8 लाख रुपये में ग्राम विकास अधिकारी बनाने का लिया था ठेका

1.5 लाख रुपये प्रत्येक अभ्यर्थी से बतौर बयाना वसूले

 

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MEERUT : पश्चिम उत्तर प्रदेश में प्रतियोगी परीक्षाओं में सेंधमारी कर लिखित परीक्षा पास कराने का कार्य गैंग कर रहा है। इस गैंग में सॉल्वर्स के रूप में इंटर कॉलेज के लेक्चरार और प्रोफेसर तक कार्य करते हैं। दरअसल, पुलिस ने 8 लाख रुपये में ग्राम विकास अधिकारी की लिखित परीक्षा पास कराने वाले अरविंद राणा गैंग के दो गुर्गो को दबोच लिया। एसपी सिटी रणविजय सिंह ने प्रेसवार्ता में बताया कि पल्लवपुरम निवासी विदवेश कुमार उर्फ बिल्ला पुत्र रामनिवास जनता इंटर कालेज फलावदा में सिविक्स का लेक्चरार है। जबकि दूसरे सॉल्वर मुरादनगर निवासी विपिन डागर ने पीएचडी धारक है। वह एक डिग्री कालेज में प्रोफेसर है। आरोपी विपिन डागर के तीनों भाई भी डिग्री कॉलेज में प्रोफेसर है।

 

आठ लाख का रेट निर्धारित

एसपी सिटी रणविजय सिंह ने बताया कि वीडीओ की लिखित परीक्षा पास कराने के लिए 8 लाख रुपये का रेट निर्धारित कर रखा था। इसके लिए तकरीबन 150 अभ्यर्थियों ने बतौर बयाना डेढ़-डेढ़ लाख रुपये जमा भी कर दिए। पुलिस ने दोनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करके हवालात में डाल दिया।

 

तीन साल से सक्रिय गैंग

पुलिस लाइन में आयोजित प्रेसवार्ता में एसपी सिटी रणविजय सिंह ने बताया कि बड़ौत निवासी अरविंद राणा का गैंग समूचे उत्तर प्रदेश में सक्रिय है। इस गैंग के गुर्गे मेरठ में आयोजित हुई वीडीओ की परीक्षा में पास कराने के नाम पर वसूली कर रहे हैं। दोनों के पास से पांच एटीएम कार्ड, अभ्यर्थियों के प्रवेश पत्र की छायाप्रति, आंसर शीट, चयनित छात्रों के रोलनंबर की छायाप्रति आदि बरामद हुई।

 

फरार है सरगना

पुलिस के मुताबिक वेस्ट यूपी में जितने भी सॉल्वर गैंग हैं। उनका सरगना बड़ौत निवासी अरविंद राणा है। फिलहाल अरविंद राणा की तलाश में एसटीएफ जुटी है।

 

10 मिनट में 50 हजार कमाते हैं सॉल्वर

पहले जहां कोचिंग संस्थाएं प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए छात्रों को बेहतर शैक्षणिक माहौल देकर तैयार करती थी, वहीं अब पश्चिम उत्तरप्रदेश में कुछ कोचिंग संस्थाएं प्रतियोगी परीक्षाओं में सेंधमारी कराने में जुटी हैं। एसटीएफ के सीओ ब्रिजेश कुमार ने बताया कि सॉल्वर गैंग ने वेस्ट यूपी में गहरी जड़ें जमा ली हैं। सॉल्वर को 10 से 20 मिनट में पेपर हल करने के लिए तकरीबन 50 हजार रुपये दिए जाते हैं। ऐसे में कई कोचिंग सेंटर्स की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है।

 

कोचिंग सेंटर्स पर नजर

एसटीएफ के मुताबिक बड़ौत, मेरठ, सहारनपुर, बागपत, बिजनौर, शामली, हापुड़ में कई ऐसे कोचिंग सेंटर हैं। जहां पर सॉल्वर्स अभ्यर्थियों को नौकरी का लालच देकर रुपये वसूलते हैं। उन पर भी नजर रखी जा रही है।


ऐसे काम करते हैं सॉल्वर

- एसटीएफ के सीओ ब्रिजेश कुमार ने बताया कि अधिकतर कोचिंग सेंटर में पढ़ाने वाले टीचर्स को ही सॉल्वर बनाते हैं।

 

- कम से कम समय पेपर हल करने के एवज में उन्हें अच्छी खासी रकम भी दी जाती है।

 

- वहीं कुछ जगहों पर हेराफेरी करके अभ्यर्थी की जगह सॉल्वर को ही परीक्षा में बैठाया जाता है।

 

- पेपर हल करने के लिए सॉल्वर को 50 हजार रुपये दिए जाते हैं।

 

- इनमें अधिकतर इंजीनियर, टीचर, क्लर्क आदि होते हैं जो आसानी से पेपर को हल कर देते हैं।

 

- इसके अलावा परीक्षा केंद्रों के प्रबंधकों से मिलीभगत करके अपने गैंग के सॉल्वर को कक्ष निरीक्षक बनाया जाता है।

 

- इसके बाद यह कक्ष निरीक्षक व्हाट्सऐप या अन्य किसी माध्यम से क्वेश्चन पेपर की फोटो खींचकर बाहर भेजता है।

 

- इसके बाद कुछ ही समय में पेपर हल होकर आ जाता है और अभ्यर्थी को सही आंसर बता दिए जाते हैं।

Posted By: Inextlive