क्या यही संगम है?कइयों की जुबान पर यही सवाल था.

प्रयागराज की धरती पर संगम का नजारा देखकर अभिभूत हुए प्रवासी भारतीय

vineet.tiwari@inext.co.in
PRAYAGRAJ: क्या यही संगम है?कइयों की जुबान पर यही सवाल था। संगम तट का आभा मंडल देखकर गुरुवार को आए सभी प्रवासी भारतीयों की आंखें चौंधिया गईं। हालांकि इनमें से कुछ ऐसे थे जो पहले भी कुंभ में आ चुके हैं। वहीं कुछ पहली बार इंडिया आए थे.उनके पूर्वज पहले ही देश छोड़कर जा चुके थे। अपने कुंभ भ्रमण के दौरान प्रवासी भारतीयों ने व्यवस्थाओं का जमकर गुणगान किया। आइए जानते हैं कि संगम की रेती पर किसकी क्या प्रतिक्रिया रही

बचपन में आए थे, फिर आएंगे
यूएसए से पहुंचे एक परिवार की बीना उपाध्याय, रमा दुबे, पीएन दुबे, अनिल कुमार ने संगम स्नान किया और संगम की रेती पर लंबा समय बिताया। रमा ने बताया कि ऐसी व्यवस्था देखकर दिल प्रसन्न हो गया है। बचपन में एक बार आए थे और अब बार-बार आने की इच्छा है.इसी ग्रुप में शामिल थाईलैंड से आए ज्वैलरी व्यवसाई पवन मिश्रा ने कहा कि भारत सरकार द्वारा किए गए भव्य स्वागत को भूल नहीं पाएंगे। यह लोग मूल रूप से वाराणसी और गोरखपुर के रहने वाले हैं।

वीजा सस्ता करे भारत सरकार
मलेशिया से आए प्रवासी भारतीयों के ग्रुप में शामिल राजकुमार ने बताया कि अपने देश में आने के लिए वीजा पर अधिक रकम खर्च करनी पड़ती है। भारत की सरकार इसकी कीमत कम करे क्येांकि बहुत से युवा यहां आकर पढ़ना चाहते हैं् मूलरूप से तमिलनाडु के रहने वाले राजकुमार पेशे से काउसंलर हैं।

कर रहे भारतीय संस्कृति का प्रचार
आर्मी में सूबेदार पद से रिटायर हुए प्रतापगढ़ के कृष्ण कुमार पांडेय इस समय यूएसए में रहने वाले भारतीय प्रवासियों के बीच भारतीय संस्कृति का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। उन्हें यह जिम्मेदारी विहिप के संरक्षक स्व। अशोक सिंघल ने दी थी। संगम नोज पर उनके साथ पत्‌नी रीता पांडेय भी मौजूद थीं। उन्होंने बताया कि पति-पत्‌नी यूएसए में 2003 से हैं और कुंभ का वर्णन करने के लिए उनके पास शब्द नहीं हैं।

ऐसी आभा आज तक नहीं देखी
श्रीलंका से ग्रुप के साथ आए राजेंद्रन ने कहा कि ऐसी आभा आज तक नहीं देखी। कुंभ के दर्शन कर उनका जीवन धन्य हो गया। मूल रूप से तमिलनाडु के रहने वाले राजेंद्रन ग्लोबल ऑर्गनाइजेशन पीपुल्स ऑफ इंडियन ओरिजिनल संस्था के लिए काम करते हैं और उनका कहना था कि भारत सरकार का यह प्रयास सराहनीय है। इससे सभी भारतवंशी एक सूत्र में बंध जाएंगे।

नहीं भूलना चाहिए इंडियन कल्चर
पूर्वज कई साल पहले मॉरीशस में जाकर बस गए थे। जब भारत सरकार का कुंभ घूमने का न्यौता मिला तो खुशी का ठिकाना नहीं था। यह कहना था देवेन किज्यू का। वह मूल रूप से गाजीपुर के निवासी हैं और कहते हैं कि हम कहीं भी चले जाएं लेकिन दिल में इंडियन कल्चर बसता है। हमें हमेशा दिल से भारतीय रहना होगा।

यूएसए में बताएंगे कुंभ की महिमा
गोरखपुर के मूल निवासी राजेंद्र दुबे ने कहा कि वह यूएसए वापस जाकर कुंभ की महिमा का बखान करेंगे। यहां के इंतजाम और व्यवस्था देखकर उनका दिल प्रसन्न हो गया। जिस संगम के बारे में इतना सुना था उसमें डुबकी लगाकर उनका जीवन सपफल हो गया है।

देर शाम तक लिया कुंभ का आनंद
सैकडों की संख्या में प्रवासी भारतीयों ने संगम नोज के साथ बडे़ हनुमान मंदिर और अक्षयवट दर्शन कर पुण्य भी कमाया। उनके बीच संगम किनारे सेल्फी लेने की होड़ लगी रही। आलम यह था कि कई एनआरआई नाव और क्रूज में बैठकर संगम का नजारा लेते रहे तो कइयों ने हनुमानजी और अक्षयवट के दर्शन कर सुखी जीवन की कामना की।

 

 

Posted By: Inextlive