-महराजगंज के व्यक्ति ने की थी पहाड़ की रेकी

-नवंबर में डॉक्टर को मिल गई थी क्लीन चिट

GORAKHPUR: शहर के चर्चित राखी मर्डर कांड की पटकथा एक साल पहले से लिखी जा रही थी। मधुर रिश्तों की डोर में बंधकर दिल में चुभने वाले कांटे को निकालने की कोशिशें तमाम हुई। लेकिन साजिशकर्ता और उसके सहयोगी हर बार कत्ल में नाकाम रहे। चौथीं बार जब नेपाल में राखी के कत्ल का प्लान बना तो उसे अंदाजा लग गया। उसने कार में ही सबको टोकते हुए कह दिया कि तुम लोग मेरी हत्या करना चाहते हो। पुलिस की जांच में सामने आया है कि कत्ल को अंजाम देने के लिए नेपाल की पहाडि़यों की तलाश महराजगंज के एक व्यक्ति ने की थी। डॉक्टर के कहने पर उसने ऐसे पहाड़ की तलाश की, जहां से धक्का देने पर राखी के बदन का चिथड़ा निकल जाए। रविवार को भी शहर में इस हाईप्रोफाइल मर्डर की चर्चा होती रही। इस मामले में दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने जब पड़ताल की तो सामने आया कि राखी मर्डर के आरोपित डॉक्टर को बचाने के लिए जमकर खेल खेला गया था।

ऐसे खेल खेलती रही पुलिस, दोषी बनता रहा मनीष

24 जून 2018: मनीष सिन्हा ने एसएसपी को पत्र दिया। उसने बताया कि वह पत्‍‌नी राखी संग तीन जून को काठमांडू गया था। चार जून को वह हवाई जहाज से काठमांडू से भैरहवा आया। वहां उसे छोड़कर इंडिया में लौट आया था। 05 जून सुबह आठ बजे राखी से उसकी बातचीत हुई। इसके बाद राखी के मोबाइल पर मनीष का संपर्क नहीं हो सका। उसने राखी की तलाश की लेकिन कुछ पता नहीं चला। मकान मालिक या अन्य किसी पर अनहोनी करने की आशंका जताई।

27 जून 2018: सीओ दफ्तर से शिकायत प्रार्थना को जांच के लिए शाहपुर को भेज दिया गया। इस जांच को पुलिस ठंडे बस्ते में दबाती चली गई। कोई रिजल्ट सामने नहीं आ सका। उधर, मामला सामने आने पर राखी के भाई अमर श्रीवास्तव ने शाहपुर पुलिस को तहरीर दिया। उसने कहा कि 24 जून को उसकी पत्‍‌नी के मोबाइल फोन पर मनीष सिन्हा का फोन आया था। उसने बताया कि तीन जून से लेकर कुछ दिनों तक वह उसके साथ नेपाल में रही है। मैं नेपाल में उससे शादी करना चाहता है। यदि तुम लोग विरोध करोगे तो राखी और तुम लोगों को जान से खत्म कर दूंगा। अमर की इसी सूचना पर शाहपुर पुलिस ने मनीष के खिलाफ धमकी देने और राखी का अपहरण करने का मुकदमा दर्ज कर लिया।

25 सितंबर 2018: शाहपुर पुलिस का रवैया देखकर मनीष के पिता दीपक कुमार सिंह ने एडीजी को पत्र दिया। बताया कि मेरे बेटे मनीष ने 18 फरवरी 2018 को राखी के साथ शादी की थी। वह सरस्वतीपुरम, शाहपुर के एक मकान में रहती थी। पांच जून से उसका मोबाइल बंद है। उसने मांग उठाई कि इस मामले की जांच की जाए। दीपक ने राखी के मकान मालिक पर अनहोनी करने संदेह जताया। एडीजी ऑफिस के स्टाफ अफसर ने उसी दिन मामले की जांच सीओ स्तर कराकर कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी।

27 अक्टूबर 2018: एडीजी से शिकायत के बाद भी बेटे पर कार्रवाई से परेशान होकर दीपक सिन्हा ने आईजीआरएस पर शिकायत दर्ज कराई। इसके निस्तारण में जांचकर्ता ने रिपोर्ट लगाई कि राखी के अपहरण के मामले में दीपक का बेटा मनीष अभियुक्त है। उसे बचाने के लिए वह बार-बार एप्लीकेशन दे रहा है। जांच में इस मामले की कोई पुष्टि नहीं पाई गई। इससे निराश होकर पिता जहां एप्लीकेशन देता रहा। वहीं बीएसएफ जवान मनीष सिन्हा दिल्ली और लखनऊ के चक्कर काटकर राखी मर्डर के पर्दाफाश की गुहार लगाता रहा।

वाराणसी जाने के लिए परिचित से मांगी गाड़ी

पुलिस की जांच में पता लगा है कि नेपाल जाने के लिए डॉक्टर ने अपने परिचित की गाड़ी मांगी थी। परिचित से बताया था कि अस्पताल कर्मचारियों संग उनको वाराणसी जाना है। वाराणसी जाने के बजाय डॉक्टर नेपाल निकल गया। पहले से भैरहवा पहुंची राखी से संपर्क साधकर उसे पोखरा से आगे सारण के कासकी में लेकर चला गया। बैदाम थाना क्षेत्र के एक होटल में कमरा लेकर ठिकाना बनाया। डॉक्टर ने अपने साथियों को बताया कि वह जब पहाड़ी पर गाड़ी लेकर पहुंचेगा तो हार्न बजाकर सबको बुला लेगा। इसके पहले कमरे में राखी को नशे की गोलियां दी गई। पुलिस से जुड़े लोगों का कहना है कि जो दवा राखी को खिलाई गई थी। उसका कोई सबूत पोस्टमार्टम रिपोर्ट में नहीं मिलता। यह जानकारी होने की वजह से डॉक्टर ने स्पेसफिक दवा यूज की।

रात में दो बजे फेंकी डेडबॉडी, लौट आए वापस

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह बात क्लीयर हो गई थी कि राखी को जहर नहीं दिया गया। डॉक्टर की योजना थी कि नशे की हालत में करीब ढाई सौ फिट से फेंकने पर एक्सीडेंट प्रमाणित हो जाएगा। हालांकि जब भेड़ चराने वालों की सूचना पर नेपाल पुलिस ने पोस्टमार्टम कराया तो लात-घुसों से पिटाई, सिर में चोट, पेट में चोट लगने से आंत फटने, मुंह से खून निकलने सहित कई बदन के कई हिस्सों में घाव के निशान मिले। लेकिन नशीली दवा देने से संबंधित कोई क्लू सामने नहीं आया। यह पता लगा करीब दो बजे के आसपास राखी की मौत हुई थी। उधर, से नेपाल से लौटते ही डॉक्टर ने राखी का मोबाइल फोन गुवहाटी भेज दिया।

करवटें बदलती बीती रात, किसी से नहीं हुई मुलाकात

राखी मर्डर के आरोप में जेल भेजे गए डॉक्टर डीपी सिंह को जेल के अस्पताल में रखा गया है। जबकि, उसके दोनों सहयोगियों को मुलाहिजा बैरक मिली। रविवार को डॉक्टर से मिलने कोई नहीं पहुंचा। शनिवार रात डॉक्टर ने जेल का भोजन नहीं किया। सिर्फ चाय पीकर काम चला लिया था। दिन में भी उसे जेल का खाना दिया गया। जेल से जुड़े लोगों का कहना है कि अस्पताल के वार्ड में उसके साथ करीब 15 मरीज भर्ती हैं। रातभर जागते हुए डॉक्टर इधर-उधर करवटें बदलता रहा।

वर्जन

डीपी सिंह को जेल के अस्पताल में एडमिट किया गया है। डॉक्टरों की रिपोर्ट के आधार उनको किसी अन्य संस्थान में भेजा जाएगा।

डॉ। रामधनी, वरिष्ठ जेल अधीक्षक

Posted By: Inextlive