चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन स्वयं श्री हरि का रामावतार हुआ था। पुर्नवसु नक्षत्र से संयुक्त नवमी तिथि सब कामनाओं को पूर्ण करने वाली होती है। राम नवमी व्रत से भुक्ति एवं मुक्ति दोनों ही सिद्ध होती हैं।

भगवान राम का जन्म चैत्र शुक्ल नवमी, गुरुवार, पुनर्वसु नक्षत्र, कर्क राशि में हुआ था। यह व्रत मध्यान्ह व्यापिनी दशमीविद्धा नवमी को करना चाहिए। अगस्त संहिता के अनुसार, यदि चैत्र शुक्ल नवमी पुर्नवसु नक्षत्र से युक्त हो और वहीं मध्यान्ह के समय रहे तो महान पुण्यदायिनी होती है। परन्तु इस बार राम नवमी पुष्य नक्षत्र के सुखद संयोग में मान्य रहेगी।

राम नवमी का मुहूर्त

इस वर्ष ज्योतिष एवं धर्म शास्त्रीय मतानुसार, श्री शुभ सम्वत् 2076, चैत्र मास शुक्ल पक्ष 13 अप्रैल 2019 दिन शनिवार को सूर्योदय काल से अष्टमी तिथि प्रारम्भ होगी, जोकि पूर्वान्ह 11ः42 बजे तक रहेगी, तत्पश्चात नवमी तिथि 11ः42 मिनट से आरम्भ हो जाएगी, जो अगले दिन रविवार को प्रातः 09ः36 बजे तक रहेगी क्योंकि मर्यादा पुरूषोत्तम प्रभु श्री राम का जन्म नवमी तिथि में कर्क लग्न में हुआ था, अतः 13 अप्रैल को मध्यान्ह काल में कर्क लग्न पूर्वान्ह 11:34 बजे से अपरान्ह 01:51 बजे के बीच में रहेगी।

इस दिन पूर्नवसु नक्षत्र सूर्योदय से प्रातः 08ः59 बजे तक रहेगा, तत्पश्चात पुष्य नक्षत्र व्याप्त रहेगा। सूर्योदय से प्रातकालीन 10ः53 बजे तक सुकर्मा योग रहेगा तत्पश्चात धृति योग लगेगा। शनिवार में पुष्य नक्षत्र से बना छत्र योग पुष्टिवर्धक होता है, व्यापारिक कार्यों के लिए राम नवमी के दिन को बहुत शुभ माना जाता है।

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दशमी को करें पारण

इस व्रत का नवमी में व्रत तथा दशमी में पारण करें। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन स्वयं श्री हरि का रामावतार हुआ था। पुर्नवसु नक्षत्र से संयुक्त नवमी तिथि सब कामनाओं को पूर्ण करने वाली होती है। राम नवमी व्रत से भुक्ति एवं मुक्ति दोनों ही सिद्ध होती हैं।

- ज्योतिषाचार्य पं राजीव शर्मा

Posted By: Kartikeya Tiwari