दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की ओर से मिलेनियल्स स्पीक के तहत आयोजित राजनी-टी प्रोग्राम रविवार को गिरधरगंज के आवास विकास कॉलोनी में आयोजित किया गया.

- बेरोजगारी और शिक्षा व्यवस्था को बेहतर करने की जरूरत

- खोखले वादे नहीं चाहिए ठोस कार्रवाई, राजनी-टी में युवाओं ने खुल कर रखी अपनी बात

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GORAKHPUR: दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की ओर से मिलेनियल्स स्पीक के तहत आयोजित राजनी-टी प्रोग्राम रविवार को गिरधरगंज के आवास विकास कॉलोनी में आयोजित किया गया. प्रोग्राम में बड़ी संख्या में मिलेनियल्स शामिल हुए और उन्होंने खुलकर अपनी बात रखी. राजनीतिक पार्टियों पर वोट की राजनीति के लिए हवाई वादे करने का आरोप लगाते हुए जनता के बुनियादी मुद्दों पर चुप्पी साधने का आरोप लगाया. मिलेनियल्स के बीच में घटते रोजगार और शिक्षा की गिरती गुणवत्ता का मुद्दा मुख्य रहा. उन्होंने रोजगार के अवसर और संख्या कम होने पर सरकार के नीतियों की आलोचना करते हुए रोजगार के लिए ठोस नीति बनाने की मांग की. देश की सीमा को घुसपैठियों और दुश्मनों से सुरक्षित रखने के लिए सुरक्षा व्यवस्था को बेहतर करने और सीमा पर तैनात सैनिकों की बेहतरीन सुविधाएं देने की बात कही. साथ ही मिलेनियल्स ने जनसंख्या नियंत्रण, पुरानी पेंशन योजना को लागू करने और किसानों के बिगड़ते हालात पर भी चिंता जाहिर की.

बिना रोजगार विकास की बातें बेकार
दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के राजनी-टी प्रोग्राम में मिलेनियल्स के बीच बेरोजगारी का मुद्दा सबसे गंभीर रहा. यूथ्स ने कहा कि सभी राजनीतिक पार्टियां चुनाव प्रचार के दौरान एजेंडे में विकास की बात करती हैं. लेकिन सत्ता में आते ही उनके हावभाव बदल जाते हैं और वह जनता के बजाए अपने व पार्टी के हित में काम करने लगते हैं. बिना युवाओं को रोजगार दिए देश का विकास कैसे हो सकता है? एक बेरोजगार युवक स्वास्थ्य, शिक्षा, बेहतर सड़कें, सूचना तकनीक आदि का लाभ कैसे ले सकता है. 70 वर्षो से राजनीतिक पार्टियों के विकास-विकास चिल्लाने के बाद भी हालत यह हैं कि देश में बेरोजगारी पिछले 45 वर्षो में सबसे अधिक है. इसलिए हम उसी पार्टी को वोट देंगे जो रोजगार के लिए ना केवल ठोस वादे करे बल्कि उसे गंभीरता के साथ लागू करके दिखाए.

कड़क मुद्दा
देश की बढ़ती जनसंख्या पर मिलेनियल्स ने चिंता जाहिर की और इस पर लगाम लगाने के लिए सरकार से ठोस कदम को उठाने की मांग की. उन्होंने कहा कि जब देश आजाद हुआ था उस समय देश की जनसंख्या 33 करोड़ थी जो केवल 70 साल में ही चार गुना अधिक हो चुकी है. अगर इस पर लगाम नहीं लगाई जा सकी तो आने वाले दिनों में संसाधनों का उपयोग नाकाफी हो जाएगा. इस पर रोक लगाकर ही देश के संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल किया जा सकता है.

मेरी बात

चुनाव से पहले सरकारें बेरोजगारी दूर करने, महंगाई रोकने, देश को विकसित करने और अपराध पर अंकुश लगाने की मांग के साथ सत्ता में आती हैं. लेकिन सत्ता मिलते ही इनकी भाषा बदल जाती है. सत्ता में आने के बाद राजनीतिक पार्टियों के नेता वोट बैंक की राजनीति करने लगते हैं और प्रचार के दौरान किए गए वादे ठंडे बस्ते में फेंक दिए जाते हैं. रोजगार के लिए जो वैकेंसियां आती हैं, वर्षो उन्हें लटकाया जाता है, जब चुनाव आते हैं तो फिर से उनमें थोड़ी तेजी आ जाती है. इस तरह पार्टियां फिर से वोट तो पा जाती हैं लेकिन यूथ्स के उम्र का एक लंबा समय बीत जाता है. देश की सीमा पर तैनात जवानों के शहीद होने पर राजनीति तो की जाती है लेकिन जब उन्हें सुविधाएं देने की बात आती है तो सत्ताधारी पार्टियां चुप्पी साध लेती हैं.

रजनीश पांडेय

 

सतमोला खाओ, कुछ भी पचाओ
हमारे देश में जय जवान, जय किसान का नारा लगाया जाता था. लेकिन मौजूदा समय में देश के जवान व किसान दोनों की हालत खराब होती जा रही है. एक तरफ किसान आत्म हत्या करता जा रहा है तो दूसरी ओर जवान चौबीस घंटे खतरों के सामने खडे़ रहते हैं. यूथ्स ने कहा कि लगातार बढ़ते नुकसान के कारण किसान किसानी का व्यवसाय छोड़ रहे हैं. अगर हालात नहीं बदले तो आने वाले समय में हमें खाने के लाले पड़ जाएंगे. दूसरी ओर जवान देश की सीमा पर शहीद तो हो जाते हैं लेकिन उन्हें शहीद का दर्जा नहीं मिल पाता है. पेंशन की सुविधा भी उन्हें नहीं मिल रही है, यह स्थितियां बदलनी चहिए.

कोट्स

देश में बेरोजगारी तेजी से बढ़ रही है. 17 से 25 वर्ष के युवाओं के बीच मौजूदा समय में बेरोजगारी भयावह स्थिति में पहुंच गई है. रोजगार मिल नहीं रहा दूसरी ओर से महंगाई भी बढ़ रही है. जो पार्टी इन समस्याओं का समाधान करेगी मेरा वोट उसी को जाएगा.

राहुल त्रिपाठी

 

देश की सुरक्षा बेहद महत्वपूर्ण है. इसके साथ समझौता नहीं किया जाता सकता है. साथ ही युवाओं में बढ़ती बेरोजगारी से उनमें हताशा फैल रही है. इसका समाधान जरूर किया जाना चाहिए.

विवेकानंद पांडेय

 

पुरानी पेंशन योजना कर्मचारियों के बुढ़ापे की लाठी थी, इसे जल्दी से लागू किया जाना चाहिए. मेरा वोट उसी राजनीतिक पार्टी को जाएगा जिसमें नेतृत्व करने की क्षमता हो. जिससे की युवाओं के जोश का सकारात्मक तरीके से इस्तेमाल किया जा सके.

अंजनी कुमार सिंह

 

देश में प्रदूषण की समस्या लगातार गंभीर होती जा रही है. निजी लाभ के लिए जंगलों को काटा जा रहा है, जल स्त्रोतों का दोहन किया जा रहा है. नतीजा यह है कि किसान की पैदावार कम हो रही है और वह किसानी छोड़ रहा है. इसके बावजूद सरकारें किसानों पर ध्यान नहीं दे रही हैं.

अनिल यादव

 

 

महंगाई कम करने, युवाओं को रोजगार देने, देश को विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने के वादे के साथ ही पार्टी सत्ता में आई थी. लेकिन आज यह सारे मुद्दों पर बात ही नहीं की जा रही है. जनहित में जो योजनाएं लागू की गई हैं वह कागजों से बाहर जमीन तक पहुंच भी नहीं पा रही हैं. हम ऐसी पार्टी को वोट देंगे जो जनहित में व्यवहारिक योजनाएं लागू कर सके.

राघवेन्द्र सिंह

 

देश में युवाओं की संख्या सर्वाधिक है इसके बावजूद राजनीतिक पार्टियों के एजेंडे से उनके मुद्दे गायब हैं. शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर करने और युवाओं को रोजगार के अवसर देने वाली पार्टी को ही मेरा वोट जाएगा.

शैलेन्द्र पाल

 

देश की जनता के बुनियादी मुद्दों पर चुनाव होने चाहिए. लेकिन जन मुद्दों के बजाए भावनात्मक मुद्दों पर चुनाव हो रहे हैं. जबकि पूरा देश बढ़ती बेरोजगरी, महंगाई, भ्रष्टाचार से परेशान है. इस पर रोक लगाने वाली पार्टी को मेरा वोट जाएगा.

नवीन सिंह

 

शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर करने की दिशा में प्रयास होना चाहिए, जिसको लेकर राजनीतिक पार्टियां गंभीर नहीं हैं. देश की सुरक्षा कर रहे जवानों के नाम पर राजनीति नहीं होनी चाहिए और उन्हें बेहतर सुविधाएं दी जानी चाहिए.

भूपेन्द्र सिंह

 

देश प्रधानमंत्री का चुनाव करने जा रहा है. लेकिन इसके बाद भी बुनियादी मुद्दों पर कोई चर्चा नहीं हो रही है. रोजगार, शिक्षा व स्वास्थ्य की सुविधा आम जनता को मिलने पर चर्चा नहीं की जा रही है.

एसपी श्रीवास्तव

 

देश की सीमाओं को सुरक्षित करने के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग किया जाना चाहिए. देश को आर्थिक तौर पर बेहतर करने वाली पार्टी को ही मेरा वोट जाएगा.

अरुणेश मिश्र

Posted By: Syed Saim Rauf