- स्टूडेंट्स को महंगी किताबें खरीदने के लिए मजबूर करने वाले स्कूलों को दिए थे शिक्षा विभाग ने नोटिस

- 25 परसेंट निजी स्कूलों ने ही दिए नोटिस के जवाब, शिक्षा विभाग पर परेशान करने का आरोप

देहरादून, निजी स्कूलों की मनमानी के आगे शिक्षा विभाग बेबस नजर आ रहा है। हाल ही में विभाग द्वारा दून के निजी स्कूलों को स्टूडेंट्स को महंगी किताबें खरीदने के लिए मजबूर करने के मामले में नोटिस सर्व किये थे। नोटिस से जवाब में निजी स्कूलों ने खुद शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। स्कूल संचालकों ने कहा कि कोर्ट ने स्कूलों को जो निर्देश दिए हैं, उनका वे पूरी तरह से पालन कर रहे हैं, लेकिन शिक्षा विभाग उन्हें परेशान कर रहा है। इसे लेकर निजी स्कूल संचालक अब विरोध में उतर आए हैं।

शिक्षा विभाग ने किया था इंस्पेक्शन

शिक्षा विभाग द्वारा चार जिलों के प्राइवेट स्कूलों में इंस्पेक्शन किया गया था कि निजी स्कूलों में एनसीईआरटी की बुक्स के अलावा रिफरेंस बुक्स किस दाम की लगाई गई हैं। इंस्पेक्शन की रिपोर्ट टीम द्वारा डीजी एजुकेशन को सौंपी गई। रिपोर्ट से खुलासा हुआ कि 181 स्कूलों में एनसीईआरटी की कीमत से ज्यादा की किताबें स्टूडेंट्स से मंगवाई गईं। इस पर डीजी ने सभी स्कूलों को नोटिस भेजा। सिर्फ 50 स्कूलों ने ही अब तक नोटिस का जवाब दिया है। इस जवाब में भी शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठाए गए हैं।

निजी स्कूल संचालकों का आक्रोश

नोटिस का कोई औचित्य नहीं

चिल्ड्रन एकेडमी के ओनर प्रेम कश्यप ने बताया कि शिक्षा विभाग ने स्कूल को नोटिस जारी कर एनसीईआरटी बुक्स लगाने को लेकर जवाब मांगा, जबकि शिक्षा विभाग को पहले ही सभी बुक्स की लिस्ट दी जा चुकी है। प्रेम कश्यप ने बताया कि स्कूल में सारी बुक्स एनसीईआरटी की लगाई गई हैं। लेकिन जो बुक्स एनसीईआरटी की उपलब्ध नहीं है जैसे क्लास 11, 12 की पेंटिंग, कम्प्यूटर, मॉरल साइंस, वैल्यू एजुकेशन की बुक्स ही दूसरे प्रकाशकों की लगाई गई है। ऐसे में विभाग के नोटिस का कोई औचित्य नहीं है।

जबरन किया जा रहा परेशान

सहस्त्रधारा रोड स्थित शालिनी स्कूल के संचालक संजय श्रीवास्तव का कहना है कि कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि जो भी रिफरेंस बुक्स लगाई जाएंगी वो जहां तक सम्भव हो एनसीईआरटी बुक्स के दाम के बराबर होंगी। जबकि शिक्षा विभाग सभी बुक्स को लेकर सवाल खड़ा कर रहा है। जो स्कूलों को जबरन परेशान करने का प्रयास है। उन्होंने बताया कि एनसीईआरटी की मुख्य विषयों की तो बुक्स है लेकिन ग्रामर, हिन्दी व्याकरण, जीके, कम्प्यूटर आदि कई विषयों की बुक्स नहीं है, ऐसे में स्कूलों के पास ऑप्शन्स नहीं है। उन्होंने बताया कि स्कूलों में पैरेंट्स की सहमति पर ही कम कीमत की बुक्स लगाई गई है।

Posted By: Inextlive