-मकान तो बनकर तैयार लेकिन रहने वाले नहीं पहुंच रहे

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1200-मकान रामगंगा आवासीय योजना में कुल बनाए गए

800-आवास हो चुके हैं आवंटित

400-आवास अभी होने हैं आवंटित

30-प्रतिशत लोग मकान लेने के बाद रहने पहुंचे

08-अप्रैल 2015 को लकी ड्रॉ से हुआ था आवंटन

25-मई 2015 से पहली किस्त देना शुरू की थी

10-वर्ष की 120 समान किस्तों में जमा करनी थी रकम

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BAREILLY :

रामगंगा आवासीय कॉलोनी बसने से पहले लुटने क्या लगी, वहां रहने वाले लोगों को घाटा मंजूर है, लेकिन वह रहने के लिए तैयार नहीं हैं। यही वजह है कि अब करीब 100 आवंटी फ्लैट सरेंडर कर चुके हैं। सैटरडे को ही पांच लोगों ने एक साथ सरेंडर किया। ऐसे में, रामगंगा आवासीय योजना की लुटिया भी डूबती नजर आ रही है। क्योंकि यहां कुल 1200 फ्लैट बने थे, जिसमें 400 फ्लैट के खरीदार बीडीए को नहीं मिले। हैरानी की बात यह है कि बीडीए वीसी कॉलोनी में सुरक्षा बढ़ाने की बजाय मसले को यह कहकर टाल दिये कि लोग फ्लैट सरेंडर कर रहे हैं, तो करें। किसी नए को आवंटित कर दिया जाएगा।

इनकी भी सुनिए

केस:1

बदायूं कादरगंज निवासी सुषमा ने बताया कि रामगंगा आवासीय योजना में 29 जनवरी 2013 को भवन आवेदन अप्लाई किया गया था, जिसमें उन्हें मई 2015 से पहली किस्त देना शुरू की थी। कॉलोनी में फ्लैट देखने गई तो वहां पर आसपास सिर्फ दो परिवार ही रहने के लिए आए थे। सुविधाओं के बारे में पता किया तो बताया कि यहां पर बीडीए पीने के लिए पानी तक मुहैया नहीं करा रहा है। अपना हैंडपम्प लगवाया है। साथ ही अराजकता अधिक है। जिसके चलते मैंने तो अपना फ्लैट सरेंडर कर दिया।

केस:2

भुता क्षेत्र निवासी योगेश कुमार ने रामगंगा आवासीय कॉलोनी में थ्री स्टोरी बिल्डिंग में फ्लैट लिया था। फ्लैट लेने के बाद किस्त जमा करना शुरू की और रहने के लिए फ्लैट देखने गए, तो वहां पर सिर्फ एक ही परिवार उनकी बिल्डिंग के ग्राउंड फ्लोर पर रहने के लिए आया था। उसका नल लगा हुआ था। रहने वाले वाले परिवार से पता किया तो बताया कि यहां पर नल लगवाना पड़ता है। सुरक्षा के नाम पर बताया कि पुलिस आसपास नहीं आती है। असुरक्षा के चलते फ्लैट सरेंडर कर दिया।

केस: 3

रजऊ परसपुर निवासी वीरबल ने मई 2015 में फ्लैट का ट्रिपल स्टोरी बिल्डिंग में आवंटन कराया था। किस्तों को जमा करने के बाद फ्लैट का एग्रीमेंट कराने के लिए गए तो देखा वहां पर किसी पड़ोसी ने ताला तोड़कर अपना सामान रख लिया था। इसीलिए एग्रीमेंट कराने से पहले जब उससे सामान हटाने को कहा तो वह दबंगई दिखाने लगा। इस पर मुझे तो लगा कि एग्रीमेंट और रजिस्ट्री कराने के बाद भी फ्लैट खाली नहीं किया तो उससे झगड़ा हो सकता है। इसीलिए मैंने फ्लैट सरेंडर कर दिया।

केस: 4

सेटेलाइट पीलीभीत रोड निवासी अवनेश सिंह ने वर्ष 2015 में फ्लैट लिया था। लगातार सभी किस्तें भी जमा कर रहे थे, लेकिन जब परिवार के साथ फ्लैट देखने के लिए गया तो वहां की सोसायटी देख रहने की इच्छा नहीं हुई। सोचा फ्लैट बेचकर कहीं दूसरी जगह प्लॉट लेकर बनवा लूंगा। क्योंकि रामगंगा कॉलोनी को बसने में अभी वर्षो लग जाएंगे। मुझे तुरंत फ्लैट रहने के लिए चाहिए था। इसीलिए बेच दिया।

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इसीलिए बीडीए नहीं दे पा रहा सुविधा

रामगंगा कॉलोनी में रहने वाले परिवारों ने पानी की सप्लाई शुरू और बिजली कटौती मुक्त करने की मांग बीडीए अफसरों से की। जिस पर बीडीए अफसरों ने अपनी प्रॉब्लम बता डाली। उनका कहना था कि रामगंगा कॉलोनी की एक सेक्टर में 400 के आसपास फ्लैट हैं, लेकिन आवंटी रहने वाले परिवार कम हैं जिसके चलते ट्यूबवेल नहीं चला सकते हैं। मकान में रहने वाले 50 प्रतिशत भी आ जाएं तो वह पानी सप्लाई शुरू कर देंगे। वहीं बिजली सप्लाई बाधित होने का मुख्य कारण चोर हैं वह कॉलोनी में लगे ट्रांसफॉर्मर का तेल चोरी कर लेते हैं।

120 किस्तों में करना था भुगतान

बीडीए ने पंजीकरण कराने वालों को 8 अप्रैल 2015 को सार्वजनिक लकी ड्रॉ के माध्यम में फ्लैट का आवंटन किया था। जिसकी पहली किस्त मई 2015 से जमा करनी थी, और इसका पूरा भुगतान देय राशि पर 10 प्रतिशत ब्याज सहित 10 वर्ष की 120 समान किस्तों में करना था।

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रामगंगा कालोनी में फ्लैट आंवटन कराने वाले मकान सरेंडर तो कर रहे हैं, यह उनकी मर्जी है, कि क्यों कर रहे हैं। लेकिन जल्द ही नए आवंटन के लिए आवेदन मांग कर उन्हें भी आवंटन कर दिया जाएगा।

सुरेंद्र कुमार, वीसी, बीडीए

Posted By: Inextlive