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PATNA : पटना में जिस तरह से पर्यावरण की स्थिति बदल रही है उससे साफ है कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग को अपनाए बिना दूसरा कोई उपाय नहीं है. एक्सपर्ट की माने तो किसी मोहल्ले में 100 घर है तो उसमें से 80 घरों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगना अनिवार्य है. मगर राजधानी के 80 प्रतिशत लोग बिल्डिंग बायलॉज 2014 का पालन नहीं करते. भवन निर्माण से पूर्व रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्रपोजल कॉलम गायब रहता है. जिस वजह से पटना में ग्राउंड वाटर का लेवल दिन प्रतिदिन गिरता जा रहा है. आलम यही रहा तो आने वाले समय में ग्राउंड वाटर का लेवल काफी नीचे चला जाएगा. दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की इस रिपोर्ट में पढि़ए राजधानी के किस इलाके में कितना गिरा ग्राउंड वाटर लेवल.

नियम का नहीं होता है पालन

बिल्डिंग बायलॉज 2014 के नियम का पालन राजधानी के 80 प्रतिशत घरों में नहीं होता है. विभागीय कर्मचारियों की माने तो भवन निर्माण से पूर्व प्रपोजल से रेन वाटर हार्वेस्टिंग कॉलम गायब रहता है. पिछले पांच सालों में बने पांच लाख भवनों में से चार लाख में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का पालन नहीं किया गया है.

पुराने कुआं का करें उपयोग

एक्सपर्ट की माने तो अगर किसी मोहल्ले में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था नहीं है तो वहां के पुराने कुएं का उपयोग कर सकते हैं. बारिश से गिरने वाला पानी व घर से निकलने वाला पानी जिसका उपयोग नहीं हो रहा है उसे कुंए में गिराकर एकत्र कर सकते हैं. यह जल संचयन का अच्छा साधन हैं.

लगातार हो रहा है खर्च

राज्य के सभी जिलों में पेयजल आपूर्ति के लिए लगभग 500 करोड़ रुपए की लागत से नल जल योजना सहित अन्य कार्य सरकार की ओर किए जा रहे हैं. मगर लोग जल संचयन के विकल्प को भूलकर सिर्फ बर्बादी कर रहे है. एक्सपर्ट की माने तो पटना सहित राज्य के अन्य जिलों में जल स्तर लगातार गिर रहा है. अगर जल संचय की ओर ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले समय में पटना में जल संकट गहरा जाएगा.

Posted By: Manish Kumar