कैरेक्टर मैटर करता है, लुक्स नहीं: राधिका आप्टे
राधिका को पहली बार शोर इन द सिटी (2011) मूवी में नोटिस किया गया था। इसके बाद उन्होंने शॉर्ट फिल्म अहल्या (2015), टीवी सीरीज चोखेर बाली (2015) और पार्च्ड (2016) जैसी मूवी के जरिए अपनी छाप छोड़ी। पर इस साल रिलीज हुई उनकी मूवी पैडमैन ने उन्हें नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया। इस बात में कोई शक नहीं है कि सही वक्त पर सही जगह मौजूद रहने का फायदा इस एक्ट्रेस को भरपूर मिला है। उनका कहना है, 'ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि ऐसा कब तक रहता है। पर हां, मुझे जो भी ऑफर मिला था मैंने उसे एक्सेप्ट किया और कुछ सही फैसले भी लिए। मैंने सिर्फ अपने रोल के बारे में सोचा, प्लेटफॉर्म के बारे में नहीं।'
राधिका ने कई रिस्की प्रोजेक्ट्स को भी हाथ में लिया है, उनके अंदर यह कॉन्फिडेंस कहां से आता है? इसके जवाब में उन्होंने कहा, 'सोसाइटी आप पर डर को हावी करती है। अगर हम इसके दबाव में आते जाएंगे तो यह हमारे लिए अच्छा नहीं होगा। मैं ऐसे एक्सटर्नल फैक्टर्स पर ध्यान नहीं देती हूं। अगर मुझे कोई अच्छा 'इंडी' प्रोजेक्ट मिलता है तो मैं उसमें काम करूंगी। अगर मुझे कोई बड़ी कॉमर्शियल ब्लॉकबस्टर मूवी मिलती है तो मैं उसे भी करूंगी।' इस एक्ट्रेस के अनकन्वेंशनल लुक्स को लेकर भी काफी कुछ कहा जाता है जिसके चलते उनका कम्पैरिजन नंदिता दास जैसी एक्ट्रेस से होता है। इसको लेकर राधिका कहती हैं, 'अगर आपका कैरेक्टर ऑडियंस से कनेक्ट करता है तो आपके लुक्स मैटर नहीं करते।'
अभी तो बस शुरुआत हैजब उनसे पूछा गया कि क्या वह अपनी सक्सेस को कायम रखने का प्रेशर महसूस करती हैं तो उनका कहना था, 'यह एक ऐसी इंडस्ट्री है जहां आपको डेली बेसिस पर इनसिक्योरिटी देखने को मिलेगी। यह पूरी तरह से इस बात पर डिपेंड करता है कि आप अगली बार क्या करेंगे पर एक्टिंग जैसे 'फ्रीलांस' काम के साथ इनसिक्योरिटी हमेशा जुड़ी रहती है जबकि किसी ऑफिस में सिक्योर जॉब करना बोरियत भरा हो जाता है। बात यहां सिर्फ सर्वाइवल की है। मैं सिर्फ इतना कह सकती हूं कि अभी मैंने सिर्फ शुरू किया है, अभी मुझे कई सालों का सफर तय करना है।'
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