नए सत्र में चुनाव बाद नई नीति लागू करने की तैयारी, शिक्षकों की नियुक्ति नियमों में भी बदलाव

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PRAYAGRAJ: वित्त विहीन स्कूलों की मनमानी रोकने के लिए शासन की तरफ से तैयारी शुरू हो गई है. ताकि वित्त विहीन स्कूल में प्रबंधकों की मनमानी को कंट्रोल किया जा सके. खासतौर पर वित्त विहीन स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया में भी बदलाव की तैयारी की जा रही है. इसके बाद शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया में कड़े नियमों को फॉलो करना अनिवार्य रहेगा. नई नीति को नए सत्र में चुनाव बाद लागू की जा सकती है.

सेवा सुरक्षा देने की तैयारी

वित्त विहीन स्कूलों में शिक्षकों के शोषण को लेकर कई बार मामले सामने आए हैं. इसमें प्रबंधन मनमाने ढंग से शिक्षकों को रखने और निकालने की प्रक्रिया अपनाता था. नई नीति में शिक्षको सेवा सुरक्षा के लिए धाराओं में बदलाव किया जा रहा है. हालांकि अभी मानदेय को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है.

पूर्ण कालिक शिक्षक कहा जाए

नई नीति को लेकर शिक्षक विधायक सुरेश कुमार त्रिपाठी ने बताया कि इसके लिए शिक्षक दल के सभी विधायक के साथ शासन की मीटिंग हुई. इसके बाद वित्त विहीन शिक्षकों की सेवा नियमावली बन गई है. शिक्षक विधायकों का प्रस्ताव था कि वित्त विहीन शिक्षकों को भी पूर्ण कालिक शिक्षक कहा जाए, अंशकालिक नहीं. इसे शासन ने मंजूर कर लिया. इसके बाद वर्तमान में जो नियुक्ति है और भविष्य में नियुक्त होंगे वे प्रापर ढंग से रखे जाएंगे. शिक्षकों को निकालने के लिए भी पूरे नियमों को फॉलो किया जाना अनिवार्य है. शिक्षक सेवा नियमावली की धारा सात क का विलोपन करते हुए धारा सात चार को लागू किए जाने की मांग भी शिक्षक विधायकों द्वारा की गई. हालांकि समान कार्य पर समान वेतन को लेकर भी चर्चा हुई. लेकिन इसको लेकर फिलहाल सहमति नहीं बनी है.

सेवा सुरक्षा नियमावली का तो स्वागत है. लेकिन जो न्यूनतम वेतन निर्धारण की बात है. उसमें यदि प्रबंधन के पास उतनी आय के साधन नहीं हैं तो प्रबंधन पर यह अतिरिक्त भार होगा. प्रबंधन कहां से अतिरिक्त भार उठाएगा.

प्रवीण पाण्डेय

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, शैक्षिक महा सभा उत्तर प्रदेश

वित्तविहीन शिक्षकों के सेवा सुरक्षा को लेकर लंबे संघर्ष के बाद शासन से सहमति बनी और नई नीति तैयार है. जहां तक न्यूनतम सैलरी की बात है तो उस पर सहमति नहीं बनी है.

सुरेश कुमार त्रिपाठी

शिक्षक विधायक

Posted By: Vijay Pandey