2015 में बोर्ड परीक्षा देने के लिए जेल से भरा था फॉर्म

सुरक्षा कारणों के चलते नहीं दे पाया था परीक्षा

बचपन में ही जरायम जगत से नाता जुड़ जाने के चलते पिता की इच्छा पूरी नहीं कर पाने वाले प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी ने तीन साल पहले इसके लिए भी कोशिश की थी। अफसरों ने उसके इस प्रयास को सफल बनाने के लिए व्यवस्था भी तैयार करा दी। लेकिन, अंतिम समय में उसने खुद दूरी बना ली। अब वह दुनिया में नहीं रहा तो पिता की ख्वाहिश हमेशा के लिए अधूरी रह गयी।

कक्षा पांच तक ही गया था स्कूल

जौनपुर जिले के पूरे दयाल गांव के मूल निवासी पारसनाथ सिंह ने पुत्र प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी को पढ़ा-लिखा कर अच्छा बनाने की पूरी कोशिश की थी। लेकिन, मुन्ना पर अलग ही धुन सवार थी। हथियारों का शौक रखने वाले मुन्ना ने कक्षा पांच के बाद कभी स्कूल का मुंह नहीं देखा। उसके पिता के सामने जब मुन्ना की सच्चाई आयी तो उनके हाथ से सब कुछ निकल चुका था। जरायम जगत में कदम रखने के बाद मुन्ना ने स्कूल के बारे में शायद ही कभी सोचा हो।

सेंटर जाने से छोड़ दी परीक्षा

2015 में अचानक मुन्ना ने यूपी बोर्ड से हाईस्कूल करने के लिए फॉर्म भरा तो चर्चा में आ गया। आवेदन करने के समय वह झांसी जेल में बंद था। बंदियों के लिए बोर्ड परीक्षा की व्यवस्था जेल के भीतर कराने की व्यवस्था है। इसके तहत आवेदन आया तो तत्कालीन सचिव शैल यादव ने बोर्ड परीक्षा में शामिल होने के लिए उसे अनुमति दे दी। परीक्षा से ठीक पहले पंचायत चुनाव की संवेदनशीलता को देखते हुए उसे प्रशासन ने 24 सितंबर 2015 को झांसी जेल शिफ्ट कर दिया। यूपी बोर्ड के अफसरों ने बात की तो झांसी जेल में परीक्षा कराने में असमर्थता जता दी। इसके बाद सेंटर बांदा जेल बनाया गया। सुरक्षा कारणों के चलते मुन्ना ने बांदा जेल जाकर परीक्षा देने में रुचि नहीं दिखायी। इसके चलते उसकी यह आस अधूरी रह गयी।

Posted By: Inextlive