- पहले एथलेटिक्स मीट के इनॉगरेशन और समापन में खराब की इमेज

- वहीं दीक्षांत सप्ताह की शुरुआत में ही घेराव कर कराई किरकिरी

- कोर्ट में मामला लंबित होने के बाद भी कर रहे हैं प्रदर्शन

केस - 1

गोरखपुर यूनिवर्सिटी की एथलेटिक्स मीट में 100 से ज्यादा कॉलेज के खिलाड़ी, उनके टीम मैनेजर और मेहमान पहुंचे थे। इस दौरान छात्र नेताओं ने वीसी को स्पो‌र्ट्स काउंसिल ग्राउंड पर करीब 45 मिनट तक कैद रखा। इसके बाद पुलिस बल की मौजूदगी में किसी तरह उन्हें बाहर निकाला गया। स्टूडेंट्स वहां भी यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते रहे।

केस - 2

यूनिवर्सिटी एथलेटिक्स मीट के समापन पर फिर स्टूडेंट्स लीडर्स ने बखेड़ा खड़ा कर दिया। इस दौरान उन्होंने न सिर्फ वीसी की गाड़ी को कैंपस में घुसने से रोका, बल्कि उनकी गाड़ी के सामने लेट गए। वहीं गेट पर भारी पुलिस तैनात थी, जिनसे कई राउंड उनकी झड़प भी हुई। वहीं प्रॉक्टर की मौजूदगी में उनके खिलाफ भी जमकर नारेबाजी की।

केस - 3

गोरखपुर यूनिवर्सिटी के दीक्षांत सप्ताह समारोह की शुरुआत सोमवार को हुई। इस दौरान छात्र नेताओं ने संवाद भवन में चल रहे कार्यक्रम में ही बवाल करना शुरू कर दिया। इस दौरान बतौर चीफ गेस्ट उच्च शिक्षा विभाग नई दिल्ली के प्रो। सुधांशु भूषण के सामने ही छात्र नेताओं ने हंगामा करना शुरू कर दिया। वीसी की गाड़ी रोककर उन्होंने खूब बवाल काटा।

यह तीन एग्जामपल को हाल-फिलहाल के हैं। छात्र नेताओं के ऐसे कई एग्जामपल हैं, जिसमें उन्होंने ऐसे कारनामे कर दिए हैं, जिससे यूनिवर्सिटी की इमेज को धक्का लगा है। इसमें कुछ धरना और प्रदर्शन तो जेनविन है, जिसमें यूनिवर्सिटी ने गलती की है, लेकिन इन दिनों चलने वाले विरोध प्रदर्शन को यूनिवर्सिटी के जिम्मेदार कहीं से भी ठीक नहीं मान रहे हैं। उनका कहना है कि यूनिवर्सिटी के हाथ में अगर यह होता, तो उन्होंने कोई फैसला कर लिया होता, लेकिन अब मामला कोर्ट में है और चाहते हुए भी यूनिवर्सिटी कोई कदम नहीं उठा सकती है। इसलिए छात्र नेताओं को विरोध करने से पहले कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए।

मामला पेंडिंग फिर भी चुनाव की मांग

इन दिनों यूनिवर्सिटी में जो भी विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, वह सभी प्रदर्शन छात्रसंघ चुनाव की मांग को लेकर किए जा रहे हैं। स्टूडेंट्स लीडर्स जोकि खुद ही कोर्ट गए हैं और इसकी वजह से मामला पेंडिंग है, तो उन्हें कम से कम कोर्ट का फैसला आने तक तो विरोध नहीं करना चाहिए। कोर्ट में जो तारीखें लगी थीं, उनमें यूनिवर्सिटी ने लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों को आधार बनाते हुए चुनाव न कराने का हलफनामा दिया है। वहीं उनका यह भी कहना है कि इन दिनों यूनिवर्सिटी का माहौल ठीक नहीं है, जिसकी वजह से चुनाव कराया जाना ठीक नहीं है। कोर्ट ने अगली डेट दे दी है। इसमें यूनिवर्सिटी कुछ और सबूत व कागजात पेश करेगी, जिसके बाद कोर्ट का फैसला आएगा। जब तक कोर्ट यूनिवर्सिटी को चुनाव कराने के लिए निर्देश नहीं देती, तब तक यूनिवर्सिटी चुनाव नहीं करा सकती।

वर्जन

प्रदर्शन करना छात्रों का अधिकार है, लेकिन इसमें वह इतने अराजक न हो जाएं कि यूनिवर्सिटी की छवि धूमिल हो। दीक्षांत सप्ताह चल रहा है, इसमें बाहर से मेहमान आ रहे हैं। जो भी व्यवधान करने की कोशिश करेगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

- प्रो। गोपाल प्रसाद, चीफ प्रॉक्टर

चुनाव का मामला कोर्ट में पेंडिंग है, छात्र बेवजह विरोध कर रहे हैं। कोर्ट जब तक कोई फैसला नहीं दे देता, यूनिवर्सिटी इस संबंध में कोई निर्णय नहीं ले सकती है। बाकी कोर्ट का जैसा निर्देश होगा, वैसा किया जाएगा। बेवजह विरोध करने से यूनिवर्सिटी की इमेज खराब हो रही है।

- प्रो। ओपी पांडेय, चुनाव अधिकारी

Posted By: Inextlive