Meerut: बुराई का स्टैंडर्ड ‘रावण’ हमारे और आपके बीच में ही मौजूद है. बस चेहरा बदल रहा है. किसी के लिए भ्रष्टाचार सबसे बड़ा रावण है तो किसी के लिए महंगाई. आई नेक्स्ट ने दशहरे के संदर्भ में यूथ की फीलिंग्स जानने के लिए सर्वे किया. एक ओर यूथ भगवान श्रीराम के कैरेक्टर से प्रभावित है तो दूसरी ओर सोसाइटी का हिस्सा बन चुके रावण का अंत भी मुश्किल मानता है. यही नहीं लोग मानते हैैं कि रावण का अंत करने के लिए राम का अवतार लेना जरूरी है.


राम इज माई हीरो ससुराल में दामाद की स्पेशल खातिरदारी होती है, मगर मंदोदरी के मायके में रावण के चाहने वालों की संख्या काफी कम है। सर्वे में 52 फीसदी युवाओं ने मर्यादा पुरषोत्तम भगवान श्रीराम को अपना फेवरेट बताया। 17 फीसदी यूथ ने अगर सीता को लाइक किया तो 17 फीसदी ने रावण को भी समर्थन दिया। लक्ष्मण का कैरेक्टर सिर्फ 14 फीसदी यूथ को पसंद आया। भ्रष्टाचार आगे, महंगाई पीछे


प्याज की कीमतों को लेकर भले कई महीनों से शोर मच रहा हो। सब्जी को सजाने वाला धनिया पत्ती 150 रुपए किलो बिक रहा हो। फिर भी सिर्फ 14 फीसदी लोग महंगाई को रावण के रूप में देख रहे हैं। 53 फीसदी लोग भ्रष्टाचार को सबसे बड़ा रावण मानते हैैं। उनका मानना है कि भ्रष्टाचार कम होगा तो महंगाई पर लगाम लगेगी। 26 फीसदी यूथ क्राइम को सबसे बड़ा रावण मानता है। सिर्फ 7 फीसदी लोग मिलावट को रावण मानते हैैं। खुद ही जिम्मेदार

सरकारी महकमा हो या कारोबार, अगर भ्रष्टाचार का रावण हर जगह सीना तानकर खड़ा है तो इसके लिए 49 फीसदी यूथ खुद को जिम्मेदार मानते हैैं। 37 फीसदी यूथ मानता है कि अगर भ्रष्टाचार पनप रहा है तो इसके लिए सरकार और सिस्टम जिम्मेदार है। सिर्फ 10 फीसदी लोग भ्रष्टाचार के लिए प्रशासनिक अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराते हैैं। मुश्किल है विजय रावण बुराई का प्रतीक है। माना जाता है कि हर व्यक्ति के अंदर किसी न किसी रूप में रावण रहता है, लेकिन उस पर विजय प्राप्त करना आसान नहीं है। 34 फीसदी यूथ ने माना कि वे अभी तक रावण पर विजय हासिल नहीं कर पाए हैैं। 29 फीसदी यूथ इसके लिए प्रयासरत है। सिर्फ 14 फीसदी यूथ ऐसा है, जो मानता है कि उसने रावण पर विजय हासिल की है। 20 फीसदी असमंजस के चलते अपनी स्पष्ट राय नहीं दे सके। फायदा कम, नुकसान ज्यादा आखिरकार वो कौन है, जो सोसाइटी में या दिल में अलग-अलग रूपों में मौजूद रावण को प्रमोट कर रहा है? 79 फीसदी यूथ ने बेझिझक स्वीकार किया कि अपने फायदे के लिए वो खुद रावण को प्रमोट कर रहा है। अब ये अलग बात है कि किसी एक मामले में फायदा होता है तो अन्य मामलों में नुकसान भी उठाना पड़ता है। सिर्फ 7 फीसदी यूथ ऐसा है, जो रावण के प्रमोशन में अपनी भूमिका नहीं मानता। कहां से आए विश्वास

देश और समाज में जिस प्रकार के हालात हैैं, उसमें रावण से छुटकारा मिलना बेहद मुश्किल है। 34 फीसदी यूथ मानता है कि रावण से छुटकारा मिलना नामुमकिन है, जबकि 30 फीसदी यूथ मानता है कि रावण से छुटकारा मिल सकता है। इनके बीच 26 फीसदी यूथ ऐसा भी है, जो संशय की स्थिति में है। वो तय नहीं कर पा रहा है कि रावण से छुटकारा मिलेगा या नहीं।राम अवतार जरूरीएक ओर यूथ मानता है कि वो खुद रावण को प्रमोट कर रहा है। रावण की मौजूदगी के लिए खुद को जिम्मेदार मानते हैैं, इसके बावजूद रावण का वध करने के लिए राम अवतार को जरूरी मानते हैैं। 48 फीसदी यूथ ने माना कि रावण तभी खत्म होगा, जब राम अवतार लेंगे। इसके विपरीत 34 फीसदी यूथ रावण का वध करने के लिए रामअवतार को जरूरी नहीं मानते। 14 फीसदी लोग इस पर स्पष्ट राय नहीं दे सके तो 4 फीसदी यूथ ने कमेंट करने से मना कर दिया। अपने अंदर के राम को पहचानें "रावण बुराई का प्रतीक है। जब से सृष्टि बनी है, अच्छाई और बुराई दोनों ही अपनी मौजूदगी का अहसास कराते आए हैं। कलयुग में बुराई अधिक हावी हो रही है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि रावण खत्म नहीं होगा."वरुण गोयल, एडिको डेवलपर्स
"अधिकतर लोग भगवान श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। वो अच्छे और आज्ञाकारी थे। अपनी पत्नी की रक्षा के लिए उन्होंने कितने कष्ट सहे, सभी को पता है। ऐसा शिष्य, पुत्र, पति और राजा उनके बाद दूसरा कोई नहीं हुआ है."प्रतीक अभय, बिजनेसमैन"भ्रष्टाचार ही आज की डेट में सबसे बड़ा रावण है। इसी ने यूथ से अच्छी एजुकेशन और अच्छी जॉब दोनों को छीन लिया है। अगर पैसे दे दो तो सारे काम हो जाते हैं। इसकी मेन वजह है भ्रष्ट राजनीति। भ्रष्टाचार ऊपर से नीचे की तरफ चलता है। जब नेता ही भ्रष्ट हैं तो बाकी लोग क्या कर सकते हैं."मीनल गौतम, पूर्व छात्र संघ उपाध्यक्ष, सीसीएसयू"राम हम सब में हैं। कहीं न कहीं हम उस राम को दबा देते हैं। अगर आपने रावण का अंत करने की ठान ली है तो रावण का अंत होकर ही रहेगा। फिर कोई भी इसे रोक नहीं सकेगा."अंकित प्रकाश, जिम ट्रेनर "हमारी वजह से ही हर जगह रावण की मौजूद है। हम ही रिश्वत देकर अपना काम आसान कराते हैं और जब हमसे कोई रिश्वत मांगता है तो हमें बुरा लगता है। सरकार, प्रशासनिक अधिकारी सब रावण को स्ट्रांग बनाने में जुटे हैं."श्वेता शर्मा, स्टूडेंट
"हर जगह हमने ही रावण तैयार किए हैं। आज ये रावण हर सरकारी और गैर सरकारी विभाग में मौजूद है। इसलिए रावण की मौजूदगी के लिए हम खुद जिम्मेदार हैं."छवि वर्मा, स्टूडेंट"लोगों ने खुद के अंदर ही रावण को जिंदा किया हुआ है और उस पर विजय पाने की कोशिशों में अक्सर विफल हो जाते हैं। हमने ही उस रावण को इतना मजबूत बना दिया है कि हम उसे हराने की हिम्मत नहीं जुटा पाते."कामना

Posted By: Inextlive