क्कन्ञ्जहृन्: सूबे की सरकार दिव्यांगों के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं चलाने की बात कर रही है। दूसरी ओर दिव्यांगों के लिए पटना यूनिवर्सिटी के कैंपस में बने मिंटो हॉस्टल की स्थिति दयनीय है। दिव्यांगों के रहने के लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से उचित प्रबंध नहीं किया गया है। छत टूट चुके हैं जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। जब दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम हॉस्टल कैंपस पहुंची तो कई खामियां दिखी, आज आप भी पढि़ए स्पेशल रिपोर्ट

डरे-सहमे रहते हैं स्टूडेंट्स

कैंपस में पटना यूनिवर्सिटी स्तर पर एक मात्र मिंटो हॉस्टल है। बड़े संघर्ष के बाद इस हॉस्टल का निर्माण समाज कल्याण विभाग ने किया था। लेकिन इसके बाद रिनोवेशन नहीं किया गया। अभी स्थिति जर्जर है। हॉस्टल के बिल्डिंग पर घास-फूस उग आए हैं। कई खिड़की तो वर्षो से टूटी हैं। राजीव रंजन सहित 24 स्टूडेंट्स इस हॉस्टल में रहते हैं।

इनका कहना है कि हॉस्टल में डरे-सहमे किसी तरह रात गुजारते हैं। यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से सिक्योरिटी की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। इसके अलावा सफाई और मेस की भी कोई व्यवस्था नहीं है। पीयू प्रशासन को लिखित रूप से शिकायत के बाद कोई एक्शन आज तक नहीं हुआ है। कमरा नंबर 10 की छत में दरारें आ गई हैं।

घट रही स्टूडेंट्स की संख्या

एक समय था जब पीयू के मिंटो हॉस्टल में 50 दिव्यांग स्टूडेंट्स रहते थे। हॉस्टल में 10 कमरे बनवाए गए। लेकिन सुविधा के अभाव में अब स्टूडेंट्स की संख्या घट कर 25 रह गई है।

नाम नहीं छापने की शर्त पर एक स्टूडेंट ने बताया कि दो-चार महीने में एक बार साफ-सफाई के नाम पर सिर्फ औपचारिकता पूरी की जाती है।

दिव्यांग हॉस्टल पीयू के अंतर्गत नहीं है। न ही ऑफिसियल तौर पर पीयू के कोई स्टूडेंट यहां रहते हैं। फिर भी हम मानवता के नाते स्टूडेंट्स को समय-समय पर मदद करते रहते हैं। समाज कल्याण विभाग को पत्र लिखने पर जवाब मिला है कि समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत ये हॉस्टल नहीं है।

-प्रो। एनके झा, डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर पटना यूनिवर्सिटी

इस विषय में मैं फोन पर कुछ नहीं कह सकती हूं। हॉस्टल की कहानी अगर सुनना है तो हमसे मिलकर बात करिए।

-मंजू वर्मा, मंत्री समाज कल्याण विभाग, बिहार सरकार

Posted By: Inextlive