उत्तराखंड में मौसम ने एक बार फिर दगा किया. यहां के चमोली रुद्रप्रयाग और पिथौरागढ़ में सैटरडे को शुरू हुई बारिश संडे तक जारी है. जिसका नतीजा यह हुआ है कि रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन में बाधा आई और हेलीकॉप्टरों के उड़ान भरने में भी मुश्‍िकलें आईं.


मौसम की आंख-मिचौली शुरू हो गई है और अभी भी दूरदराज के इलाकों में अभी भी करीब 15 हजार लोग फंसे हुए हैं. सैकड़ों गांवों के लोगों को भी शामिल कर लिया जाए तो यह संख्या ज्यादा है. फंसे लोगों का पता लगाने के लिए सेना ने मानवरहित विमानों (यूएवी) के यूज का डिसीजन भी लिया है. चीफ मिनिस्टर विजय बहुगुणा ने माना है कि मरने वालों की संख्या एक हजार से भी ज्यादा हो सकती है.  सेना, वायुसेना और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) की तमाम कोशिशों के बावजूद आपदा के आठवें दिन हजारों लोग फंसे हुए हैं. लोग ठंड-भूख-प्यास झेलते हुए जिंदगी का एक-एक पल काट रहे हैं. नदी-नालों का पानी पीते हुए और पहाड़ी पेड़-पौधों की पत्तियां-डंठल खाते हुए तमाम लोग अपने को जिंदा रखे हुए हैं.
11 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित बदरीनाथ में अभी भी पांच हजार से ज्यादा लोग फंसे हुए हैं. इन इलाकों में बारिश होने से ठंडक भी बढ़ गई है जिसके कारण फंसे लोगों को रात काटने में खासी दिक्कत पेश आ रही है. फंसे लोगों में हजारों ऐसे भी हैं जो पैदल रास्तों या हेलीकॉप्टर आदि से सुरक्षित स्थानों पर तो पहुंच गए हैं लेकिन वहां उनके लिए खाने-पीने-इलाज की सुविधा का अभाव बना हुआ है. इन लोगों से पानी-खाना के लिए मनमानी कीमत वसूली जा रही है.  केदारघाटी के तकरीबन सौ गांवों के लोगों का सब्र अब जवाब देने लगा है. यहां एडमिनिस्ट्रेशन ने उनके लिए खाने का सामान तक नहीं गिराया. अब वे स्वयं ही खतरा उठाते हुए परिजनों की तलाश में निकल रहे हैं. दरअसल, चारधाम यात्रा शुरू होने पर रोजगार के लिए इन गांवों के सैकड़ों लोग केदारनाथ में ही रहते थे. केदारनाथ में अपना व्यवसाय चलाने वाले दिनेश बगवाड़ी इस त्रासदी में अपने तीन रिश्तेदारों को खो चुके हैं. वह कहते हैं कि कब तक हाथ पर हाथ धरकर बैठे रहें. आखिर गवर्नमेंट कुछ नहीं कर रही, हमें तो अपने लोगों को खोजना ही होगा. आइटीबीपी के जवान पैदल रास्ते तैयार करके फंसे लोगों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं.

Posted By: Garima Shukla