-धीमी गति से चल रहा है पीपा पुल बनाने का काम

-31 दिसंबर तक माघ मेले की तैयारियां पूरी होने में संशय

ALLAHABAD: जिस बात का डर था वही हुआ। माघ मेले की तैयारियों में एक बार फिर गंगा की लहरों ने मुश्किलें पैदा करनी शुरू कर दी हैं। एक ओर कटान तो दूसरी ओर रेत। इसकी वजह से पीपा पुलों के निर्माण में लगातार देरी हो रही है। कहने को जरूर तैयारियों की समय सीमा खत्म होने में पंद्रह दिन शेष हैं, लेकिन जिस रफ्तार से काम हो रहा है उससे पुलों के निर्माण में कहीं अधिक समय लग सकता है। इससे ठेकेदारों के होश उड़े हुए हैं तो मेला प्रशासन की बेचैनी बढ़ने लगी है।

पीपे सेट करने में छूट रहा पसीना

हर साल की तरह इस बार भी गंगा की कटान मेले की तैयारियों में बड़ी बाधा बनी हुई है। दारागंज की ओर गंगा के पूरे वेग से मुड़ जाने की वजह से कटान पैदा होने लगी है। सिचाई विभाग द्वारा पानी नहीं छोड़े जाने से झूंसी की ओर तेजी से रेती पड़ती जा रही है। इस तरह से पिछले चार दिनों में दो सौ मीटर रेत पड़ चुकी हैं। यह स्थिति पुलों का निर्माण कराने वालीं संस्था पीडब्ल्यूडी के होश उड़ाने के लिए काफी है। पीपा पुल बनाने वाले ठेकेदारों को पीछे हटकर पीपे लगवाने पड़ रहे हैं तो दूसरी ओर रेत पर पीपों को सेट करने में उनका पसीना छूट रहा है।

लेना पड़ रहा है जेसीबी की सहारा

बता दें कि पानी में दस पीपा लगाने में जितना समय लगता है, रेत पर उतनी देर में एक दो पीपे ही लगाए जा पा रहे हैं। फिलहाल इस काम में जेसीबी का सहारा लेना पड़ रहा है। मेले में पांच पीपा पुलों का निर्माण कराया जा रहा है। यह गंगा की धारा का ही कमाल है कि इस बार पुलों में पिछली बार के मुकाबले पीपे अधिक लग रहे हैं। काली पुल पर सौ की जगह 125, त्रिवेणी पुल पर 65 की जगह 15 पीपे लगने की उम्मीद की जा रही है। एक महीना गुजरने के बाद त्रिवेणी पुल पर केवल 7 पीपे ही लगाए जा सके थे। आगे चलकर मजदूरों को कटान के बाद रेत के टीलों का सामना भी करना होगा। ओल्ड जीटी पुल में 80 के मुकाबले 100 पीपे लगाए जा सकते हैं.हालांकि मोरी व महावीर पुल पर अभी पीपों की संख्या पिछले साल की तरह ही है। कर्मचारियों की मानें तो गंगा की धारा जिस तरह से बदल रही है, उससे दिक्कतें बढ़ेंगी और समय से कार्य पूरा होना मुमकिन नहीं हो सकेगा।

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जमीन आवंटन में फंस रहा पेंच

गंगा की कटान के चलते मेला एरिया में जमीन आवंटन में भी पेंच फसने लगा है। संगम के नजदीक जमीन चाहने वाली संस्थाओं को गंगा की कटान के चलते निराशा का सामना करना पड़ सकता है। प्रशासनिक अधिकारियों की मानें तो निर्धारित 1540 बीघे जमीन में मेला बसाने के लिए झूंसी की ओर से रुख करना पड़ सकता है। कई संस्थाओं को वहां जमीन की उपलब्धता होने पर यहां से शिफ्ट किया जा सकता है।

वर्जन

गंगा में जगह-जगह रेत पड़ती जा रही है। इससे पीपा पुलों को बनाने में दिक्कतें पेश आ रही हैं। समय के साथ मेहनत भी अधिक करनी पड़ रही है। फिर भी हमें उम्मीद है कि विपरीत परिस्थितियों में भी समय से काम पूरा करा लिया जाएगा।

-हंसराज यादव,

अधिशाषी अभियंता पीडब्ल्यूडी मेला विभाग

Posted By: Inextlive