AGRA: अहमद हसन साहब आपकी भेजी गईं टीमें सूबे के तमाम हॉस्पिटल्स में दी जाने वाली दवाओं की जानकारी खंगाल रही हैं. एनआरएचएम के तहत चलने वाली हेल्थ स्कीम की भी हकीकत जानने निकली हैं. उनकी रिपोर्ट में क्या होगा क्या नहीं इस पर यकीनी तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता. लेकिन हम आपको बताते हैं कि क्या है हेल्थ सर्विसेज की हकीकत. पब्लिक की सेहत और उनकी जिंदगी बचाने के नाम पर करोड़ों रुपए के वारे-न्यारे इसी हेल्थ डिपार्टमेंट में बैठे लोगों ने किए. कागजों पर पेशेंट और कागजों पर ही उनका हक भी मुहैया कराया जाता रहा. इस 'खूनी घोटालेÓ की सीबीआई जांच कर रही है. लेकिन खेल अभी भी जारी है. फर्जी पेशेंट्स के नाम दिखाए जा रहे हैं. उनका हक भी डकारा जा रहा है. उनके हिस्से की दवाएं भी आग के हवाले की जा रही हैं. इन्हें जलाया जा रहा है. खंदौली के प्राइमरी हेल्थ सेंटर पर आई नेक्स्ट को मेडिसिंस के जलाने के सबूत मिले हैं. इनमें वे मेडिसिंस भी हैं जिनकी एक्सपायरी डेट एक साल बाद की है.

कैमरे में किया कैद 
खंदौली स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर दवाईयों को मरीजों को न देकर उनको जलाया जा रहा है। आई नेक्स्ट ने खुद इस बात के सबूत अपने कैमरे में कैद किए हैं। जिन मेडिसिंस को पिछले दिनों स्वास्थ्य केंद्र के पीछे जलाया गया है, उसमें आयरन, मल्टीविटामिन और कई अन्य तरह की मेडिसिंस शामिल हैं। इनको मरीजों को न देकर कूड़े के ढेर में जलाया जा रहा है। इनकी बाजार में कीमत तीन से 20 रुपए प्रति टेबलेट है।
नहीं हैं एक्सपायर
यहां जलाई गई मेडिसिंस में से कई अभी तक एक्सपायर नहीं हुई हैं। इसमें कई की एक्सपायरी डेट दिसंबर 2012 और 2013 है। इसमें क्लोमीफेम, ड्रोमान और पेट के कीड़े मारने की दवा शामिल हैं। तीन चार जगह ढ़ेर में जलाई गई इन मेडिसिंस की कीमत तकरीबन लाखों रुपए आंकी जा सकती है।
आती हैं योजना के तहत
गवर्नमेंट की तरफ से इन दवाईयों को एनआरएचएम के तहत आने वाले सभी प्रोजेक्ट्स के लिए सप्लाई किया जाता है। इसमें जननी सुरक्षा योजना, अंध निवारण और कई अन्य प्रोजेक्ट्स शामिल हैं। इनको वूमेंस में पाई जाने वाली हीमोग्लोबिन की कमी और अन्य फैक्टर्स को ध्यान में रखकर फ्री देने के लिए सप्लाई किया जाता है।
इतने हैं सेंटर
डिस्ट्रिक्ट में 12 सीएचसी और 45 पीएचसी सेंटर हैं और पूरे डिस्ट्रिक्ट के लिए एक साल में 10 से 11 करोड़ का बजट मेडिसिंस और अन्य सर्जिकल इक्विपमेंट्स के लिए आता है। सितम्बर 2011 में एनआरएचएम की जांच के लिए आई कैग टीम को इन सेंटर्स के रजिस्टर्स पर फर्जी मरीजों के नाम लिखे हुए मिले थे। यह राज तब खुला था जब क्रॉस चेक करने के लिए टीम रजिस्टर में लिखे मरीजों के पते पर गई थी। प्रत्येक डिस्ट्रिक्टके दो सीएचसी को हर साल दो लाख का बजट मिलता है।
भारी स्टॉक्स में आने वाली आयरन और फॉलिक एसिड की मेडिसिंस को बांटने में एएनएम को समय लगता है। सोर्सेज के मुताबिक, साल में कई बार आने वाले इस स्टॉक को डॉक्युमेंट्स में खर्च होता दिखाने के लिए जला दिया जाता है। एएनएम कई बार स्टॉक होने के बाद भी मरीजों को यह दवाईयां बांटती नहीं हैं।
इन प्रोजेक्ट्स के लिए आती हैं दवाईयां
- जननी सुरक्षा योजना
- वेक्सीनेशन
- पल्स पोलियो अभियान
- जननी शिशु सुरक्षा योजना
- नसबंदी अभियान
- प्रजनन एवं बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम
- बाल पोषण
- स्कूल हेल्थ प्रोग्राम
- सलोनी स्वास्थ्य किशोरी योजना
- कुष्ठ निवारण योजना
- अंध निवारण योजना
- डॉट प्लस

यह मिलीं ड्रग्स

  Drugs                              market rate
- Dromon-80          45        - Albendazole    90-180
- Clomiphene citrate  3-15
- Clotramazole        85
- Folic acid tablests 28-35
- Iron tablets      2-20    

Report by- APARNA SHARMA ACHARYA

Posted By: Inextlive