- किराया और पेट्रोल डीजल फूंक कर हो जाते हैं वापस

- हड़ताल की पहले से आम जनता को होनी चाहिए जानकारी

आगरा। कलेक्ट्रेट के कर्मचारियों की 11 सूत्रीय मांगों में फरियादी पिस रहे हैं। विभिन्न कार्यो से फरियादी कलेक्ट्रेट पहुंच रहे हैं, लेकिन उनकी समस्या का समाधान कर्मचारियों की हड़ताल की वजह से प्रभावित हो रहा है। सैकड़ों की संख्या में कलेक्ट्रेट पहुंचने वाले फरियादियों को पता नहीं होता कि कर्मचारी हड़ताल पर हैं। उन्हें तभी पता चलता है जब वे कलेक्ट्रेट पहुंच जाते हैं, फिर मायूस होकर लौट जाते हैं।

किराया खर्च कर लौट जाते हैं

कोई फरियादी बाह से आता है तो कोई जगनेर और पिनाहट से जब उन्हें यह पता चलता है कि हड़ताल पर है तो वे मायूस हो जाते है। फिर कोसने लगते हैं व्यवस्था को। व्यवस्था पर सवाल खड़े करते हुए कोमल सिंह निवासी पिनाहट कहते हैं कि अगर हड़ताल की जाती है तो इसकी सूचना पूर्व में समाचार पत्रों के माध्यम से देनी चाहिए, जिससे विभिन्न कार्यो से कलेक्ट्रेट आने वाले फरियादी न आएं। उनका किराया या फिर पेट्रोल-डीजल खर्च न हो। जब चाहे तब हड़ताल कर दी जाती है, जब चाहे काम शुरू कर दिया जाता है। ये कोई व्यवस्था नहीं है। कर्मचारी अपनी मांगों के चक्कर में आम लोगों के लिए परेशानी खडे़ कर देते हैं। यह व्यवस्था नहीं होनी चाहिए। इसके लिए सिस्टम होना चाहिए। कलेक्ट्रेट गरीब भी आता है और अमीर भी। अमीर तो खर्च को झेल लेता है, लेकिन गरीब बेवजह खर्च नहीं झेल पाता है। समय भी बर्बाद होता है। और काम भी नहीं हो पाता है। यह व्यवस्था बदलनी चाहिए।

दो दिवसीय थे हड़ताल पर

कलेक्ट्रेट के कर्मचारी दो दिवसीय हड़ताल पर थे। जिसकी जानकारी अधिकांश लोगों को नहीं थी। गांव देहात तो छोड़ों शहर के लोगों को भी हड़ताल की जानकारी नहीं थी। इसका उदाहरण एक दरोगा है। गुरुवार को एक दरोगा कलेक्ट्रेट पहुंचे। कर्मचारियों ने उन्हें बताया था कि सभी कर्मचारी हड़ताल पर हैं। इसी बात को लेकर दरोगा कर्मचारियों से भिड़ गया। उसने कर्मचारियों के विरुद्ध तहरीर दे दी, जिसके आधार पर पुलिस कलेक्ट्रेट पहुंच गई। मामला डीएम तक पहुंच गया। डीएम के हस्तक्षेप के बाद ही मामला शांत हो सका।

Posted By: Inextlive