सुबह छह से दोपहर दो बजे तक है शुभ मुहूर्त
- राशियों के हिसाब से राखी बांधने से पड़ेगा अच्छा असर।
- ज्योतिषी बता रहे हैं राखी के शुभ मुहूर्त Meerut। रक्षाबंधन का पर्व गुरुवार को है। भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करता यह पावन पर्व इस बार भद्रा रहित, धनिष्ठा नक्षत्र, शोभन योग तथा मकर कुंभ राशि में है। बहनें सुबह 6 बजे से दोपहर दो बजे तक अपने भाई की कलाई पर राखी बांध सकती हैं। ज्योतिषाचार्यो की मानें तो इस दिन सिंहासन गौरी योग बनने से यह त्योहार और भी शुभ होगा। ऐसा समय तीन साल बाद रहा है, जब शुभ पर्व पर, दिन के समय भद्रा व्याप्त नहीं होगी। विल्वेश्वर नाथ मंदिर के पुजारी पंडित चिंतामणि जोशी का कहना है कि राखी के शुभ मुहूर्त में भद्रा नहीं है, इसलिए यह शुभ मुहूर्त में है। रक्षाबंधन पर शुभ मुहूर्तज्योतिष विशेषज्ञ भारत ज्ञान भूषण के मुताबिक राखी के शुभ मुहूर्त में राहु काल भी है यदि आप राहु काल का विचार करते हैं तो दोपहर 2 बजकर 17 मिनट से 3 बजकर 53 मिनट तक राहू काल रहेगा। पंडित अरुण शास्त्री का कहना है कि सुबह छह बजे से दोपहर दो बजे तक राखी बांधने का समय बहुत ही शुभ है।
राशियों के हिसाब से बांधे धागामेष- कुमकुम का तिलक लगाएं, लाल रंग की डोरी बांधे।
वृषभ- चांदी या सिल्वर रंग की राखी बांधें। रोली में अक्षत मिलाकर टीका लगाएं। मिथुन- हरे रंग की राखी बांधें, केसर का तिलक लगाएं। कर्क- चंद्रमारंग अर्थात सफेद, क्रीम धागों से बनी मोतियों वाली राखी बांधें और सिंदूर का तिलक लगाएं। सिंह- गोल्डन रंग, पीली या नारंगी राखी बांधें। सिंदूर या केसर का तिलक लगाएं। कन्या- हराया चांदी जैसा धागा बांधें, चंदन का तिलक लगाएं। तुला- शुक्र का रंग फिरोजी, सफेद रंग की राखी बांधें और तिलक में क्रीम कलर मिक्स करके लगाएं। वृश्चिक- लाल गुलाबी और चमकीली राखी बांधे, लाल सिंदूर का तिलक लगाएं। धनु- पीले रंग की रेशम की राखी बांधे, और हल्दी का तिलक लगाएं। मकर- नीले रंग के मोतियों वाली राखी बांधें, चंदन का तिलक लगाएं। कुंभ -आसमानी या नीले रंग की राखी बांधें, कुमकुम का तिलक लगाएं। मीन- लाल,पीली या संतरी रंग की राखी बांधें और हल्दी का तिलक लगाएं। तीन से साढे़ चार तक श्रेष्ठ मुहूर्तपं। राजेश शर्मा के अनुसार राखी बांधने का अच्छा मुहूर्त दो बजे तक है। लेकिन अगर सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त की बात करें तो दोपहर तीन बजे से शाम 4 .50 बजे तक का है। रात 10:30 तक पूर्णिमा रहेगी इसलिए साढ़े दस बजे तक भी राखी बांधी जा सकती है।
भद्रा में क्यों नहीं बांधते राखी ऐसा कहा जाता है कि सूपर्नखा ने अपने भाई रावण को भद्रा में राखी बांधी थी, जिसके कारण रावण का विनाश हो गया, इस कारण लोग भद्रा नक्षत्र में राखी नहीं बांधते हैं।