- मेडिकल कॉलेज के गायनी विभाग के रिसर्च में खुलासा, दावा प्रयासों से बदल रहे हालात

KANPUR: महिलाओं में एनीमिया तमाम सरकारी प्रयासों के बाद भी बड़ी समस्या बना हुआ है। एनीमिया को लेकर चलाए जा रहे नेशनल प्रोग्राम ग्रामीण और शहरी स्तर पर तमाम जागरुकता अभियान भी इस समस्या को नहीं दूर कर सके। अपने शहर में भी हालात अच्छे नहीें है। यहां महिलाओं में आयरन की कमी एक बड़ी समस्या है। जिसका खुालासा मेडिकल कॉलेज के ही एक रिसर्च में हुआ है। अपर इंडिया मेटरनिटी हॉस्पिटल की डॉक्टर्स के इस रिसर्च में हॉस्पिटल आई 92 फीसदी महिलाओं में आयरन की कमी मिली। एनीमिया की प्रॉब्लम को इस रिसर्च में सोशियो इकोनामिक व एज गु्रप के हिसाब से भी देखा गया। इसमें जो आंकड़े आए वह चौंकाने वाले थे। डॉक्टर्स के मुताबिक प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली प्रॉब्लम्स में यह एक बड़ा फैक्टर है।

बनाई स्पेसिफिक गाइडलाइन

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में मेटर्नल मॉर्टेलिटी इंचार्ज प्रो। नीना गुप्ता बताती हैं कि टर्सरी केयर सेंटर होने से अपर इंडिया हॉस्पिटल में सीवियर एनीमिक महिलाएं आती हैं। लगातार 6 सालों से हम मंडल स्तर पर आयरन डिफिसियंसी को दूर करने के लिए प्रोग्राम चला रहे हैं। हॉस्पिटल में भी ऐसी महिलाओं के इलाज के लिए स्पेसिफिक गाइडलाइन हैं। जिसमें महिलाओं की स्क्रीनिंग से लेकर वह क्या दवा ले रही हैं। उसका कितना असर है। हर महीने हीमोग्लोबीन का क्या स्तर है। इसकी रिपोर्ट तैयार की जाती है।

18 से 28 साल में सबसे ज्यादा प्रॉब्लम

रिसर्च में जो तथ्य सामने आए हैं उससे साफ हुआ है कि 18 से 28 साल की उम्र की महिलाओं में आयरन डिफिसिएंसी सबसे ज्यादा पाई गई। 3956 महिलाओं में 2951 यानी 60 फीसदी से ज्यादा महिलाएं इसी एज गु्रप की थी। वहीं सोशियो इकोमानिक स्तर पर स्टडी में मिडिल क्लॉस व अपर क्लॉस की महिलाओं में आयरन डिफिसिएंसी पाई गई। कुल एनीमिक महिलाओं में आधे से ज्यादा इसी सोशियो इकोनामिक वर्ग से थी।

'' प्रेगनेंसी के दौरान आयरन डिफिसिएंसी की प्रॉब्लम को दूर करने के लिए लगातार कई प्रयास किए जा रहे हैं। बतौर इंचार्ज हम इसमें आ रही कमियों को लगातार दूर कर रहे हैं,लेकिन अभी और जागरुकता की जरूरत है।

- प्रो। नीना गुप्ता, इंचार्ज मेटर्नल मार्टिलिटी, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज

Posted By: Inextlive