- चैत्र शुक्ल नवमी गुरूवार, पुनर्वसु नक्षत्र, कर्क राशि में हुआ था भगवान राम का जन्म-अगस्त संहिता के अनुसार चैत्र शुक्ल नवमी पुर्नवसु नक्षत्र में माध्यान्ह के समय होती है पुण्यदायिनी

bareilly@inext.co.inBAREILLY: इस बार रामनवमी पर पुष्य नक्षत्र का विशेष सुखद संयोग रहेगा. बालाजी ज्योतिष संस्थान के पं. राजीव शर्मा के अनुसार 13 अप्रैल शनिवार को सूर्योदय काल से अष्टमी तिथि प्रारम्भ होगी. जोकि पूर्वान्ह 11:42 बजे तक रहेगी. इसके बाद नवमी तिथि 11:42 मिनट से आरम्भ हो जायेगी जो अगले दिन रविवार को प्रात: 09:36 बजे तक रहेगी. मान्यता है कि चैत्र शुक्ल नवमी गुरूवार, पुनर्वसु नक्षत्र, कर्क राशि में भगवान राम का जन्म हुआ था.मध्याह्न काल में कर्क लगन


मर्यादा पुरूषोत्तम प्रभु श्री राम का जन्म नवमी तिथि में कर्क लग्न में हुआ था. 13 अप्रैल को मध्यान्ह काल में कर्क लग्न पूर्वान्ह 11:34 बजे से अपरान्ह 01:51 बजे के बीच रहेगा. इस दिन पूनर्वसु नक्षत्र सूर्योदय से सुबह 08:59 बजे तक रहेगा. इसके बाद पुष्य नक्षत्र व्याप्त रहेगा. सूर्योदय से सुबह 10:53 बजे तक सुकर्मा योग रहेगा. इसके बाद धृति योग लगेगा. शनिवार में पुष्य नक्षत्र से बना छत्र योग पुष्टिवर्धक होता है.व्यापारिक कार्यो के लिए शुभ

व्यापारिक कायरें के लिए रामनवमी के दिन को बहुत शुभ माना जाता है. इस व्रत का नवमी में व्रत तथा दशमी में पारण करें. पुर्नवसु नक्षत्र से संयुक्त नवमी तिथि सब कामनाओं को पूर्ण करने वाली होती है. श्री राम नवमी व्रत से भुक्ति एवं मुक्ति दोनों ही सिद्ध होती हैं.ज्योतिष दृष्टिकोण से शुभ

श्री रामनवमी के दिन कर्क लग्न के अनुसार द्वितीयेश सूर्ये, नवम भाव में तृतीयेश व द्वादशेष बुध के साथ मीन राशि पर स्थित है. तृतीयेश व द्वादशेष बुध यद्यपि अशुभ है, फिर पर बुधादित्य योग का निर्माण कर रहा है. मंगल एकादश भाव में पंचम त्रिकोण व दशम केन्द्र का स्वामी होने के कारण अति शुभ और योग कारक है. अत: कर्क लग्न में खाता (बसना) पूजन करने के लिए केतु, बुध, राहु व शनि का दान करके पूजन करना ठीक रहेगा. यह पूजन चर व लाभ चौघडि़या में अपरान्ह 12:10 से लेकर अपरान्ह 03:10 बजे तक अति उत्तम रहेगा. दूसरा पूजन मुहुर्त सिंह लग्न अपरान्ह 01:51 बजे से लेकर सायं 04:05 बजे तक रहेगा इस लग्न में लग्नेश सूर्य, अष्टम भाव में द्वितीयेश व एकादशेश बुध है, जोकि अशुभ है. शुक्र कुंभ राशि पर सप्तम भाव में है अत: सर्वाधिक योग कारक है, मंगल दशम भाव में नवम त्रिकोण व चतुर्थ केन्द्र का स्वामी होने कारण अति शुभ और योग कारक है. शनि गुरु, केतु पंचम भाव में अत्यन्त शुभ फलदायक है राहु भी एकादश भाव में होने कारण शुभ फल कारक है, अत: इस लग्न में लाभ व अमृत चौघडि़या में पूजन करना शुभ रहेगा.पूजन का समयचर-लाभ-अमृत चौघडि़या की संयुक्त बेला अपरान्ह 12:10 बजे से लेकर अपरान्ह 04:48 बजे तक रहेगी इसमें खाता पूजन करना श्रेष्ठ रहेगा.कैसे करें पूजनराम नवमी के दिन सुबह को स्नान से निवृत्त होकर उत्तर दिशा में मण्डप बनाकर राम दरबार की मूर्ति, प्रतिमा या चित्र स्थापित करें, हनुमान जी को विराजमान करें. मण्डप में विराजमान सीता, राम, लक्ष्मण, हनुमान जी का जल, पुष्प, गंगाजल, वस्त्र, अक्षत, कुमकुम आदि से पूजन करें. पूजन के बाद आरती करें और मंत्र का जाप करें.

Posted By: Radhika Lala