JAMSHEDPUR: मैनेजर्स को बिजनेस और लाभ से परे सोचना होगा। इसके लिए नैतिक मूल्यों को आत्मसात करना जरूरी है। नैतिकता पाठ्यक्रम एक अनिवार्य पहलू होना चाहिए। यह कहना था ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्नीकल इंस्टीट्यूट (एआइसीटीई) के चेयरमैन डॉ। अनिल डी सहस्त्रबुद्धे का। सोमवार को वे एक्सएलआरआइ में आयोजित इंटरैक्टिव सेशन 'भारत में उच्च शिक्षा का भविष्य-भारत में प्रबंधन शिक्षा' पर विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मैनेजर को फॉलोअर नहीं, लीडर बनना होगा। उन्हें समाज को वापस देने में खुद को जोर देना चाहिए। नए आइडिया सोचना होगा। मैनेजर, लीडर व उद्यमियों का मिश्रण वाले प्रबंधन स्नातकों की आज आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा उत्कृष्टता का अभिव्यक्ति होनी चाहिए और अकेले एक अकादमिक पाठ्यक्रम पर्याप्त नहीं है। छात्रों के समग्र विकास प्रदान करने के लिए अकादमिक संस्थानों में पर्याप्त पाठ्यक्रम के इतर गतिविधियां बढ़ानी होगी। शिक्षा आउटपुट आधारित होनी चाहिए। एक अच्छा बुनियादी ढांचा, प्रयोगशालाएं, पुस्तकालय इनपुट का हिस्सा हैं, लेकिन आउटपुट आधारित शिक्षा में कोर्स के अलावा समाज में चल रहे ट्रेंड के बारे में जानने का अवसर प्राप्त होता है। छात्रों के पास सामाजिक दृष्टिकोण होना चाहिए और मौजूदा समस्याओं और समाज की मांगों के प्रति संवेदनशील होना होगा। उन्होंने भारत के असंगठित क्षेत्र में प्रचलित अवसरों पर जोर दिया। डॉ। सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि छात्रों को छोटे और मध्यम-स्तर के उद्योगों में नौकरी के अवसर पैदा करने के तरीकों को ढूंढ़ना चाहिए। छात्रों को ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करने की दिशा में सोचना चाहिए। डेयरी, कुकुट पालन, कृषि, बागवानी जैसे क्षेत्रों को महत्वपूर्ण उद्यमशील उद्यमों के रूप में भी देखा जाना चाहिए।

पहल पर प्रकाश डाला

डॉ अनिल डी सहस्त्रबुद्धे ने 'मार्गदर्शन' नामक एआइसीटीई की पहल पर प्रकाश डाला, जिसमें उत्कृष्टता के मानकों को प्राप्त करने के लिए संघर्ष करने वाले संस्थानों के संकाय को अपनी शिक्षण नीतियों और पद्धति का पालन करने के लिए क्रीम संस्थानों में आमंत्रित किया जाता है। इस अवसर पर, उन्होंने भारत में शिक्षा के भविष्य में तेजी लाने के लिए एमएचआरडी विभाग द्वारा किए गए कदमों के बारे में भी बात की। स्मार्ट इंडिया हैकथॉन जैसी पहल, सभी अकादमिक प्रमाणपत्रों और डिग्री की ऑनलाइन उपलब्धता के लिए राष्ट्रीय शैक्षिक डिपोजिटरी, देश में विदेशी छात्रों को आकर्षित करने के लिए भारत में अध्ययन देश की शिक्षा प्रणाली में सुधार और सुधार के लिए सभी कदम उठाए गए हैं।

आइआइएम अधिनियम के संबंध में एक्सएलआरआइ छात्रों के प्रश्नों के जवाब में प्रोफेसर सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि सभी पीजीडीएम पाठ्यक्रम आइआइएम द्वारा प्रदान किए गए एमबीए कोर्स के स्तर का है। उन्होंने कहा कि स्कूली स्तर पर छात्रों को न केवल उच्च शिक्षा में ही प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, बल्कि पारंपरिक दायरा से हटकर सोचने वाले विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया जा सके।

Posted By: Inextlive