Varanasi:गंगा का पावन तट अस्सी घाट शुक्रवार को सुरों की दूसरी ही गंगा से नहाया दिखा. यहां जो भी था मस्त था. मौका था बनारस उत्सव के दूसरे दिन सजी संगीत की महफिल का. पद्मभूषण राजन-साजन मिश्र ने अपने सधे स्वरों से महफिल को सजाया. उनके सधे गले से बरस रहे 'रस'का पान श्रोतागण आकंठ करते रहे.


प्रभु वंदना से की शुरुआत पं. राजन साजन मिश्र ने अपने कार्यक्रम की शुरुआत प्रभु वंदना से की. उन्होंने झपताल में निबद्ध राग रागश्री की अवतारणा 'प्रभु के चरण कमल निस दिन सुमिरिए' सुनाया. उनकी प्रस्तुती ने पूरे माहौल में भक्ति का रंग घोला. इसके बाद राग सोहनी में 'आई री ऋतु नवेल, खेलो वसंत...' से उन्होंने माहौल के रंगत को बदला. उनकी हर प्रस्तुति में कला की बारीकियां अपने शुद्ध रूप में गले से निकलती दिखी. स्वरों को मिली ताल, लय की संगति


संगत कलाकारों की बेहतरीन प्रस्तुति ने स्वरों को ताल और लय की शानदार संगति प्रदान की. हारमोनियम पर उनका साथ पं. कांता प्रसाद मिश्र, तबले पर राजेश मिश्र व तानपुरे पर शालिनी व गरुण ने दिया. कार्यक्रम में बड़ी संख्या में देसी लोगों के अलावा फॉरेनर्स की भीड़ भी देखने को मिली. इस अवसर पर प्रो. बीएम शुक्ला, विमला पोद्दार, डॉ. शैलेंद्र त्रिपाठी, डॉ.  डॉ. अशोक पांडेय, धर्मेंद्र सिंह राजेश त्रिपाठी आदि उपस्थित थे. 'आनंद वन' में निखरा बनारस

बनारस उत्सव के अंर्तगत शुक्रवार को अमृतराव पेशवा हवेली राजघाट में आर्ट एग्जिबिशन 'आनंद वनÓ का आयोजन किया गया. एग्जिबिशन का इनॉगरेशन फेमस पेंटर जतिन दास व एमएलए ललितेश पति त्रिपाठी ने किया. एग्जिबिशन में शहर के तमाम उदीयमान व फेमस आर्टिस्ट्स की कलाकृतियां डिस्पले की गयी हैं. एग्जिबिशन में बनारस की संस्कृति कैनवस पर बिखरी दिखायी दी. हर कलाकृति का अपना उद्देश्य था और अपना संदेश. जिसको कलाकारों ने रंग और कूंची के शानदार समन्वय से कैनवस पर बखूबी उतारा था. इस दौरान उपस्थित लोगों से रूबरू हुए जतिन दास ने इंडियन आट्र्स के हिस्टॉरिकल ऑस्पेक्ट्स पर चर्चा की. इस अवसर पर अशोक राय की पुस्तक 'म्यूजिक मेकर्सÓ का अनावरण किया गया. इसके बाद अविनाश पसरीचा के फोटोग्राफ एग्जिबिशन का भी उद्घाटन हुआ. इस अवसर पर आयोजन से जुड़े अशोक कपूर, अशोक गुप्ता, दीपक मधोक आदि उपस्थित रहे.

Posted By: Satyendra Kumar Singh