केजीएमयू में जूनियर प्रोफेसर बनेंगे प्रो-वीसी!
-सीनियर फैकल्टी को डीन बनाने का है नियम
-नियमावली में बदलाव से केजीएमयू टीचर्स में विरोध शुरु LUCKNOW: केजीएमयू में अब दोबारा प्रो। वीसी पोस्ट किए जा सकेंगे। मंगलवार को कैबिनेट ने इसके लिए केजीएमयू के एक्ट में बदलाव को हरी झंडी दी थी। इसके बाद से केजीएमयू की फैकल्टी में घमासान की स्थिति है। फैकल्टी का कहना है कि एक बार फिर से जूनियर प्रोफेसर्स का ही प्रो वीसी बनने का रास्ता साफ कर दिया गया है। पहले खत्म हुआ था पदगौरतलब है कि केजीएमयू के यूनिवर्सिटी बनने के बाद केजीएमयू में प्रो वीसी का पद रखा गया था। आर्थोपेडिक विभाग के पूर्व एचओडी प्रो। ओपी सिंह को पहला प्रो वीसी बनाया गया था। लेकिन केजएमयू के एक्ट में प्रावधान है कि सीनियर मोस्ट फैकल्टी को डीन बनाया जाएगा। इससे जूनियर्स को प्रो वीसी बनने का रास्ता साफ हो गया। इसका उस समय काफी विरोध हुआ था।
मुलायम सरकार ने खत्म किया पद2004 में मुलायम सिंह की सरकार ने इस पद को समाप्त कर दिया था। उस समय कहा गया था कि कुलपति द्वारा प्रो वीसी को तैनात करने की व्यवस्था की गई थी। लेकिन प्रोफेसरों की सीनियारिटी को ध्यान में न रखकर प्रो वीसी की तैनाती की जा रही है। जूनियर्स को ही प्रो वीसी तैनात किया जा रहा है। विभिन्न संकायों में पहले से ही अध्यक्ष या डीन तैनात किया जा रहा है इसलिए प्रति कुलपति या प्रो वीसी पद समाप्त किया जाए। इस कारण नियमावली में संशोधन करते हुए इसे 27 फरवरी 2004 को समाप्त कर दिया गया।
सीनियर नहीं बन सकेंगे डीन केजीएमयू के एक सीनियर प्रोफेसर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि केजीएमयू में पहले से ही मेडिसिन और डेंटल फैकल्टी हैं। अब दो और फैकल्टी जोड़ी गई हैं जिनमें डीन नर्सिंग और डीन पैरामेडिकल को भी तैनात किया जाएगा। एक्ट के प्रावधान के अनुसार सबसे सीनियर चार प्रोफेसरों को डीन बनाना होगा। उनसे जूनियर फैकल्टी को ही प्रो वीसी बनने का मौका मिलेगा।