आज देशभर में राधाष्टमी मनाई जा रही है। आज के दिन ही राधा जी का जन्म हुआ था। आज के दिन लोग कलश स्थापना करके व्रत रखते हैं।

भाद्रपद शुक्ला अष्टमी को राधा जी का जन्म हुआ था। अतः इस दिन राधा व्रत करना चाहिए। इस वर्ष राधाष्टमी सोमवार 17 सितम्बर को पड़ रहा है। स्नान आदि के उपरांत मंडप के भीतर मंडल बनाकर उसके मध्य भाग में मिट्टी या तांबे का कलश स्थापित करें।

कलश के ऊपर तांबे का पात्र रखें, उस पात्र के ऊपर दो वस्त्रों से ढंकी हुई श्रीराधा की स्वर्णमयी सुंदर प्रतिमा स्थापित करें।फिर वाद्यसंयुक्त षोडशोपचार द्वारा स्नेह पूर्ण हृदय से पूजा करें।

पूजा ठीक मध्याह्न् में ही करनी चाहिए। शक्ति हो तो पूरा उपवास करें अन्यथा एकभुक्त व्रत करें। फिर दूसरे दिन भक्ति पूर्वक सुवासिनी स्त्रियों को भोजन कराकर आचार्य को प्रतिमा दान करें। तत्पश्चात स्वयं भी भोजन करें। इस प्रकार इस व्रत को समाप्त करना चाहिए।

व्रत से लाभ


विधिपूर्वक राधाष्टमी व्रत करने से मनुष्य व्रज का रहस्य जान लेता है तथा राधा परिकरों में निवास करता है।

आज दूर्वाष्टमी भी


इसी दिन दुर्वाष्टमी भी मनाई जाती है। इस दिन उमा सहित शिव का षोडशोपचार पूजन करके सात प्रकार के फल, पुष्प, दूर्वा, और नैवेद्य अर्पण करके व्रत करें तो धनार्थी, पुत्रार्थी या कामार्थी आदि को धन, पुत्र और काम आदि प्राप्त होते हैं।

 — ज्योतिषाचार्य पं गणेश प्रसाद मिश्र, शोध छात्र, ज्योतिष विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय

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Posted By: Kartikeya Tiwari