Varanasi: डीएलडब्ल्यू ने शुक्रवार को एक और कीर्तिमान अपने नाम किया. वर्कशॉप ने देश के पहले ऐसे इंजन 'प्रतीकÓ को ट्रैक पर उतारा जो एसी कोचेज को सीधे इलेक्ट्रिक सप्लाई देगा. यानि एसी कोचेज वाली ट्रेंस में अब इलेक्ट्रिक के लिए जेनसेट का कोच नहीं लगाना पड़ेगा. नया रेल इंजन शताब्दी राजधानी व दुरंतो जैसी ट्रेंस के लिए वरदान माना जा रहा है. इससे ट्रेंस में एक्स्ट्रा कोचेज लग सकेंगी साथ ही फ्यूल की भी सेविंग होगी.


मेंबर ने किया लोकार्पण  डीरेका के गोल्डेन जुबली ईयर के समापन अवसर पर शुक्रवार को वर्कशॉप में आयोजित समारोह में रेलवे बोर्ड के मेंबर आलोक जौहरी ने हरी झंडी दिखाकर 'प्रतीकÓ का लोकार्पण किया। यह इंजन पांच सौ केवीए इलेक्ट्रिक सप्लाई करेगा। समारोह में जीएम बीपी खरे ने 50 वर्षों की उपलब्धियों की चर्चा की। वेलकम चीफ मैकेनिकल इंजीनियर राकेश वताश, धन्यवाद ज्ञापन केबी सहाय व संचालन अमलेश श्रीवास्तव ने किया।  इंजन खुद हो जाएंगे बंदइंजनों के निर्माण में ऐसी टेक्निक डेवलप करने में सफलता मिल गयी है जिसमें खड़े रहने पर इंजन खुद बंद हो जाएंगे। इसमें सेल्फ स्टार्टर व स्टॉप सिस्टम होगा। इससे फ्यूल की सेविंग होगी। यह कहना था रेलवे बोर्ड के मेंबर आलोक जौहरी। वह समारोह के बाद मीडिया से रूबरू थे। उन्होंने कहा कि फ्यूल सेविंग के बाबत कई रिसर्च चल रह हैं। राजस्थानी डांस की धूम


शाम को रंगशाला में राजस्थानी डांस की धूम रही। राजस्थान के नंदलाल प्रजापति एंड ग्रुप के आर्टिस्ट ने डांस कर खूब तालियां बटोरीं। इस अवसर पर ऑफिसर्स के अलावा बड़ी संख्या में कर्मचारी व उनके फेमिली मेंबर्स प्रेजेंट रहे। इंजन बना हेरिटेज

लंबी सेवा देने वाले 2600 हार्स पॉवर के पहले रेल इंजन 'कुंदनÓ को विश्राम दिया गया। इसे सन 1964 में तत्कालीन पीएम लाल बहादुर शास्त्री के हरी झंडी दिखाए जाने का सौभाग्य प्राप्त है। यह इंजन अब पब्लिक के अवलोकनार्थ डीएलडब्ल्यू में सुरक्षित रख दिया गया है।

Posted By: Inextlive