राज्यसभा में लोकपाल विधेयक पर बहस में सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने इसमें बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया.

पूरे दिन चली बहस में विभिन्न दलों के सदस्यों की भारी-भरकम दलीलों के साथ ही आकर्षण के केंद्र में रहा राष्ट्रीय जनता दल और पार्टी के लगभग गुमनाम सांसद राजनीति प्रसाद का नाटकीय क़दम भी।

सदन में उस समय हंगामा मच गया, जब राजनीति प्रसाद ने देर रात बहस के दौरान संसदीय मामलों के राज्य मंत्री वी नारायणसामी की मेज़ से विधयेक की प्रतिलिपि उठाकर उसे फाड़ दिया।

हालंकि कांग्रेस के अश्विनी कुमार उन्हें ऐसा करने से रोकते दिखाई दिए, लेकिन राजनीति प्रसाद ने कहा कि 'ये लोकपाल नहीं चलेगा' और फिर उन्होंने ये बिल फाड़ कर फेंक दिया। इस दौरान राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव गैलरी से घटनाक्रम देख रहे थे। बाद में राजनीति प्रसाद ने एक समाचार चैनल टाइम्स नाओ को बताया कि उन्होंने ये किसी योजना के तहत नहीं किया था।

उन्होंने कहा, "मैंने बिल इसलिए फाड़ा, क्योंकि मुझे लगा कि ये एक अच्छा बिल नहीं है। ये सांसदों के ख़िलाफ़ था। इसे हम ही पास कर रहे हैं और ये हमारे ही ख़िलाफ़ चलेगा। मैंने पहले ही भाषण में कहा था कि मैं इसका विरोध कर रहा हूं। मुझे अपने किए का कोई अफ़सोस नहीं है। मैंने सिर्फ़ विधेयक का विरोध किया."

ऐसे भी सवाल उठ रहे हैं कि क्या उनका ये क़दम सरकार को फ़ायदा देने के लिए था? लेकिन राजनीति प्रसाद का कहना था, "अब किसकी सुविधा होती है, हमको मालूम नहीं। हमने अपने काम किया। अगर सदन रात भर चलता तो हम बैठते, क्या दिक्कत थी उसमें हमको."

लेकिन पटना से बीबीसी संवाददाता मणिकांत ठाकुर का कहना है कि राजनीति प्रसाद के इस क़दम में कहीं-न-कहीं लालू प्रसाद यादव की सहमति ज़रूर रही होगी।

बीबीसी संवाददाता का ये भी कहना है कि पटना में लोग राजनीति प्रसाद के इस कदम को सही नहीं मानते। लोगों का कहना है कि वे विरोध का कोई और तरीक़ा अपना सकते थे। कुछ लोग ये भी मानते हैं कि घटनाक्रम को देखकर ऐसा लग रहा था कि किसी सोची-समझी रणनीति के तहत ये हंगामा किया गया था।

कौन हैं राजनीति प्रसाद?बिहार के नालंदा ज़िले में जन्मे राजनीति प्रसाद अति पिछड़ी जाति से आते हैं। वे पेशे से वक़ील हैं और 2006 में राज्य सभा के सांसद चुने गए थे। इससे पहले वे राष्ट्रीय जनता दल के बिहार अधिवक्ता प्रकोष्ठ के अध्यक्ष थे।

बीबीसी संवाददाता मणिकांत ठाकुर के मुताबिक़ राजनीति प्रसाद को पूर्व केंद्रीय मंत्री और राजद नेता प्रेमचंद गुप्ता का क़रीबी माना जाता है। राज्यसभा की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार राजनीति प्रसाद को नाटकों में अभिनय और खेल के लिए कई पुरस्कार मिले हैं।

गुरुवार आधी रात को राज्यसभा में हुए नाटकीय घटनाक्रम में लोकपाल बिल पर वोटिंग नहीं हो पाई और कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई और इस तरह लोकपाल बिल शीतकालीन सत्र में पारित नहीं हो सका।

Posted By: Inextlive