- कॉलोनी के आई-ब्लॉक में किसी भी कम्यूनिकेशन कंपनी का नहीं है मोबाइल नेटवर्क

- इलाके के लोगों ने ह्यूमन राइट कमीशन तक पहुंचाई कंप्लेन, मोबाइल नेटवर्क की अपील

- संचार क्रांति के इस दौर में बिना नेटवर्क के इलाके के लोगों का जीना हुआ मुश्किल

देहरादून.

शहर के सबसे पॉश इलाके नेहरू कॉलोनी में किसी भी कम्यूनिकेशन कंपनी का मोबाइल नेटवर्क न होने से लोगो का जीना मुहाल हो गया है. संचार क्रांति के इस दौर में नेहरू कॉलोनी के आई ब्लॉक एरिया में डेढ़ साल से कोई मोबाइल नेटवर्क नहीं आ रहा. नेटवर्क के कारण घरेलू झगड़े तक बढ़ रहे हैं, लोगों के रिश्ते तक टूट गए. कुछ लोग मकान शिफ्ट करने का मन बना चुके हैं. इतना ही नहीं नेटवर्क का यह मामला अब स्टेट ह्यूमन राइट कमीशन तक जा पहुंचा है.

मानवाधिकार आयोग से नेटवर्क के लिए अपील

नेहरू कॉलोनी के आई ब्लॉक में रहने वाले लोग जब सभी कंपनी के सिम खरीद-खरीद कर परेशान हो गए, तब भी मोबाइल नेटवर्क नहीं मिला तो उन्होंने ह्यूमन राइट कमीशन से कंप्लेन की और इलाके में मोबाइल नेटवर्क बहाल करने की अपील की. कमीशन द्वारा लोगों को आश्वासन दिया गया.

नेटवर्क के लिए छत और पार्क तक दौड़

मोबाइल नेटवर्क की तलाश में यहां के बाशिंदे घरों की छत और पार्क एरिया की ओर दिन भर दौड़-भाग करते देखे जाते हैं. कोई इमरजेंसी कॉल आनी होती है तो जब तक बात नहीं हो जाती पार्क या घर की छत पर ही डटे रहते हैं. ऐसे में वक्त जाया होता है और घर के दूसरे मेंबर्स को भी दिक्कत होती है. तेज धूप या बारिश के दौरान तो छत या पार्क में खड़ा रहना भी मुश्किल हो जाता है.

रिश्तेदार देते हैं ताना

नेटवर्क न होने के चलते इलाके के लोग जब काफी दिनों तक रिश्तेदारों से बात नहीं कर पाते तो उन्हें ताना मिलता है कि वे दून जाकर या पॉश एरिया में जाकर बदल गए हैं. ऐसे में रिश्तेदार भी हाल-चाल लेने के लिए कॉल करना अवॉइड करने लगे हैं और रिश्तों में दरार बढ़ रही है.

भाई-बहन चले गए

इलाके में रहने वाली बबीता ने बताया कि 3 महीने पहले उनके भाई-बहन कोटद्वार ये यहां कोचिंग करने आए थे. दून में पढ़ाई को लेकर वे बेहद खुश थे. बबीता के घर पर वे रहने लगे तो देखा कि यहां तो मोबाइल नेटवर्क की नहीं है. ऐसे में उनकी पढ़ाई भी प्रभावित होती थी. तो दोनों अपना सामान समेटकर वापस चले गए.

पति से बात करने को लंबा इंतजार

राखी ने बताया कि उनके पति जापान में जॉब करते हैं. मोबाइल नेटवर्क नहीं होने की वजह से वह उन्हें किसी भी समय फोन नहीं कर पाती. ऐसे में पति से बात करने के लिए उन्हें पहले से टाइम दिया जाता है ताकि वह घर की छत पर पति की कॉल का उस समय वेट कर सके और बात हो पाए.

घर से बाहर ही हो पाती है बात

हरभजन ने बताया कि कुछ साल पहले तक तो किचन में काम करते-करते ही बात कर लिया करती थी. लेकिन डेढ़ साल से किचन क्या, घर के किसी भी कोने में मोबाइल नेटवर्क नहीं आ रहा. ऐसे में फोन लेकर घर से बाहर निकलना पड़ता है.

बच्चों के होमवर्क में भी दिक्कत

सविता ने बताया कि कई बार बच्चों का होमवर्क स्कूल द्वारा व्हाट्सएप ग्रुप पर सेंड किया जाता है. नेटवर्क न होने के कारण स्कूल का मैसेज डिलीवर नहीं हो पाता, ऐसे में होमवर्क का पता ही नहीं चलता. बिना होमवर्क बच्चे स्कूल जाते हैं तो वहां डांट पड़ती है.

कोटद्वार से पति कराते हैं होमवर्क अपडेट

राजीव शर्मा ने बताया कि वे कोटद्वार में टीचर हैं. जबकि फैमिली नेहरू कॉलोनी में ही रहती है. बताया कि यहां नेटवर्क नहीं होने के चलते वे बच्चे का होमवर्क कोटद्वार में मंगवाते हैं. तब पत्‍‌नी बाहर जाकर कॉल करती है तो उसको होमवर्क भेजते हैं. बताया कि स्कूल की सभी कॉल कोटद्वार में उनके फोन पर ही आती हैं.

नेटवर्क कराता है पत्नी से झगड़ा

बीए शर्मा ने बताया कि ऑफिस से लगातार जरूरी फोन कॉल्स आती हैं, जिन्हें अटैंड करने के लिए उन्हें कई बार घर की छत पर जाना पड़ता है. कई बार जरूरी डाटा डाउनलोड करना पड़ता है तो छत पर देर तक रहना पड़ता है. ऐसे में वाइफ चिढ़ जाती है और आए दिन दोनों के बीच झगड़ा हो जाता है.

इलाके में मोबाइल टावर तो लगा है, लेकिन चेक करवाया जाएगा कि इस इलाके में किस कारण दिक्कत है. मोबाइल टावर अपने चारों ओर 360 डिग्री एंगल पर काम करता है, लेकिन कई बार बीच में मल्टीस्टोरी बिल्डिंग होने से एक खास इलाके में नेटवर्क नहीं पहुंच पाता.

- अशोक कुकरेती, एसई, शहर, बीएसएनएल

Posted By: Ravi Pal