मिस्र में हुए राष्ट्रपति चुनाव में मोहम्मद मुर्सी को विजेता घोषित किया गया है. वैसे मुर्सी मुस्लिम ब्रदरहुड की पहली पसंद नहीं थे लेकिन बाद में उसने अपनी फ्रीडम एंड जस्टिस पार्टी के नेता को उम्मीदवार बना दिया.

60 साल के मुर्सी को मिस्र के राष्ट्रपति चुनाव के पहले चरण में 24 फीसदी वोट मिले थे। दूसरे चरण में उनका मुकाबला अहमद शफीक से थे जो कुछ समय पहले तक देश के प्रधानमंत्री थे। मुर्सी नील डेल्टा के प्रांत शरकिया के एक गाँव से आते हैं और उनके चार बच्चे हैं। उन्होंने 70 के दशक में काहिरा यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की और बाद में पीएचडी करने अमरीका चले गए।

बाद में वो जागाजिग यूनिवर्सिटी में इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख बन गए। धीरे-धीरे मुस्लिम ब्रदरहुड में उनकी पैठ बढ़ने लगी और वे उसके गाइडेंस ब्यूरो में शामिल हो गए। उन्होंने वर्ष 2000 से वर्ष 2005 तक ब्रदरहुड के संसदीय ब्लॉक में बतौर निर्दलीय काम किया।

शांत स्वभाव, अच्छे वक्ता

बतौर सांसद मुर्सी की वाक-पटुता की तारीफ होती थी। उन्हें ब्रदरहुड का प्रवक्ता बनाया गया और पिछले साल मुबारक के सत्ता से हटने के बाद वे फ्रीडम पार्टी के अध्यक्ष बन गए। अपने संयमित और शांत रवैये के कारण वे लोगों में लोकप्रिय रहे। शुरु में शक जताया जा रहा था कि क्या पेशे से इंजीनियर और शांत रहने वाले मुर्सी राष्ट्रपति चुनाव में वोटरों के बीच जगह बना पाएँगे।

उन पर ये आरोप लगाए गए कि मुस्लिम ब्रदरहुड राजनीतिक परिदृश्य पर अपनी धाक जमाना चाहता है। मुर्सी कहते आए हैं कि वे एक लोकतांत्रिक, सभ्य और आधुनिक राष्ट्र बनाना चाहते हैं जहाँ धार्मिक आजादी हो और लोग शांतिपूर्ण तरीके से विरोध कर पाएँ।

वे तो यहाँ तक कह चुके हैं कि ये जरूरी नहीं है कि प्रधानमंत्री संसद मे सबसे बड़ी पार्टी एफजेपी का ही हो और वो कॉप्टिक ईसाई समुदाय से किसी को अपना सलाहकार बना सकते हैं। मुर्सी ने कहा है कि इस्लामिक पहनावा जबरदस्ती नहीं थोपा जाएगा।

Posted By: Inextlive