-सिमरिया में मोरारी बापू बोले, दिनकर स्वयं एक कुंभ हैं

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क्चश्वद्दस्न्क्त्रन्ढ्ढ/क्कन्ञ्जहृन् : राम से बड़ा कोई नाम नहीं है और जगत में नाम को छोड़ कुछ और नहीं रहेगा। हरि का नाम लेने के बाद किसी भी मंत्र की जरूरत नहीं है। नाम जपने से मानसिक पूजा-अर्चना हो जाती है और उम्र बढ़ती है। भगवान का नाम लेने वाले की आलोचना मत करो, नहीं तो अपराध लगेगा। नाम की महिमा गणेश ने जानी तो प्रथम पूज्य पद प्राप्त हुआ। ये बातें रविवार को राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जन्मभूमि सिमरिया में गंगा नदी तट पर नौ दिवसीय रामकथा एवं साहित्य महाकुंभ के दूसरे दिन संत शिरोमणि मोरारी बापू ने कहीं।

कथा के साथ जुड़ा है साहित्य कुंभ

मोरारी बापूने कहा, सत्संग से व्यक्ति भूतकाल व वर्तमान काल में जी सकता है। साथ ही भविष्य का भी दर्शन कर सकता है। रामकथा के साथ साहित्य कुंभ जुड़ा है। इसीलिए राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर स्वयं एक कुंभ हैं। दिनकर ने कहा, न किसी को ज्यादा सुख हो न किसी को कम सुख हो। कहां भारतीय सभ्यता, कहां मा‌र्क्सवाद। साथ ही दिनकर गांधी के प्रभाव में आते ही गांधीमय हो गए। संस्कृति के चार अध्याय, रश्मिरथी की रचना, उर्वशी की रचना आज भी प्रासांगिक है। उन्होंने कहा कि हरेक कहावत के पीछे कोई न कोई कहानी छिपी होती है। हमारी पृथ्वी सब अपना हैं। वसुधैव कुटुंबकम। आदमी सदा सत्य बोले तो कभी भी उसका पराजय नहीं हो सकता। उन्होंने युवा पीढ़ी को दिनकर की सूत्राबद्ध वक्तव्य को पढ़ने का कहा। उनके विचार के रूप में बीज बोना है।

संवरने की जरूरत है

बहुत ज्यादा सुधरने की नहीं संवरने की जरूरत है। उत्सव हमारी जाति है। अपने मन को कोसो नहीं। एक बार हरिनाम बोलने से पाप से मुक्ति हो जाती है। सिर्फ संस्कृति के चार अध्याय को याद रखो कि हम किस परंपरा के हैं। प्रभु की 16 लीलाएं हैं। संवरो, सजाओ, अपने आपको आवागमन मिटाओ।

बहुत विकसित हो गई है लोगों की बुद्धि

उन्होंने कहा कि छंदोबद्ध जिसकी वाणी है वे सभी आदिकवि है। ओशो जब बोलते थे तो छंदोबद्ध बोलते थे। मानव जाति में छंदोबद्ध में आदिकवि बाल्मिकी हैं। आदि भक्त के रूप में जयदेव हैं। जबकि सूरदास ब्रजभाषा के आदिकवि हैं। इस संसार का आदि तत्व परमात्मा है। आदि पुरुष श्रीकृष्ण हैं। कथा के पहले दिन हनुमान की वंदना, दूसरे दिन जानकी की वंदना की गई। बापू ने कहा कि आज लोगों की बुद्धि नष्ट नहीं हुई है। बहुत विकसित हो गई है। लेकिन बुद्धि भ्रष्ट हो गई है। बुद्धि को शुद्ध करने के लिए यज्ञ, दान व तप करना चाहिए। तभी तो परम तत्व का नाम राम है। जप करने से सिद्धि प्राप्त होती है। सिद्धि से शुद्धि बहुत ऊपर है। परामात्मा का उल्टा नाम जपने से बाल्मीकि शुद्ध हो गए। कहा, आदि चालीसा हनुमान चालीसा है। राम महामंत्र का जाप करें। जिस परिवार का एक विचार हो तो उस परिवार का विघटन नहीं होता है। हरिनाम का नाम लें। कोई भी परम तत्व का नाम राम है। हरिनाम का नाम लेने में कोई भी मंत्र की जरूरत नहीं हच्ै। जब इच्छा हो हरिनाम का नाम ले सकते हैं। तभी तो राम से बड़ा कोई नाम नहीं है। राम कथा व साहित्य महाकुंभ आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ। कर्ण सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह, लखनऊ के डीजीपी गोपाल गुप्ता, देव कुमार पुखराज, राम गोपाल चौधरी, रोहित कुमार, अमरेंद्र कुमार अमर, संजय सिंह, पूर्व विधायक ललन कुंवर, बलराम प्रसाद सिंह, आर्यभट्ट के निदेशक प्रो। अशोक अमर, सांसद अरुण सिंह, कसंयोजक सुभाष कुमार ईश्वर कंगन, आयुष ईश्वर, गौतम आदि मौजूद थे।

Posted By: Inextlive