भारतीय रिज़र्व बैंक के नए गवर्नर रघुराम राजन ने पद संभालते ही अपना एजेंडा साफ़ कर दिया है.


रघुराम राजन ने कहा है कि राजकोषीय घाटे को काबू में लाना और चालू खाता घाटे को कम करना रिज़र्व बैंक के सामने अभी बड़ी चुनौती है.भारत का राजकोषीय घाटा 2012-13 में 5.2 फीसदी रहा है जबकि इस दौरान चालू खाता घाटा जीडीपी का 4.8 फीसदी रहा है.चालू खाता घाटा निर्यात से ज़्यादा आयात होने पर होता है. सरकार की कोशिश इसे चार फीसदी से कम करने की है.राजन ने कहा है कि वित्तीय बाज़ारों में गहराई होनी चाहिए. उन्होंने कहा है कि सेबी और सरकार के साथ मिलकर रिज़र्व बैंक बाज़ारों को और खोलेगा.रघुराम राजन ने ये भी कहा है कि आर्थिक विकास को संभालने के लिए और भी उपाय हैं.रुपए की गिरावट से रिज़र्व बैंक की मुश्किलें बढ़ी हैं.रघुराम राजन ने कहा कि उनके पास समस्याओं से निपटने की जादुई छड़ी नहीं है.


'सब तक पहुंचे आर्थिक विकास'रघुराम राजन पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में प्रमुख अर्थशास्त्री रहे हैं. वे डी सुब्बाराव की जगह रिज़र्व बैंक के गवर्नर बने हैं.जानकार मानते हैं कि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना राजन के सामने बड़ी चुनौती है. बढ़ती महंगाई की वजह से रिज़र्व बैंक ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी की थी

लेकिन रिज़र्व बैंक से उद्योग जगत नाराज़ है क्योंकि ऊंची ब्याज दरों से आर्थिक विकास पर असर पड़ा है.राजन ने कहा है कि वो 20 सितंबर को ब्याज दरों की समीक्षा करेंगे.उन्होंने कहा कि भारत को तेज़ और सब तक पहुंचने वाले आर्थिक विकास की ज़रूरत है ताकि ग़रीबी में कमी आए.राजन ने कहा कि बैंकों को देश के कोने-कोने तक पहुंचना चाहिए ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को बैंकिंग सेवाओं का लाभ मिल सके.

Posted By: Satyendra Kumar Singh