर सीबीआई के सामने आ सकती है। साथ ही पूर्व परिवार कल्याण मिनिस्टर रहे बाबू सिंह कुशवाहा से प्रदीप शुक्ला की आमने सामने पूछताछ हो सकती है।
चौथी बड़ी गिरफ्तारी
सीबीआई ने गुरुवार को एनआरएचएम स्कैम में तीसरी बड़ी कामयाबी हासिल की है। एनआरएचएम स्कैम में सबसे बड़ी गिरफ्तारी चार मार्च को दिल्ली में हुई थी जब एक्स फैमिली वेलफेयर मिनिस्टर बाबू सिंह कुशवाहा को अरेस्ट किया गया। इन्हीं के साथ आरपी जायसवाल को भी अरेस्ट किया गया था। तीन दिन पहले पूर्व सीएमओ डॉ। एके शुक्ला को आफिस बुलाकर अरेस्ट किया गया। इस मामले में किसी आईएएस अधिकारी की यह पहली गिरफ्तारी है।
सीबीआई ने उतार दी हेकड़ी
प्रदीप शुक्ला को सीबीआइ ने जब सुबह गिरफ्तार किया तो उन्होनें अधिकारियों को अपने रुतबे में लेने की कोशिश की और कहा कि वह तो दिल्ली सीबीआइ अधिकारियों से मिलने जा रहे हैं। इसके बाद उन्होंने किसी को फोन मिलाने की कोशिश की तो सीबीआई ने उनके हाथ से मोबाइल छीन लिया.
इस पर शुक्ला लडऩे लगे तो सीबीआई के अधिकारी ने कड़क भाषा का इस्तेमाल करते हुए उनकी सारी हेकड़ी उतार दी.  एयरपोर्ट से उनको सीधे सहकारिता भवन स्थित कार्यालय लाया गया। कुछ ही देर में सीबीआई ने उनका सामना पहले से गिरफ्तार पूर्व सीएमओ डॉ। एके शुक्ला से करा दिया। यहां पर दोनों में खूब तू-तू मै-मै हुई।
कौन हैं प्रदीप शुक्ला
1981 बैच के टापर आईएएस प्रदीप शुक्ला मायावती सरकार में हेल्थ और फैमिली वेलफेयर के प्रिंसिपल सेक्रेट्री थे.  प्रदीप शुक्ला यूपी में एनआरएचएम स्कीम के भी मिशन डायरेक्टर थे। शुक्ला का नाम पूरे घोटाले की जांच के शुरुआत में ही आ गया था। पिछले साल 2 अप्रेल को डॉ। बीपी सिंह मर्डर केस के बाद से ही घोटाले की बू आने लगी थी.
पांच अप्रेल को स्वास्थ विभाग के कई अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ केस दर्ज हुआ था। सात अप्रेल को तत्कालीन सीएमओ डॉ। एके शुक्ला के खिलाफ केस दर्ज हो गया। प्रदीप शुक्ला को भी प्रमुख सचिव के पद से हटा कर रेवेन्यू बोर्ड भेज दिया गया.
पैसों के साथ बहता रहा खून
अरबों रुपये के इस घोटाले ने अब तक आधा दर्जन लोंगो की जान ली है
नेशनल रुरल हेल्थ मिशन स्कीम में पिछले पांच साल के दौरान दस हजार करोड़ रुपये यूपी में अस्पतालों के लिए आये थे। लेकिन इन पैसों का जमकर बंदरबांट किया गया। इन घोटालों के चक्कर में अब तक आधा दर्जन लोगों की जानें जा चुकी हैं जिसमें तीन सीएमओ और दो डिप्टी सीएमओ शामिल हैं। इस घोटाले में क्लर्क से लेकर मिनिस्टर तक मालामाल हो गये।
छिन गई कुर्सी
घोटाले पर जब अधिकारियों की नजर पडऩी शुरु हुई तो एक के बाद एक दो सीएमओ डॉ। विनोद आर्या और डॉ। बीपी सिंह को मार्निंग वॉक के दौरान मौत के घाट उतार दिया गया। मामले ने तूल पकड़ा तो दो-दो मिनिस्टर बाबू सिंह कुशवाहा और अनंत मिश्रा की कुर्सियां भी छिन गयीं। कई अधिकारियों के खिलाफ मामला भी दर्ज हुआ और जेल भी गये.
जेल जाने वालों में एक डिप्टी सीएमओ डॉ। योगेंद्र सिंह सचान भी शामिल थे। सचान की 22 जून को संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हुई तो मामले ने और तूल पकड़ा और सीबीआई जांच की मांग भी बढऩे लगी। 13 जुलाई 2011 को हाई कोर्ट ने सचान की मौत की जांच सीबीआई को सौंप दी.
इसके बाद एक-एक करके दोनों सीएमओ डॉ। विनोद आर्या और डॉ। बीपी सिंह के मर्डर की जांच भी सीबीआई को सौंप दी गयी साथ ही एनआरएचएम घोटालों की जांच भी सीबीआई के पास आ गयी। सीबीआई ने एक के बाद एक आधा दर्जन केस दिल्ली में रजिस्टर किये। इसके बाद ताबड़तोड़ बाबू सिंह कुशवाहा के 60 ठिकानों पर छापे मारी की और कुछ ही दिनों बाद बाबू सिंह कुशवाहा को अरेस्ट कर लिया।
कितने का घोटाला?
एनआरएचएम स्कीम के तहत पिछले पांच सालों के दौरान लगभग दस हजार करोड़ रुपये से ज्यादा आये। इसमें घोटाला कितने पैसों का हुआ इसका फीगर अब तक सीबीआई के अधिकारियों के पास भी नहीं है. 
एनएचआरएम स्कीम के तहत वर्ष 2007 से 2011 के बीच सेंट्रल गवर्नमेंट ने छह हजार 680 करोड़ रुपये यूपी को दिए थे जिसमें से लगभग 1835 करोड़ रुपये की हेराफेरी का आरोप है। इसके अलावा सीएजी रिपोर्ट में भी करोड़ों का मामला सामने आया था।
प्रदीप शुक्ला पर यह हैं आरोप
सीबीआई सूत्रों ने बताया कि प्रदीप शुक्ला पर प्रदेश के जिला अस्पतालों में माडयूलर आपरेशन थिएटर के लिए 89 करोड़ रुपये आये थे। इसमें नियमों को अनदेखी कर काम बांटे गये थे। आपरेशन थिएटर बनाने का काम भी दवा व्यवसायी सौरभ जैन कौ सौंपा गया था। बुधवार को अरेस्ट करन से पहले सीबीआई ने 22 मार्च को उनसे करीब नौ घटे पूछताछ की थी.
इस पूछताछ के दौरान सीबीआइ ने उनसे 2009-2011 के बीच अस्पतालों के निर्माण कार्य के लिए दिए गए 1170 करोड़ रुपये के ठेके के बाबत सवाल किए थे। इस बाबत सीबीआइ ने उनसे ओपन टेंडर न दिए जाने की वजह भी जाननी चाही और 1546 करोड़ रुपये एक गैरपंजीकृत सोसायटी को अवैध तरीके से खर्च करने की वजह पर सवाल पूछे थे.
उस वक्त सीबीआई शुक्ला के जवाब से संतुष्ट नहीं हो पाई थी। प्रदीप शुक्ला परिवार कल्याण के प्रधान सचिव रहने के दौरान 18 बार फारेन गये। जिसके लिए स्टेट गवर्नमेंट ने करीब 35 लाख रुपये का खर्च सहा था. 

Posted By: Inextlive