चुनावी रंग से सराबोर सियासी चर्चाओं का दौर कदम दर कदम बढ़ चला है. हर चट्टी-चौराहे पर नई सरकार को लेकर बतकही जारी है. इस लोकसभा चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाने वाले यंग वोटर्स भी मानते हैं कि नई सरकार से काफी अपेक्षा है. युवाओं को रोजगार, बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा और चिकित्सकीय सुविधाओं में और सुधार की गुंजाइश है. दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने 'मिलेनियल्स स्पीक' के मंच पर युवाओं के मन को टटोलने की कोशिश की. छोटी पियरी स्थित बरनवाल धर्मशाला में शुक्रवार को आयोजित 'राजनी-टी' पर चर्चा करते हुए युवाओं ने ऐसी सरकार चुनने की बात कही जो शिक्षा-सुरक्षा स्वास्थ्य, चिकित्सा, कृषि और रोजगार उपलब्ध करा सके.

'आयुष्मान' की आड़ में धांधली

'मिलेनियल्स स्पीक' के तहत स्वास्थ्य, चिकित्सा और सुरक्षा पर स्टूडेंट्स ने बात की. कहा कि आयुष्मान योजना जरूर गरीब, असहाय को संजीवनी दे रही है लेकिन इसकी आड़ में अस्पताल वाले बहुत धांधली भी कर रहे हैं. युवाओं ने कहा कि यह बिना सरकारी तंत्र की मिलीभगत से संभव नहीं है. योजना से जुड़े शीर्ष अधिकारी ऐसी धांधली पर नजर रखें ताकि जिस उद्देश्य से यह योजना का शुरू हुई है वह सार्थक साबित हो सके. बात आई शिक्षा पर तो कड़क चाय की तरह ही कड़क मिजाज युवाओं ने कहा कि शिक्षा पर काम तो हो रहा है लेकिन उसमें गुणवत्ता की काफी कमी है. हम सीबीएसई बोर्ड की नकल तो करते हैं लेकिन उसकी तरह बच्चों को प्राइमरी एजुकेशन देने में पिछड़ जाते हैं. प्रारंभिक शिक्षा को मजबूत बनाया जाए, कुछ टेक्निकल एजुकेशन पर भी आने वाली सरकार को मजबूती से कदम बढ़ाना होगा. नोटबंदी सही फैसला जरूर था लेकिन अधूरी तैयारियों के साथ उसे अमल में लाया गया.

जवान, किसान की सुरक्षा जरूरी

चर्चा में शामिल युवाओं ने कहा कि रोजगार को लेकर सरकार को फोकस करना चाहिए. एक स्टूडेंट ने कहा कि सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है, देश की रखवाली करने वाले वीर जवानों की व खेतों में काम करने वाले किसानों की सिक्योरिटी पर सरकार को खास ध्यान देने की जरूरत है. सरकार कोई भी खराब नहीं होती है बल्कि सिस्टम ऐसा होता है कि वह सभी को एक धागे में पिरोकर नहीं चल पाती है. लिहाजा, इसके लिए हम ब्लेम उसी पर करेंगे क्योंकि सिस्टम पर निगरानी रखना सरकार का ही काम है.

अधिक से अधिक मिले रोजगार

युवाओं को अधिक से अधिक रोजगार मुहैया कराए जाने का समर्थन करते हुए स्टूडेंट्स ने कहा कि डिजिटल इंडिया की बात तो जरूर हो रही है लेकिन जब एकाउंट में पैसे ही नहीं होंगे तो फिर ऐसे डिजिटल इंडिया होने का क्या मतलब? हां, इसका फायदा सबसे अधिक व्यापारी वर्ग को हुआ है. खामी यह हैंा कि जितना इसे बढ़ावा दिया गया है उतना नुकसान भी डिजिटल इंडिया से हुआ है, अधिकतर एकांउट होल्डर साइबर क्राइम के शिकार हो रहे हैं. गाढ़ी कमाई उनके खाते से निकाल ली जा रही है और वह सिर्फ थानों व बैंकों का चक्कर लगा रहे हैं. 'राजनी-टी' पर अन्य मुद्दों पर भी अपनी बेबाकी से राय दी.

मेरी बात

युवाओं को बेहतर रोजगार देने वाले को ही मेरा वोट जाएगा. व्यापारियों के लिए जीएसटी कानून तो बनाया गया है लेकिन उसमें इतनी खामियां हैं कि व्यापार प्रभावित हो रहा है. यह भी सरकार को ध्यान देने की जरूरत है. वूमेन सेफ्टी पर भी गवर्नमेंट को मजबूती से काम करने की जरूरत है.

सन्नी केशरी

कड़क मुद्दा

टेक्निकल एजुकेशन को बढ़ावा मिले, अधिक से अधिक नौजवानों को रोजगार मुहैया हो. किसानों की कर्जमाफी में कोई भी झोल नहीं होना चाहिए. वूमेन सेफ्टी और सख्त होने के साथ ही सिटी में बढ़ते पॉल्यूशन पर भी रोक के लिए कदम उठाया जाना जरूरी है. नई सरकार से यही उम्मीद है कि इन मुद्दों पर सिर्फ बात न करे बल्कि काम करके दिखाये.

जीएसटी में नए कानून ने व्यापारी वर्ग को निराश किया है. नोटबंदी, जीएसटी जैसे मुद्दों ने आम पब्लिक को बहुत तकलीफ दिया है. इस पर सरकार को विचार करना चाहिए था.

राजदीप श्रीवास्तव

मौजूदा दौर में युवाओं के सामने रोजगार की भारी किल्लत है, यही कारण है कि आए दिन खबरें युवाओं के सुसाइड की आती हैं. रोजगार को बढ़ावा देने वाले को ही मेरा समर्थन जाएगा.

अभिषेक केशरी

हेल्थ और एजुकेशन पर गवर्नमेंट ने कुछ काम अच्छा किया है, लेकिन निचले स्तर पर अभी और सुधार की जरूरत है. गरीबी मिटाओ का नारा भी पूरी तरह से सक्सेस नहीं हो पाया है.

राजकुमार पटेल

जो सरकार युवाओं का मान-सम्मान रखेगी उसे ही मेरा समर्थन जाएगा. क्योंकि हर बार युवाओं को सिर्फ हथियार बनाकर छला जाता है. यह अब युवा भी बखूबी समझ गया है.

पिंटू सिंह

शिक्षा और चिकित्सकीय सुविधाओं का दायरा बढ़े. बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा पर मजबूती से काम हो. पॉल्यूशन का बढ़ता लेवल भी चिंताजनक है. नई सरकार से उम्मीद है कि इस पर कुछ ठोस काम करे.

किशन सिंह

वूमेन सेफ्टी को लेकर सरकार को और सख्त होने की जरूरत है. यही नहीं, शिक्षा व चिकित्सकीय सुविधाओं की मॉनिटरिंग कराए. धरातल पर अभी बहुत कुछ ऐसी योजनाएं हैं जो लोगों को उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं.

नंदू केशरी

सतमोला खाओ, कुछ भी पचाओ

मिलेनियल्स स्पीक के मंच पर युवाओं ने एक मुद्दा जोरदार ढंग से उठाया. उनका कहना था कि देश में इंफ्रास्ट्रक्चर तो बेहतर हो रहा है पर रोजगार के मामले में बहुत विकल्प नहीं है. युवा आज पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी के लिए भटक रहा है. घोषणाएं तो खूब हो रही हैं पर जॉब नहीं मिल रही है. कड़क मुद्दों से पूरे माहौल खींचने वाले सन्नी केशरी को सतमोला की ओर से गिफ्ट दिया गया.

Posted By: Vivek Srivastava