-मुगलसराय रेलवे स्टेशन पर विकलांग रेल यात्रियों की सुविधा के लिए डेढ़ साल से बन रहा हैं रैंप

-अभी तक वेटिंग लिस्ट में है रैंप, अगले साल तक करना पड़ सकता है रेल पैसेंजर्स को इंतजार

VARANASI:

एशिया के सबसे बड़े यार्ड के रूप में फेमस मुगलसराय रेलवे स्टेशन को भी रेल बजट से काफी उम्मीदें हैं। लास्ट बजट में मुगलसराय रेलवे स्टेशन को स्मार्ट रेलवे स्टेशन बनाने सहित कई न्यू प्लानिंग पर जोर रहा लेकिन सब हवा-हवाई रहा। मुगलसराय रेलवे स्टेशन पर विकलांग पैसेंजर्स की फैसिलिटी के लिए रैंप बनाया जा रहा है ताकि पैसेंजर्स सीधे प्लेटफॉर्म पर पहुंच सके। लेकिन अभी भी पूरी तरह निर्माण कार्य हकीकत की जमीन पर नहीं उतर पाया है और पैसेंजर्स को प्लेटफॉर्म पर उतरने के लिए ख्0क्भ् तक का वेट करना पडे़गा।

लास्ट डेढ़ साल से बन रहा रैंप

मुगलसराय रेलवे स्टेशन पर अभी तक रैंप का काम पूरा नहीं हो पाया है। बीते डेढ़ सालों से रैंप पर वर्क चल रहा है। वैसे तो इस साल के दिसंबर तक रैंप को पूरा करने का टारगेट है। लेकिन तैयारियों की रफ्तार को देखते हुए लग रहा है कि ख्0क्भ् से पहले यह पूरा ही नहीं हो पाएगा। लगभग म्भ् लाख रुपये की लागत से यह रैंप तैयार हो रहा है।

इंजर्ड होते हैं विकलांग पैसेंजर्स

रेलवे स्टेशन से प्लेटफॉर्म पर पहुंचने के लिए पहले से ही रैंप बना हुआ है। पार्सल घर के समीप से रैंप ओवर ब्रिज के लिए गुजरा हुआ है। लेकिन पार्सल लगेज इतना अधिक आता-जाता है कि रैंप पर पैसेंजर्स को चलने में काफी प्रॉब्लम्स होती हैं। कभी-कभी ऐसी कंडीशन्स हो जाती हैं कि पार्सल की जद में आकर पैसेंजर्स चोटिल तक हो जाते हैं।

विकलांग रेल यात्रियों के लिए रैंप का कार्य तेजी से चल रहा है। म्भ् लाख रुपये की लागत से रैंप तैयार हो रहा है।

बी.राम,

पीआरओ

ईसीआर मुगलसराय मंडल

लास्ट रेल बजट में

-मुगलसराय रेलवे स्टेशन को स्मार्ट यार्ड बनाना, लेकिन बजट ही नहीं आया।

-रेल कर्मचारियों को छठवां वेतन के एरियर का भुगतान आज तक नहीं हो पाया।

मुगलसराय रेलवे स्टेशन पर साफ-सफाई को स्र्टाग बनाने के लिए सीटीएस को लाया गया लेकिन लागू नहीं हो पाया।

-मुगलसराय के रेलवे कालोनियों के डैमेज रेल क्वाटर को रिपेयर कराने के लिए करोड़ो रुपये मिला लेकिन कुछ नहीं हो पाया।

-गैंगमैन के लिए दो किमी पर ठहराव के लिए हट बनाने के लिए बजट था। लेकिन आज तक नहीं बना, आज भी गैंगमैन पेड़ की छांव में बैठते हैं।

-मंडलीय रेलवे हॉस्पिटल में दवाईयों का टोटा है, यहां तक की इमरजेंसी में एंबुलेंस की व्यवस्था तक नहीं है। रेल इम्पाइज को स्टेट गर्वनमेंट की एंबुलेंस का सहारा लेना पड़ता है।

-सिग्नल सिस्टम दुरूस्त करने के लिए बजट था लेकिन कुछ काम नहीं हुआ, हल्की बारिश हुई तो सिग्नल डूब जाता है। सिग्नल नहीं मिलने के कारण कई ट्रेन्स एक्सीडेंट हो चुके हैं।

पिछले रेल बजट में मुगलसराय मंडल को कई सौगात मिली थी। लेकिन अधिकतर लागू नहीं हो पाई।

आज भी रेल इम्पलाई पर अंग्रेजी हुकूमत चल रही हैं।

प्रभात दुबे

लीडर ईसीआरकेयू, मुगलसराय

Posted By: Inextlive