रमजान का पाक महीना नजदीक आते ही मार्केट में अफगानिस्तान ईराक ईरान व सउदी अरब का खजूर पहुंचा है.

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रमजान का पाक महीना नजदीक आते ही मुस्लिम बाहुल्य अटाला, करैली, चौक, शाहगंज, दरियाबाद, नखासकोहना व दायराशाह अजमल सहित कई इलाकों में रहने वाले मुस्लिम परिवारों में तैयारियां तेज हो गई हैं. इन इलाकों की मार्केट में इस बार खासतौर से अरब देशों के खजूर की डिमांड बनी हुई है. मार्केट में अफगानिस्तान, ईराक, ईरान, सउदी अरब जैसे देशों से आए एक गुठली वाला और दो गुठली वाले खजूर की खरीददारी की जा रही है.

सुन्नत का करते हैं पालन
रमजान के दौरान मुस्लिम समुदाय अपना रोजा खोलने से पहले खजूर खाना पसंद करते हैं. शिया धर्मगुरु सैय्यद हसन रजा जैदी ने बताया कि पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब खजूर से ही अपना रोजा खोलते थे. इसलिए पाक महीने में रोजा रखने वाले मुस्लिम समुदाय के लोग पैगम्बर साहब की सुन्नत का पालन करते हुए अपना रोजा खोलते हैं.

खजूर की कीमत
मार्केट में एक गुठली वाले डिब्बा बंद यानि एक किग्रा वजन का खजूर दौ सौ रूपए में बिक रहा है. वहीं दो गुठली वाले और खुले में एक किग्रा वजन के खजूर की कीमत 120 रूपए से लेकर 150 रूपए है.

नवाबों के शहर से आई है सूतफेनी
मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में खासतौर से चौक, शाहगंज व दरियाबाद में रोजा खोलने के बाद खाने मीठे पकवानों में सूतफेनी और सेवई का क्रेज भी छाया हुआ है. इस बार नवाबों के शहर लखनऊ से सूतफेनी थोक विक्रेताओं ने मंगाई है.

सूतफेनी की कीमत
मार्केट में दो तरह की सूतफेनी बिक्री के लिए रखी गई है. डालडा घी वाली एक किग्रा सूतफेनी की कीमत दो सौ रुपए है तो देशी घी से निर्मित सूतफेनी की कीमत 400 से लेकर 450 रुपये तक है. कानपुर व वाराणसी से मंगाई गई सेवई की कीमत 50 रुपए किग्रा से लेकर 80 रुपए प्रति किग्रा है.

इस बार मार्केट में बहुतायत खजूर अरब देशों से मंगाया गया है. इसके बगैर रोजा का शवाब नहीं मिल सकता है. इसके अलावा मीठे में सूतफेनी नवाबों के शहर से आई है. एक दो दिनों में मार्केट में अन्य खाद्य व पेय पदार्थो की खेप भी पहुंच जाएगी.

मो. गुफरान, थोक विक्रेता

Posted By: Vijay Pandey