आगरा. अपने किये की सजा काट रहे कैदी कानून का ककहरा सीख रहे हैं. अपनी इस नॉलेज का यूज वह सजा पा चुके अपने साथियों की हेल्प को करेंगे. निचली अदालत के निर्णय के अगेंस्ट ऊपरी अदालत में दायर होने वाली अपील तैयार करने का काम करेंगे.


लॉ एक्सपर्ट दे रहे ट्रेनिंगन्यायपालिका की ओर से जेल की चाहरदीवारी में बंद कैदियों को लॉ की बेसिक ट्रेनिंग दिलाए जाने का काम किया जा रहा है। इसके लिए लॉ एक्सपर्ट की सेवाएं ली जा रही हैं। उनके अनुसार जुडिशियरी सिस्टम की यह पहल जेल में बढ़ती कैदियों की भीड़ को कम करने को लेकर भी एक महत्वपूर्ण प्रयास साबित होगी।  क्वालीफाइड कैदी सिलेक्टस्टेट लीगल सर्विसेज ऑथरिटी के डायरेक्शंस के बाद डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विसेज ऑथरिटी के प्रेसीडेंट और डिस्ट्रिक्ट जज शशिकांत के डायरेक्शंस के अनुसार, जिला और सेंट्रल जेल में बाकायदा 10-10 पैरा लीगल वॉलेंटियर्स सिलेक्ट किए गए हैं। इनके सिलेक्शन में पहले जेल अधीक्षक के लेवल से कैदियों के रिकॉर्ड को परखा गया था। अच्छे आचरण के साथ ही एकेडिमिक रिकॉर्ड को भी देखा गया। साथियों की करेंगे हैल्प


डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विसेज ऑथरिटी के सेक्रेट्री और एसीजेएम चन्द्र प्रकाश तिवारी के अनुसार, ये सभी पैरा लीगल वॉलेंटियर्स सजायाफ्ता कैदियों की पैरवी में हैल्प करेंगे। इसके लिए इन्हें ट्रेनिंग दिलाई जा रही है। इस ट्रेनिंग के दौरान बंदियों को जेल के अंदर ही अपील तैयार करना, विधिक सहायता के साथ ही साथ विधिक प्रावधानों की भी जानकारी दिलवाई जा रही है। कुछ है लॉ ग्रेजुएट

बीए, एमए ही नहीं बल्कि कुछ बंदी  तो एमएससी और बीएड तक कंप्लीट कर चुके हैैं। कई कैदियों ने कानून की पढ़ाई भी की है। जिला कारागार में निरुद्ध आफताब खां और अखिलेश ने बीए एलएलबी कंप्लीट कर रखा है। यही वजह है कि इन क्वालीफाइड कैदियों को डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विसेज ऑथरिटी की ओर से पैरा लीगल वॉलेंटियर की लिस्ट में शामिल कर यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी है। लॉ एक्सपर्ट लक्ष्मीचंद बसंल के अनुसार, अथॉरिटी की ओर से की जा रही यह कोशिश निश्चित ही जेलों में बढ़ती कैदियों की भीड़ को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।

Posted By: Inextlive