PRAYAGRAJ: सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान लाइसेंस के आश्रितों को अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निर्देश जारी किए हैं। कोर्ट ने कहा है कि आश्रित के पिता (मूल आवंटी) की ख्याति को आधार बनाना अनुचित है। कोर्ट ने इस संबंध में कहा कि 17 अगस्त 2002 के शासनादेश प्रावधान 10 झ अनुच्छेद 14, 15 व 21 का यह उल्लंघन करता है। मामले में सरकार के पास पुनर्विचार हेतु भेजते हुए नीति बनाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने प्रमुख सचिव खाद्य व नागरिक आपूर्ति को निर्देश दिया है कि वह सरकारी दुकान अनुकंपा के आधार पर किए जाने के संबंध में इस आदेश में की गई टिप्पणियों को ध्यान में रखकर नीति बनाएं। यह आदेश बुधवार के जस्टिस अजय भनोट ने मनोज यादव, आफाक अहमद व कई अन्य की याचिकाओं पर दिया है। कोर्ट ने कहा कि जब तक नई नीति नहीं बन जाती है तब तक अनुकंपा के आधार पर दी गई अर्जी पर आवंटन नहीं किया जाए। बता दें कि शासनादेश की धारा में प्रावधान है कि जिस आवंटी की ख्याति अच्छी हो उसी के आश्रित को अनुकंपा आधार पर सरकारी गल्ले की दुकान का लाइसेंस दिया जाए, जिसे कोर्ट में चुनौती दी गई है।

Posted By: Inextlive