MEERUT : पांचवीं क्लास का स्टूडेंट भी आज हुए बीकॉम के पेपर और कल पांच हजार में बिके पेपर को मैच कर बता सकता है कि पेपर लीक हुआ है.

दोनों पेपर्स में 61 अंकों के प्रश्न मिल रहे हैं, लेकिन सीसीएसयू की काबिल समिति ने रात दो बजे तक दोनों पेपर्स मैच करने के बाद इस बात से इनकार कर दिया कि पेपर लीक हुआ है। लिहाजा पेपर नहीं बदला गया, परीक्षा तय शेड्यूल पर हुई। ऐसा पहली बार नहीं है। सीसीएसयू अक्सर अपनी गलती पर पर्दा डालने के लिए ऐसे गंभीर मामलों की लीपापोती कर देती है। बीबीए-बीसीए पर्चा लीक कांड में भी कुछ ऐसा ही हुआ था।

ये था मामला
शनिवार सुबह की पाली में हुआ बीकॉम फस्र्ट ईयर कोड 106 का पेपर शुक्रवार रात को शहर में चोरी-छिपे पांच-पांच हजार में बिक रहा था। पेपर लीक की सूचना पर देर रात सीसीएसयू ने एक कमेटी बनाई। रात में ही पेपर मैच किया गया। समिति ने फैसला किया पेपर लीक नहीं हुआ है। परीक्षा तय समय पर ही होगी।

61 अंकों के सवाल मिले
सीसीएसयू ने तय शेड्यूल पर उसी पेपर से परीक्षा कराई। परीक्षा देकर बाहर निकले छात्रों से पेपर का मिलान आई नेक्स्ट ने किया तो 61 अंकों के प्रश्न मैच कर रहे थे। पांचवीं क्लास का छात्र भी दोनों पेपर देखकर बता सकता था कि दोनों में बहुत हद तक समानता है।

ये है नियम
सीसीएसयू का नियम है कि लीक हुए पर्चे और प्रश्न पत्र में पचास नंबर या ज्यादा के सवाल मिलते हैं, तो उसे लीक माना जाएगा। यहां पर 61 अंकों के सवाल मैच कर रहे हैं। उसके बाद भी सीसीएसयू प्रशासन मानने को तैयार नहीं है कि पेपर लीक है।

ये कैसी जांच समिति
सबसे बड़ा सवाल ये है कि सीसीएसयू ने जो जांच समिति बनाई थी, उसमें कोई भी सब्जेक्ट एक्सपर्ट नहीं रखा गया। डॉ। पीके शर्मा माइक्रोबायोलॉजी, प्रो। अशोक कुमार डीन साइंस, डॉ। एके चौबे बायोटेक, रामकुमार डिप्टी रजिस्ट्रार जांच समिति में थे। बिना सब्जेक्ट एक्सपर्ट के बनाई गई जांच समिति ये कैसे तय कर सकती है कि पर्चा लीक हुआ भी है या नहीं। हुआ भी यही, इस समिति ने सिर्फ सवालों की भाषा, कोड नंबर, सीरियल नंबर मिलाए और रात को ही मामले को क्लीन चिट दे दी। सवाल उठता है कि जब सीसीएसयू प्रशासन रात को चार लोगों की कमेटी बना सकता है। तो फिर उसमें यूनिवर्सिटी के कॉमर्स के शिक्षकों को शामिल करने में क्या दिक्कत है?

इन आधार पर दी क्लीन चिट
सीसीएसयू की जांच कमेटी ने इन आधारों पर पर्चा लीक आउट से खुद को क्लीन चिट दी है। कमेटी के मेंबर और प्रेस प्रवक्ता डॉ। पीके शर्मा ने बताया कि
- सवालों का सीरियल नंबर मैच नहीं कर रहा था।
- लीक हुए पेपर के ऊपर कोई कोड नंबर नहीं लिखा था।
- शॉर्ट आंसर सवाल मैच नहीं कर रहे था।
- सिर्फ बीस से तीस परसेंट के सवाल ही मैच हो रहे थे।
- कोई भी सवाल पूरा मैच नहीं कर रहा।
- सवालों की भाषा और उनका भाव भी मैच नहीं कर रहा।
- लीक हुए पेपर पर सब्जेक्ट का नाम भी नहीं लिखा था।
- लीक पर्चा गैस पेपर से लिखा गया प्रतीत होता है।
- हमारे साथ सब्जेक्ट एक्सपर्ट होता तो वो भी यही करता।

परीक्षा समिति ने दी हरी झंडी
जांच समिति ने शनिवार को आयोजित परीक्षा समिति की आपातकालीन बैठक में अपनी रिपॉर्ट सौंपी। परीक्षा समिति ने जांच समिति की रिपॉर्ट को फाइनल बताते हुए पर्चा लीक की बात से इनकार कर दिया।

कर देते हैं लीपापोती
बीकॉम का ये पर्चा भले ही एक छात्र से दूसरे छात्र तक हार्ड कापी के रूप में पहुंचा हो, लेकिन पर्चा लीक करने के हाईटेक तरीके भी ईजाद किए जा चुके हैं। सीसीएसयू का ही बीसीए बीबीए का पर्चा हाईटेक पैटर्न पर लीक किया गया था। मल्टी मीडिया मैसेज के द्वारा एक से दूसरे छात्र तक पेपर सर्कुलेट हुआ था। इस मामले में भी सीसीएसयू ने लीपापोती कर दी थी। बदले हुए पेपर से जरूर परीक्षा कराई गई, लेकिन दोषियों पर कार्रवाई आज तक नहीं हुई।

सवालों के नंबर दोनों पेपरों में
सेक्शन ए, यूनिट वन
1. (1)राष्ट्रीय आय की परिभाषा दीजिए। (चार नंबर)
- लीक हुए पेपर में ये सवाल सेक्शन ए में दूसरे नंबर पर है।
(2) व्यवसाय का व्यापक पर्यावरण क्या है? (चार नंबर)
- इसी से मिलता जुलता सवाल सबसे पहला ही है।
(3) राजकोषीय नीति क्या है? (चार नंबर)
- लीक हुए पेपर में ये सवाल सेक्शन ए में चौथे नंबर पर है।
(9) ‘काला धन’ से क्या तात्पर्य है? (चार नंबर)
- लीक हुए पेपर में ये सवाल सेक्शन ए में छठे नंबर पर है।

सेक्शन बी
यूनिट टू

2. ‘व्यावसायिक वातावरण’ से आप क्या समझते हैं? व्यावसायिक वातावरण की प्रकृति को स्पष्ट रूप से समझाइये।
- लीक हुए पेपर में ये सबसे पहला सवाल है।
5. भुगतान संतुलन एवं व्यापार संतुलन में क्या अंतर है? भुगतान संतुलन के संतुलन में न होने के क्या कारण हैं?  (15 नंबर)
- लीक हुए पेपर में ये सवाल सेक्शन बी में 5वें नंबर पर है।
यूनिट थ्री

6. विश्व व्यापार संगठन के कार्य एंव उद्देश्य लिखिए.  (15 नंबर)
- लीक हुए पेपर में ये सवाल सेक्शन बी में 9वें नंबर पर है।

 यूनिवर्सिटी की तरफ से कोई आदेश नहीं आया। लेकिन 61 अंकों के पेपर को लीक होने के बाद कंडक्ट कराना मेरे हिसाब से ठीक नहीं है।
- प्रो। एसके गुप्ता, कॉमर्स डिपार्टमेंट मेरठ कॉलेज
हमने जांच की है। पेपर लीक जैसा कोई मामला नहीं बना इसलिए क्लीन चिट दी गई।
डॉ। पीके शर्मा, प्रवक्ता सीसीएसयू

Posted By: Inextlive