- सालों पहले जिला अस्पताल में हुआ करता था रेबीज केज

- आठ साल पहले सूरजकुंड रैन बसेरा में किया गया शिफ्ट

- सात लोगों का स्टाफ भी है इस खंडहर केज में

Meerut सालों पहले जिला अस्पताल में चल रहा रेबीज केज अब गायब हो गया है। इसका अब कुछ अता पता हीं नहीं है। हालांकि जिला अस्पताल के स्टाफ के अनुसार तो आठ साल पहले इस रेबीज केज को सूरजकुंड पर शिफ्ट कर दिया गया था, मगर अब वहां रेबीज केज नहीं, सिर्फ खंडहर ही है। खस्ता हालात में पड़े इस खंडहर को ही रेबीज केज का नाम दिया गया है।

दिल्ली होते हैं मरीज रेफर

सिटी में रेबीज के मरीजों को भी सीधे दिल्ली ही रेफर किया जाता है। सोचने की बात तो यह है अगर मेरठ सूरजकुंड पर कोई रेबीज केज है भी तो वो किसलिए है? क्योंकि वहां हालात तो बद से बदत्तर है। कर्मचारी राजकुमारी ने बताया आठ साल पहले इस रेबीज केज को जब जिला अस्पताल से शिफ्ट किया गया था। उस समय एक-दो मरीज आए भी थे। पर अब तो यह काफी सालों से इसी तरह की खराब हालात में है। यहां न तो कोई रेबीज का मरीज आता है और न ही डॉक्टर आता है।

लाखों का वेतन, नहीं होता इलाज

यहां मेडिकल मेडिसन, संक्रमण रोग के इलाज और रेबीज मरीजों के लिए सात लोगों का स्टाफ है। स्टाफ में एक डॉ। वीके शर्मा, एक वार्ड ब्वॉय जयपाल, एक साहित्य लिपिक हेमा, एक फार्मेसिस्ट जयंती प्रसाद, एक चपरासी मंगल, एक सफाई कर्मचारी अमरीश और एक पर्चा बनाने वाली राजकुमारी है। इनकी मंथली सेलरी लगभग डेढ़ लाख रुपए बनती है।

सेंटर पर ताला

रेन बसेरा में रेबीज केज के हालात तो काफी खस्ता है, साथ ही मेडिकल मेडिसन सेंटर भी एकदम जंग लगा हुआ है। यहां लटका ताला और चैनल और बोर्ड पर लगी जंग से साफ जाहिर है। मेडिकल मेडिसन स्टोर भी काफी समय से बंद ही है। यहां भी किसी तरह की दवा नहीं मिलती है। पानी आसपास कूड़े का ढेर और पानी का भरा वन ही है। जो बीमारियों को दूर तो बाद में करेगा, बल्कि यहां तो सहीं भी बीमार हो जाएगा।

नगर निगम के हाथ में है ये केज

स्टाफ कर्मचारी राजकुमारी ने बताया कि रेबीज केज तो काफी सालों से नगर निगम के अंडर में ही आ गया है, क्योंकि ये रेबीज केज तो रैन बसेरा के अंदर है। काफी समय पहले से यह टूट गया था, उसके बाद ठीक नहीं हुआ है। इसलिए बराबर में ही स्टाफ बैठता है। यहां पर खांसी और एक दो दवाएं तो अभी भी मरीजों को देते हैं।

जिला अस्पताल में जनवरी से अब तक रेबीज के चार मरीज भी आ चुके हैं। एक हफ्ते पहले ही एक भ्0 साल की उम्र का रेबीज पेशंट भी आया था, जिसे दिल्ली रेफर कर दिया गया था।

- डॉ। अंकित

इंचार्ज, रेबीज वार्ड, जिला अस्पताल

हम तो अभी नए आए हैं, इसलिए हमें इस बारें में पूरी जानकारी नहीं है। इस बारें में शासन स्तर पर बात की जाएगी।

-डॉ। सहदेव कुमार वालिया

एसआईसी, जिला अस्पताल

Posted By: Inextlive